शिक्षा ग्रहण करने के बाद में अंजू के द्वारा स्कूल छोडक़र घर वापसी की गई । अंजू की शादी को लेकर घरवाले व साथ ही परिवार वाले भी चिंतित थे । बड़े जद्दोजहद के बाद भी अंजू के लिए वर की तलाश पूरी नहीं हो रही थी। रिश्तेदारों ने लडक़े की तलाश की जिसका नाम निलेश खराडिया ग्राम खड़ी बिलोदा तहसील बदनावर वह भी मूक-बधिर था। लडक़ा और लडक़ी का परिचय कराया गया तो पता चला दोनों ही साथ में पढ़ते थे लडक़ा अंजू को पहचानता था । लडक़े ,लडक़ी दोनों ने एक दूसरे को पसंद कर लिया और बात विवाह पर आ गई दोनों परिवार की रजामंदी पर दोनों ही मूक बधिर वर वर वधू का विवाह संपन्न हुआ।
बारात में आए मूक बधिर दिव्यांग मूक बधिर नीलेश की बारात में वैसे तो परिवार के साथ सैकड़ों लोग आए लेकिन एक खास विशेषता देखी गई की बारात में लगभग 20 से 25 मूक बधिर लडक़े और लड़कियां भी आए थे। ये लोग निलेश के स्कूल के साथी थे।