संतूर पर प्रकृति ने राग छेड़े तो सितार पर संस्कृति ने रंग जमाया
सितार और संतूर की जुगलबंदी ने श्रोताओं को देर तक बांधे रखा

धार. सितारे और संतूर के तारों से झंकृत होती आवाज को जब रागों की माला में पिरोया जाता तो उसकी मधुरता और भी बढ़ जाती है। जब ये प्रस्तुतियां परिष्कृत हाथों द्वारा दी जाएं तो कहना ही क्या। उस पर सितार और संतूर का वादन साथ हो तो बात सोने पर सुहागे के समान हो जाती है। सितार और संतूर की जुगलबंदी के खूबसूरत नमूने प्रकृति वाहने और संस्कृति वाहने ने पेश किए। कभी एक-दूसरे का साथ देने की कोशिश तो कभी प्रतिद्वंद्वी की भांति अपने वादन से श्रोताओं का दिल जीत लेने का प्रयास आयोजन में रंग जमा रहा था। फडक़े संगीत समारोह समिति धार द्वारा आयोजित पद्मश्री फडक़े संगीत समारोह में शनिवार को उज्जैन की प्रकृति वाहने और संस्कृति वाहने ने प्रस्तुतियां दी। संतूर पर प्रकृति ने राग छेड़े तो सितार पर संस्कृति ने रंग जमाया।शनिवार को शासकीय उत्कृष्ट विद्यालय पद्श्री फडक़े संगीत समारोह में सितार और सूंतर की वह जुगलबंदी देखने को मिली जो की श्रोतागण कई दिनों तक अपने जहन में रखेंगे। यहां पर युवा सितार वादिका संस्कृति वाहने एवं संतूर वादिका प्रकृति वाहने ने अपनी जुगलबंदी प्रस्तुत की। इसमें वो राग यमन में आलाप, जोड़े, झाला, ताल झपताल में बंदिश तथा द्रुतलय तीन ताल में बंदिश पेश की। दोनों बहनों ने एक से बढक़र एक प्रस्तुति दी। दोनों बहनें अपने पिता लोकेश वाहने (प्राध्यपक, शासकीय स्नातक महाविद्यालय उज्जैन) की पुत्री व शिष्या है। संस्कृति और प्रकृति विश्वविख्यात सितारवादक डॉ शाहिद परवेज के सान्निध्य में इटावा घराने की बारीकियों की तालीम ले रही है। ताल योगी पंडि़त श्रुश तलवरकर से भी ताल का प्रशिक्षण व मार्गदर्शन प्राप्त कर रही है। दोनों बहन की जुगलबंदी में तबले पर संगत निशांत शर्मा ने दी।
कार्यक्रम में स्थानीय प्रस्तुति भी हुई जिसमें शिवम मालवीय ने तबले की प्रस्तुति दी।
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