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दुर्दशा का शिकार रानी रूपमती का दीप स्तंभ

locationधारPublished: Jul 09, 2018 11:01:43 pm

धरमपुरी के नागेश्वर में स्थित है रानी रूपमती का दीप स्तंभ

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दुर्दशा का शिकार रानी रूपमती का दीप स्तंभ

धरमपुरी. नर्मदा नदी के किनारे धर्मराज युधिष्ठिर द्वारा स्थापित किए गए धरमपुरी नगर में आज भी अनेक ऐतिहासिक, पौराणिक धरोहरें विद्यमान हैं। इनमें से अधिकांश धरोहरें उपेक्षा के कारण दुर्दशा का शिकार हो रही हैं। धरमपुरी नगर को रानी रूपमती की जन्म स्थली होने का भी सौभाग्य प्राप्त है, लेकिन ये दुर्भाग्य ही है कि नगर के नागेश्वर में स्थित रानी रूपमती का दीप स्तम्भ उपेक्षा के कारण दुर्दशा का शिकार हो रहा है। यदि जल्द ही उक्त धरोहर को सहेजने व संरक्षित करने की सूध नहीं ली गई तो इसके अस्तित्व को बचाना मुश्किल हो जाएगा।
धरमपुरी में नागेश्वर देवालय से पश्चिम की ओर रानी रूपमती का दीप स्तम्भ छत्री विद्यमान है। इस दीप स्तंभ का निर्माण रानी रूपमती ने माण्डवगढ़ जाने के पश्चात करवाया था। रूपमती को नर्मदा का इष्ट था और वह नित्य मांडव स्थित महल से धरमपुरी के नागेश्वर में निर्मित दीप स्तंभ पर प्रज्वलित दीप के माध्यम से नर्मदा के दर्शन करने के पश्चात भोजन ग्रहण करती थी।
कुछ दशक पूर्व तक इस दीप स्तम्भ से माण्डव का रूपमती महल दृष्टिगोचर होता था। रानी रूपमती के साथ ही इस दीप स्तम्भ की कीर्ति चतुर्दिक प्रसारित है। सामरिक दृष्टि से भी इस गगनचुंबी छत्री का अत्यधिक महत्व था। दक्षिण की ओर से आक्रमण करने वाली सेना की सूचना दीप स्तंभ के माध्यम से मांडव दुर्ग पर स्थित रूपमती के राजप्रसाद तक अग्नि संकेतों द्वारा पहुंचाई जाती थी। इस दीप स्तंभ पर दो दरवाजें बने हुए हैं तथा दीप स्तंभ के पत्थरों पर सुंदर नक्कासी की हुई है।
जगह-जगह से उखड़ रहा प्लास्टर
आज बड़े दुर्भाग्य की बात है कि धरमपुरी नगर के ऐतिहासिक गौरव के पहचान का प्रतीक रानी रूपमती का दीप स्तम्भ उपेक्षा का शिकार हो रहा हैं। दीप स्तंभ की इमारत धीरे धीरे जीर्ण शीर्ण हो रही है। दीप स्तम्भ की दीवारों पर जगह-जगह से प्लास्टर उखडऩे लगे है। लोगों ने अपने नाम लिख लिखकर दीवारों की खूबसूरती समाप्त कर दी है। दीप स्तंभ के कक्ष में कबूतर, चमगादड़ आदि पक्षियों की मौजूदगी देखी जा सकती है। कक्ष में पक्षियों के पंख आदि की गंदगी फैली रहती है। इस कक्ष के बाहर की तरफ ठीक ऊपर लगी फर्श दीवार से अलग होकर गिरने लगी है। कुछ फर्शियां गिरकर नष्ट हो चुकी है। उक्त फर्श का दीवार छोडक़र नीचे जमीन पर गिरने से जनहानि की आशंका भी बनी रहती है। हालांकि गनीमत हैं कि अभी तक कोई जनहानि नहीं हुई है। दीप स्तंभ तक पहुंचने का मार्ग भी झाडिय़ों से पटा पड़ा हुआ हैं। झाडिय़ों से होकर दीप स्तंभ तक पहुंचने के दौरान जहरीले जानवरों का भय भी बना रहता हैं।

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