scriptपल्ला झाडऩे के लिए तौल कांटों पर सील लगाने लोक सेवा केंद्र में आवेदन का हवाला दे रहा नापतौल विभाग | Neutral department citing the application in the Public Service Center | Patrika News

पल्ला झाडऩे के लिए तौल कांटों पर सील लगाने लोक सेवा केंद्र में आवेदन का हवाला दे रहा नापतौल विभाग

locationधारPublished: Nov 11, 2019 11:22:51 am

Submitted by:

atul porwal

कानून के घपलेबाजी में मीलों दूर से चक्कर लगाने को मजबूर होगा व्यापारी, नापतौल के नए नियम से बढ़ेगी प्रदेश भर में परेशानी

पत्रिका पड़ताल
अतुल पोरवाल@धार.
यूं तो ग्राहकों को सही तौल और वाजिब माल मिले, नाप तौल विभाग के अफसरों को जमीनी स्तर पर लगा रखा है, लेकिन नए कानून के हिसाब से व्यापारियों को झंझट में डालकर नाप तौल उपकरणों का सत्यापन करवाने से दूर रखे जाने की संभावनाएं बढ़ाई जा रही है। इससे ग्राहकों के साथ भी धोखाधड़ी की संभावनाएं बढ़ जाएंगी। नए नियम लागू करने के पूर्व लोगों के सुझाव बुलवाए जाने थे, जो बुलवाए बगैर एक पक्षीय कार्रवाई करते हुए नया नियम लागू कर दिया गया।
गौरतलब है कि 25 अक्टूबर 2019 को नापतौल नियंत्रक ने एक फरमान जारी कर यह कहा कि सभी व्यापारी या नापतौल उपकरणों का इस्तेमाल करने वाले व्यक्ति को अपने उपकरणों का सत्यापन करवाने के लिए लोक सेवा केंद्र पर आवेदन करना होगा। वहां से आवेदन प्राप्त होने के बाद संबंधित व्यक्ति या व्यापारी को उपकरण लेकर नापतौल कार्यालय या शिविर में जाना होगा, जिसके बाद ही उनके उपकरणों का सत्यापन कर उन पर सील ठोंकी जाएगी। जबकि 25 सितंबर 2010 में लोक सेवा गारंटी अधिनियम लागू कर आम जनता को समय सीमा में राहत देने का उल्लेख है। बता दें कि नया नियम पूरे प्रदेश के लिए लागू किया गया है।
इसलिए हो रही लीपापोती
नए नियम के अनुसार व्यापारी या नापतौल उपकरणों का इस्तेमाल करने वाले व्यक्तियों को लोकसेवा केंद्र पर आवेदन करना होगा। जिले भर में हजारों ऐसे लोग जो लोक सेवा केंद्र से 30 से 40 किमी की दूरी पर होते हैं, जो वहां जाने पर होने वाले किराए की फिजूल खर्ची से घबराकर बैठे रहेंगे। इधर लोक सेवा केंद्र में आवेदन के बाद फिर दोबारा चक्कर लगाकर नापतौल कार्यालय या शिविर में जाना होगा, जिससे उसका दोबारा खर्च होगा। इन सब झंझटों से बचने के लिए अधिकांश लोग इस नियम से दूर रहकर अपने उपकरण सत्यापित ही नहीं करवाना चाहेंगे, जिससे ग्राहकों को कम तौल मिलने की संभावनाएं बढ़ जाएंगी। इधर मोटी कार्रवाई से कागजी खानापूर्ति करने वाले नापतौल अधिकारी भी छोटी कार्रवाई से दूर रहकर केवल लीपापोती करने में लगे रहेंगे।
नई कारगुजारी से कैसे होंगे परेशान
बता रहे हैं कि नया नियम लागू करने के पीछे नापतौल नियंत्रक का मकसद अपना पल्ला झाडऩा था। अब तक शिविर लगाकर वपारियों को नोटिस देकर मौके पर ही उपकरणों के सत्यापन के लिए बुलाया जाता था। मौके पर ही लायसेंसी लोग सर्विस कर उपकरणों का सत्यापन कर प्रमाण पत्र दे देते थे। अब लोक सेवा गारंटी अधिनियम से ना समझी के कारण व्यापारियों को आवेदन देने और प्रामण पत्र लेने के लिए लोक सेवा केंद्र के हवाले कर दिया गया। इससे व्यापारियों के चक्कर भी बढ़े और आने जाने में लगने वाला भाड़ा, लोक सेवा केंद्र का खर्चा आदि भी बढ़ जाएगा।
ऐसे रहेगा नया चक्र
उपकरण सत्यापित करवाने के लिए पहले लोक सेवा केंद्र पर आवेदन। फिर नापतौल कार्यालय या शिविर में उपकरण लेकर सत्यापन के लिए जाना। इसके बाद प्रमाण पत्र लेने के लिए फिर लोक सेवा केंद्र का चक्कर लगाना। इससे व्यापारियों की मुसिबत बढ़ जाएगी।
यह है नियम
– मैकेनिकल मशीनों(नापतौल उपकरण) का सत्यापन प्रत्येक दो वर्ष में करवाना जरूरी।
– इलेक्ट्रानिक मशीनें(नापतौल उपकरण) का सत्यापन एक वर्ष में करवाना जरूरी।

जीवन रक्षक संसाधनों का नहीं हो रहा सत्यापन
ऐसे तो गरीब और छोटे व्यापारियों पर नापतौल उपकरणों के सत्यापन करवाने का नियम लागू है और इसके लिए उन्हें नोटिस भी जारी किए जाते रहे, लेकिन जीवन रक्षक संसाधन जैसे डॉक्टरी ब्लड प्रेशर मशीन, थर्मामीटर आदि नापतौल के राजपत्र में शामिल होने के बावजूद इनका सत्यापन नहीं हो पा रहा है। बता रहे हैं कि नापतौल विभाग में अमले और संसाधनों की कमी के कारण इनका सत्यापन नहीं हो पा रहा है। ऐसे मरीजों की जांच पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं।
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