धार आदिवासी जिला है, लेकिन जिस तरह बदनावर तहसील आदिवासी मुक्त है, धार भी होना चाहिए। धार तहसील भी सामान्य घोषित हो जाए तो विकास में तेजी आएगी। जमीन का हस्तांतरण नहीं होने से उद्योग हो या डेवलपमेंट सब कुछ अटका पड़ा है। राकेश राजपुरोहित, समाजसेवीहर क्षेत्र में पिछड़े
कुछ वर्षों में आदिवासी जिले से जिस तरह की प्रतिभाएं उभरी हैं, क्षेत्र में मेडिकल, इंजीनियरिंग कॉलेज की खासी जरूरत महसूस होने लगी है। विकास के लिए पीथमपुर में स्थापित सभी कंपनियों के कार्यालय जिला मुख्यालय पर होने चाहिए। वीरेंद्र जैन, अध्यक्ष दिगंबर जैन समाज
हो रहा शोषण
हमसे सस्ते दाम पर दूध खरीदने वाली कंपनियां केवल हमारा शोषण कर रही हैं। पहले दूध का दाम 6.6 रु, प्रति फैट दिया जा रहा था उसे अब 4.8 रुपए कर दिया। सरकार को चाहिए कि दुग्ध व्यवसाय को भी समर्थन मूल्य के दायरे में लाए, जिससे हमारा शोषण ना हो। -लक्ष्मणसिंह राजपूत, दुग्ध उत्पादक
कैलाशचंद्र शर्मा, पूर्व सरपंच, तिरला
शमशेरसिंह यादव, खेल प्रशिक्षक
राधेश्याम सेन, जिला अध्यक्ष सेन समाज
देवराम जोशी, होटल व्यवसायी
तरूण परमार, युवा
आशीष यादव, सामाजिक कार्यकर्ता
मौसम जैन, व्यवसायी
हुकम कासलीवाल, सामाजिक कार्यकर्ता
बंशीलाल अग्रवाल, व्यवसायी
प्रतीक मेघनानी, कारोबारी।