सफाई कर्मियों ने शनिवार के दिन काम करना पूर्ण रूप से बंद कर दिया। अखिल भारतीय सफाई मजदूर संघ के महेंद्र आदिवाल ने बताया कि नगर परिषद के जवाबदार सैकड़ों सफाई कर्मियों के परिवारों का शोषण कर रहे हैं। इसलिए वेतन नहीं मिलने से कड़ी धूप में धरना आंदोलन कर रहे हैं। अब नगर में हालात यह है कि चारों तरफ गंदगी के ढेर पड़े हैं। सफाई व्यवस्था बंद होने से पूरी नगर की अन्य व्यवस्थाएं भी चरमरा गई है। लोग जमकर परिषद और परिषद के जवाबदारों को कोस रहे हैं।
निराकरण करने वाला कोई जवाबदार नहीं : सफाई कर्मियों ने बताया कि स्थाई सफाई कर्मियों का तीन माह का वेतन दिया जाए। नियमित सफाई कर्मियों को चार माह का वेतन दिलाया जाए। दैनिक सफाई कर्मियों को छह माह का वेतन दिलाया जाए। साथ साप्ताहिक सफाई कर्मियों को लगभग आठ माह का वेतन दिलाया जाए। इसके बाद ही काम पर लौटेंगे। उन्होंने बताया कि 24 माह की बकाया जीपीएफ राशि काट ली गई है, परंतु कार्यालय में मौजूद बाबूओं ने खाते में जमा नहीं की जाती। साथ किसी प्रकार की राशि का भुगतान नहीं किया गया। मूलभूत सुविधाएं के लिए परेशान सफाई कर्मी विगत कई वर्षों से परेशान हो रहे हैं, लेकिन जवाबदार उनकी नहीं सुनते। आखिरकार फिर नगर की सफाई व्यवस्था बंद कर दी गई।
प्रकरण दर्ज कराने की धमी
विरोध करने वाले सफाई कर्मियों ने बताया कि पूर्व में भी अपनी बात रखने के लिए नगर परिषद गए थे, लेकिन हम पर दबाव बनाने के लिए झूठा प्रकरण दर्ज कराने की बात कही जाती है। पूर्व में भी हमारे आंदोलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे जवाबदारों पर झूठा प्रकरण दर्ज करवा दिया। नगर परिषद सीएमओ माया मंडलोई भी ध्यान नहीं दे रही है। इतना ही नहीं पक्ष जानने के लिए फोन करने पर वे रिसीव तक नहीं करती है।
विरोध करने वाले सफाई कर्मियों ने बताया कि पूर्व में भी अपनी बात रखने के लिए नगर परिषद गए थे, लेकिन हम पर दबाव बनाने के लिए झूठा प्रकरण दर्ज कराने की बात कही जाती है। पूर्व में भी हमारे आंदोलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे जवाबदारों पर झूठा प्रकरण दर्ज करवा दिया। नगर परिषद सीएमओ माया मंडलोई भी ध्यान नहीं दे रही है। इतना ही नहीं पक्ष जानने के लिए फोन करने पर वे रिसीव तक नहीं करती है।