किसी भी छात्रावास में काम की अनुमति देने की प्रक्रिया होती है। इस प्रक्रिया में मजदूरी दर पर भुगतान होता है। किसी को भी अनुमति देने की अनुशंसा पालक-शिक्षक संघ करता है, इसके बाद ये अनुशंसा सहायक आयुक्त के पास आती है। जिसकी बकायदा नोटशीट चलती है। नोटशीट पर इन्हें मजदूरी दर पर काम करने की अनुमति दी जाती है। इस नियम को धता-बता कर तत्कालीन बीईओ विजय मालवीय ने सिर्फ सादे कागज पर मजदूरों के मिले आवेदन के नीचे अनुशंसा अपनी साईन और सील से कर दी है।
इन्होंने पालक-शिक्षक संघ और वरिष्ठ अधिकारी से अनुमति ही नहीं ली। लगभग 24 लोगों को अनुमति दे दी गई। इन्हें पांच हजार रुपए का भुगतान भी होते रहा। सूत्रों के मुताबिक नए बीईओ अनिल व्यास ने नियम के खिलाफ दी गई अनुशंसा को निरस्त करते हुए सभी को काम से बंद कर दिया है।
प्रक्रिया का पालन नहीं करने पर तत्कालीन बीईओ मालवीय को नोटिस दिया था। साथ ही सारी अनुशंसाएं निरस्त कर दी गई है। मामला अब खत्म हो गया है। उन्हें मजदूरी दी गई है।
ब्रजेश पांडे, सहायक आयुक्त
ब्रजेश पांडे, सहायक आयुक्त
अधीक्षक की अनुशंसा से ही नियुक्तियां की गई है। ऐसा कोई गलत मामला नहीं है। मजदूरी पर काम करते है।
विजय मालवीय, तत्कालीन बीईओ ग्रीष्म अवकाश होने से बाहर कर दिया है। अब आवश्यकता होने पर नोटशीट चलाकर वरिष्ठ अधिकारियों को भेज देंगे।
अनिल व्यास, बीईओ धार
विजय मालवीय, तत्कालीन बीईओ ग्रीष्म अवकाश होने से बाहर कर दिया है। अब आवश्यकता होने पर नोटशीट चलाकर वरिष्ठ अधिकारियों को भेज देंगे।
अनिल व्यास, बीईओ धार