scriptआस्था पर भारी पड़ रही प्रशासन की उदासीनता | Koteshwar | Patrika News

आस्था पर भारी पड़ रही प्रशासन की उदासीनता

locationधारPublished: Sep 17, 2017 01:16:38 am

मंदिरों से नहीं हटाई जा सकी प्राचीन मूर्तियां, संत का आश्रम भी अब तक नहीं किया जा सका विस्थापित

koteshwar photo


निसरपुर/सुसारी. कोटेश्वर में आस्था पर प्रशासनिक उदासीनता भारी पड़ रही है। यहां के मंदिरों से अभी तक भगवान की मूर्तियां नही हटाई जा सकी हैं और न ही यहां के प्रसिद्ध दिव्यलीन संत कमलदास महाराज का आश्रम सुरक्षित स्थान पर शिफ्ट हो पाया है। अधिकारियों का कहना है कि अभी मंदिर पानी 15 फीट नीचे है। यदि पानी बढ़ेगा उस समय मूर्तियों को हटाया जाएगा। यानी मंदिरों के डूबने का इंतजार किया जा रहा है।
गौरतलब है कि यहां के कई मंदिर अतिप्राचीन हैं। इसमें से महादेव एवं श्रीराम मंदिर सरकारी हैं। जिन्हें बबूलगांव में स्थापित किया जाना है। इसके साथ ही कमलदास महाराज का आश्रम भी लाखों श्रद्धालुओं की आस्था का प्रतीक है, प्रतिदिन यहां बड़ी संख्या में दूर-दूर से लोग दर्शन के लिए पहुंचते हैं। ऐसे में इनके जलमग्न होने से लोगों की श्रद्धा भी आहत होगी। गौरतलब है कि नर्मदा में पानी लगातार बढ़ता जा रहा है और धीरे-धीरे पानी घाट को डुबोते ऊपर की ओर बढ़ रहा है, लेकिन प्रशासनिक स्तर पर अभी तक यहां के मंदिरों से मूर्तियों को विस्थापित करने की दिशा में कोई कदम नही उठाया जा सका है।
महादेव एवं श्रीराम मंदिर है खास
वैसे तो कोटेश्वर में कई मंदिर अतिप्राचीनता का महत्व लिए खडे ह,ै लेकिन कुछ मंदिरों का यहां अपना ही अलग ही स्थान है। महादेव एवं श्रीराम मंदिर इसमें प्रमुख है। यह दोनों ही मंदिर लगभग 200 साल पुराने हंै। महादेव मंदिर के समीप पानी पहुंचने लगा है। वहीं श्रीराम मंदिर नर्मदा के समीप है। दोनों ही मंदिर श्रद्धालुओं के लिए दर्शन का विशेष केंद्र हैं। ऐसे में इन मंदिरों को विस्थापित किया जाना आवश्यक है।
कनकबिहारी आश्रम का
भी हो विस्थापन
नर्मदा के एकदम पास संत कमलदास महाराज का कनकबिहारी आश्रम प्रसिद्ध है। इस आश्रम के विस्थापन को लेकर प्रशासन को अब तक सफ़लता नहीं मिली है। जानकारी के मुताबिक आश्रम को गेबीनाथ मठ में जगह दी जा चुकी है। अधिकारियों का कहना है कि आश्रम को गेबीनाथ मठ में पर्याप्त जगह दी जा चुकी है। हटाना उनका काम है। गौरतलब है कि 2013 में जब नर्मदा का पानी कोटेश्वर के चारों ओर पहुंच गया था तब यहां के संत कमलदास महाराज को नाव के सहारे निकाला गया था।
& अभी मंदिर स्थल से पानी 15 फीट नीचे की ओर है। मंदिरों को हटाने की तैयारी पूर्ण है। यदि पानी बढ़ता है तो मंदिरों को हटाकर बबूलगांव में मूर्ति स्थापित की जाएगी। -राजेश पाटीदार,तहसीलदार, कुक्षी
& श्रम के लिए जगह दी जा चुकी है। उन्हें शिफ्ट हो जाना चाहिए। हो सकता है पानी बढ़े तब हटें। – रिशव गुप्ता, एसडीएम, कुक्षी
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो