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इस बार डूब प्रभावित गांव के वौराहों पर चस्पा होगी मुआवजा ले चुके प्रभावितों की सूची

locationधारPublished: Jul 14, 2019 12:02:54 pm

Submitted by:

atul porwal

बांध की डूब में आने वाले जिले के गांव वाले डूब प्रभावितों का हल्ला सुन प्रशासन ने कसी कमर, हल्ले पर निगरानी के लिए एसपी को सौंपी मुआवजा ले चुके डूब प्रभावितों की लिस्ट

Dhar

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पत्रिका एक्सक्लूसिव
अतुल पोरवाल@धार.
पिछले वर्ष प्रशासन ने डूब में आने वाले उन लोगों की सूची बनाई थी, जो जमीन के बदले मुआवजा ले चुके हैं। इस सूची के हिसाब से बचे प्रभावितों को मुआवजा देने के साथ उन्हें आ रही परेशानियां समझना था। दूसरा मकसद यह था कि हर साल बारिश के समय डूब प्रभावित अपनी परेशानियों को लेकर डिमांड करते हैं, जिससे हल्ला होता है। इस हल्ले पर नजर रखने के लिए कलेक्टर ने पिछले साल ही डूब प्रभावितों की सूची गांव-गांव चस्पा करने की योजना बनाई थी, जिससे हल्ले में शामिल उन लोगों की पहचान की जा सके, जो मुआवजा लेकर फिर परेशानी खड़ी कर रहे हैं। हालांकि कम बारिश के कारण यह योजना धरी रह गई, लेकिन इस बार कलेक्टर कोई खामियाजा नहीं उठाना चाहते हैं। डूब का मीटर इस बार बदलकर नर्मदा में 138.68 मीटर पानी का जमाव हो गया है। उन्होंने पिछले वर्ष की सूची को इस वर्ष से अपग्रेड कर नई सूची तैयार कर ली है, जिसकी एक प्रति एसपी को भी सौंप दी गई। इस सूची की प्रतियां सभी डूब वाले गांव के चौराहों पर चस्पा की जा रही है, जिससे वे लोग शांत रहे, जिनका नाम मुआवजा ले चुके डूब प्रभावितों की सूची में नाम है।
गौरतलब है कि सरदार सरोवर बांध की जद में आए मध्यप्रदेश के कई जिलों में मालवा-निमाड़ के खरगोन, बड़वानी, धार और आलीराजपुर जिले भी शामिल हैं। इनमें सबसे अधिक डूब क्षेत्र धार जिले का है, जहां नर्मदा का लेवल 138.68 मीटर होने पर 62 गांव के करीब 4500 परिवार डूब की जद में बताए गए हैं। इनमें से अधिकांश डूब प्रभावित परिवारों को मुआवजा मिल चुका है, लेकिन हर साल नई मांग लेकर सरकार और जिला प्रशासन पर दबाव बनाने वाले प्रभावित फिर इक_ा होने लगे हैं। नर्मदा बचाओ आंदोलन की प्रणेता मेधा पाटकर चाहती है कि कोई प्रभावित मुआवजे से वंचित ना रहे और उन्हें मिली जमीन व मकान का मुआवजा पूरा मिले। लेकिन इसकी आड़ में कई ऐसे प्रभावित भी हल्ला मचाते हैं, जो मुआवजा लेकर डूब के बाहर मिली जमीन पर मकान भी बना चुके हैं।
दो अलग रंगों में है डूब प्रभावितों के नाम
इस वर्ष हल्ला मचाने वालों पर नजर रखने के लिए डूब वाले सभी गांव की लिस्ट में उन लोगों या परिवारों के नाम अलग रंग से लिखे गए, जो अब तक मुआवजे से वंचित हैं। दूसरे रंग से लिखे वे नाम हैं, जो मुआवजा प्राप्त कर मकान बना चुके हैं या कहीं और बस चुके हैं। इससे गांव के हर किसी को इस बात का पता चल सके कि कौन मुआवजा लेने के बाद भी अपनी साख जमाने के लिए फिर हल्ला कर रहा है। हालांकि प्रशासनिक तौर पर इसे जाहिर नहीं किया जा रहा है बल्कि यह कहा जा रहा है कि इससे मुआवजा लेने वाले लोगों की पहचान हो सकेगी।
कोई गलती नहीं करना चाहता प्रशासन
हालांकि मानसून विभाग इस बार भी सामान्य बारिश बता रहा है, जिससे सरदार सरोवर बांध की जद में आने वाले धार जिले के गांव डूब से बाहर रहने की उम्मीद है। लेकिन जिला प्रशासन अब कोई गलती नहीं करना चाहता है। इस बार पूरी अहतियात के साथ मुआवजा ले चुके डूब प्रभावितों की लिस्ट तैयार कर डूब प्रभावित गांवों के सार्वजनिक चौराहों पर चस्पा करने के साथ ही पुलिस अधीक्षक को भी सौंपी जा रही है। इससे आने वाले दिनों में डूब प्रभावित क्षेत्र के कोलाहल पर नियंत्रण रखा जा सके।
दो साल पहले दिखाई थी सख्ती
बता दें कि दो साल पहले सरदार सरोवर बांध का शिलान्यास होकर पानी का जमाव शुरू हो चुका है। इससे धार जिले की तीन तहसीलों (कुक्षी, मनावर, धरमपुरी) के करीब 62 गांव डूब में है। हालांकि प्रशासन पूरी तरह डूब में आने वाले केवल 50 गांव बता रहा है।
इस वर्ष 40 गांव का आकलन
इस बार की बरसात में 40 गांव डूबने की कगार पर बताए जा रहे हैं। जिले की तीनों महसीलों के 50 गांव में कुल प्रभावित 4500 परिवार बताए जा रहे हैं, जिनमें मकान और खेतीहर किसान शामिल हैं। धार कलेक्टर श्रीकांत बनोठ का कहना है, वे यह नहीं चाहते कि कोई प्रभावित मुआवजे से वंचित रहकर भी पुराना घर खाली करे, लेकिन जो मुआवजा ले चुके हैं, वे बेकार हल्ला कर परेशानी खड़ी ना करे।
ये हैं मुआवजा ले चुे प्रभावितों का आंकड़ा
डूब प्रभावितों को मुआवजा देने के लिए तीन पैकेज बनाए गए थे। इनमें पहला 60 लाख, दूसरा 15 लाख तथा तीसरा पैकेज 5 लाख 80 हजार रुपए का है। 60 व 15 लाख वाले पैकेज जमीन का मुआवजा है, जो नर्मदा विकास प्राधिकरण द्वारा कोर्ट के मार्फत दिया जाता है।
प्रशासनिक सूत्र बता रहे हैं कि 15 लाख के मुआवजे में आने वाले 809 प्रभावितों में से 505 प्रभावित मुआवजा ले चुके हैं। जबिक बचे प्रभावितों की कुछ और मांगें हैं। इधर नर्मदा सेल के अनुसार मकान बनाने वाले 5 लाख 80 हजार वाले पैकेज में आने वाले 3697 प्रभावितों में से 3690 मुआवजा ले चुके हैं, लेकिन हर साल वर्षाकाल में होने वाले हल्ले में ये लोग भी शामिल हो जाते हैं। अब तक एनवीडीए 60 लाख मुआवजे वाले प्रभावितों की सूची यह कहकर जारी नहीं कर रहा है कि मामला कोर्ट में है।
कहां कितने गांव डूबने का प्रशासनिक आकलन
1. 31 अगस्त तक नर्मदा का स्तर 134 मीटर पर पहुंचा तो जिले के 12 गांव डूब में।
2. 30 सितंबर तक नर्मदा का जल स्तर 135 मीटर पहुंचा तो जिले के और 5 गांव डूब में।
3. 15 अक्टूबर तक नर्मदा का जल स्तर 138.68 मीटर पहुंचा तो जिले के और 14 गांव डूब में।
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