जगह-जगह से उखड़ रहा प्लास्टर
आज बड़े दुर्भाग्य की बात है कि धरमपुरी नगर के ऐतिहासिक गौरव के पहचान का प्रतीक रानी रूपमती का दीप स्तम्भ उपेक्षा का शिकार हो रहा हैं। दीप स्तंभ की इमारत धीरे धीरे जीर्ण शीर्ण हो रही है। दीप स्तम्भ की दीवारों पर जगह-जगह से प्लास्टर उखडऩे लगे है। लोगों ने अपने नाम लिख लिखकर दीवारों की खूबसूरती समाप्त कर दी है। दीप स्तंभ के कक्ष में कबूतर, चमगादड़ आदि पक्षियों की मौजूदगी देखी जा सकती है। कक्ष में पक्षियों के पंख आदि की गंदगी फैली रहती है। इस कक्ष के बाहर की तरफ ठीक ऊपर लगी फर्श दीवार से अलग होकर गिरने लगी है। कुछ फर्शियां गिरकर नष्ट हो चुकी है। उक्त फर्श का दीवार छोडक़र नीचे जमीन पर गिरने से जनहानि की आशंका भी बनी रहती है। हालांकि गनीमत हैं कि अभी तक कोई जनहानि नहीं हुई है। दीप स्तंभ तक पहुंचने का मार्ग भी झाडिय़ों से पटा पड़ा हुआ हैं। झाडिय़ों से होकर दीप स्तंभ तक पहुंचने के दौरान जहरीले जानवरों का भय भी बना रहता हैं।
आज बड़े दुर्भाग्य की बात है कि धरमपुरी नगर के ऐतिहासिक गौरव के पहचान का प्रतीक रानी रूपमती का दीप स्तम्भ उपेक्षा का शिकार हो रहा हैं। दीप स्तंभ की इमारत धीरे धीरे जीर्ण शीर्ण हो रही है। दीप स्तम्भ की दीवारों पर जगह-जगह से प्लास्टर उखडऩे लगे है। लोगों ने अपने नाम लिख लिखकर दीवारों की खूबसूरती समाप्त कर दी है। दीप स्तंभ के कक्ष में कबूतर, चमगादड़ आदि पक्षियों की मौजूदगी देखी जा सकती है। कक्ष में पक्षियों के पंख आदि की गंदगी फैली रहती है। इस कक्ष के बाहर की तरफ ठीक ऊपर लगी फर्श दीवार से अलग होकर गिरने लगी है। कुछ फर्शियां गिरकर नष्ट हो चुकी है। उक्त फर्श का दीवार छोडक़र नीचे जमीन पर गिरने से जनहानि की आशंका भी बनी रहती है। हालांकि गनीमत हैं कि अभी तक कोई जनहानि नहीं हुई है। दीप स्तंभ तक पहुंचने का मार्ग भी झाडिय़ों से पटा पड़ा हुआ हैं। झाडिय़ों से होकर दीप स्तंभ तक पहुंचने के दौरान जहरीले जानवरों का भय भी बना रहता हैं।