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नवंबर में होने वाला सर्वेक्षण, मुंह फाड़ रहे टूटे दरवाजे

locationधारPublished: Oct 19, 2019 11:31:55 am

Submitted by:

atul porwal

कायाकल्प की कांपिटिशन में हिस्सा लेने लायक नहीं जिला अस्पताल

नवंबर में होने वाला सर्वेक्षण, मुंह फाड़ रहे टूटे दरवाजे

नवंबर में होने वाला सर्वेक्षण, मुंह फाड़ रहे टूटे दरवाजे

पत्रिका एक्सपोज
अतुल पोरवाल@धार.
हर साल की तरह इस वर्ष भी जिला अस्पताल का कायाकल्प में सर्वेक्षण होने वाला है और अब तक की स्थिति में जिला अस्पताल कांपिटिशन के लायक नजर नहीं आ रहा है। कहीं दरवाजे टूटे पड़े हैं तो कई टूटी खिड़कियां मुंह चिढ़ा रही है। इधर बारिश का बहाना बनाकर चुप बैठे अस्पताल के सर्वेसर्वा बारिश बंद होने के बाद भी नहीं जागे। अब तक जिला अस्पताल में सुधार कार्य शुरू नहीं हो पाया और सिविल सर्जन सीएसआर मद से निजी कंपनियों पर भरोसा जमाए बैठे हैं। बता रहे हैं कि कायाकल्प का पहला सर्वेक्षण नवंबर माह में संभावित है, जबकि 17 अक्टूबर तक जिला अस्पताल बेइंतजामी का जामा पहने मैनेजमेंट की पोल खोल रहा है।
ये है कायाकल्प के मापदंड
1. फर्नीचर- सर्वेक्षण में अस्पताल के फर्नीचर देखा जाता है, जिसकी क्वालिटी और उसके उपयोग को परखा जाता है।

ये हैं हाल-जिला अस्पताल में टूटे पलंग पर ईलाज करवा रहे मरीजों की कमर टूट रही है, क्योंकि नए पलंग की कमी के कारण अब भी पुराने पलंग का सहारा लिया जा रहा है। इधर काफी मात्रा में टूटे फर्नीचर को सुधरवाने के बजाय उसे लगह-लगह फैला रखा है, जिससे अस्पताल के कई कमरे और वार्ड तक खराब फर्नीचर से भरे पड़े हैं।
2. रंगरोगन- कायाकल्प योजना में अस्पताल का रंगरोगन भी परखा जाता है। इससे यह अंदाजा लगाया जाता है कि अंदर के इंतजाम भी ठीक होंगे।

ये हैं हाल-जिला अस्पताल का बाहरी हिस्सा भी बदरंग हो रहा है, जिसको लेकर अस्पताल प्रबंधन में संजीदगी नजर नहीं आ रही है। अस्पताल मैनेजमेंट को उम्मीद है कि कलेक्टर ने पहल की हे तो कोई ना कोई कंपनी सीएसआर मद से अस्पताल का रंगरोगन भी करवाएगी।
3. इंफ्रास्ट्रक्चर- कायाकल्प में अस्पताल भवन को भी जांचा जाता है। पहले सर्वेक्षण में यह देखा जाता है कि अस्पताल मैनेजमेंट के लिए जिम्मेदार कितने संजीदा हैं और वे क्या काम कर रहे हैं।
ये हैं हाल- जिला अस्पताल का जीर्णोद्धार करने के लिए कलेक्टर की पहल पर अब तक डेढ़ दर्जन निजी कंपनियां मौका मुआयना कर चुकी हैं। करीब 107 साल पुराने भवन में संचालित जिला अस्पताल की हालत काफी खराब है। कई दीवारों में दरारें तो कई टूटी जालियां कायाकल्प की कांपिटिशन से बाहर कर रही है। संभावना है कि अगले महीने की 15 तारीख तक कायाकल्प का पहला सर्वेक्षण होगा, जबकि अब तक सुधार के लिए कोई योजना नहीं है।
पिछली बार मिला था फास्ट इंप्रूविंग अवार्ड
प्रदेश भर के जिला अस्पतालों की दौड़ में शामिल होने और पहला पायदान छूने के लिए पिछले साल करीब 18 लाख रुपए खर्च किए गए थे। इस रकम से ना केवल रंगरोगन बल्कि छोटी-मोटी टूटफूट भी सुधरवाई गई थी। बावजूद इसके कुछ हासिल नहीं हुआ। हां स्वास्थ्य विभाग ने प्रोत्साहित करने के लिए जिला अस्पताल को फास्ट इंप्रूविंग अवार्ड से नवाजा ताकि वे आगे और अच्छा काम कर मुकाम हासिल कर सके। लेकिन अब तक के हाल से फास्ट इंप्रूविंग अवार्ड हासिल करने की स्थिति भी नजर नहीं आ रही है।
क्या कहते हैं सिविल सर्जन डॉ. एमके बौरासी
सवाल-कायाकल्प में शामिल होने के लिए क्या तैयारी है।
जवाब- इस बार काफी ज्यादा बारिश हुई और देर तक चली इसलिए अब तक कोई तैयारी नहीं। लेकिन एक-दो दिन में काम शुरू करेंगे।
सवाल-रंगरोगन की बात करें तो जिला अस्पताल भवन की स्थिति काफी खराब है। क्या कर रहे हैं।
जवाब-मेटरनिटी वार्ड में रंगरोगन का काम शुरू कर दिया है। बाकि भवन के लिए पीडब्ल्यूडी को पत्र लिखा है और कलेक्टर से भी निवेदन करेंगे ताकि पूरे भवन पर नया कलर हो जाए।
सवाल- पुराना फर्नीचर अलग-अलग कमरों में ठूंस रखा है। इसमें बहुत सारा फर्नीचर अच्छा भी है और कुछ सुधार लायक भी है। क्या तैयारी है।
जवाब-हमने पुराने फर्नीचर को बारिश से बचाने के लिए कमरों में जमा यिका था। पानी लगने से लकड़ी का फर्नीचर सुधार लायक भी नहीं बचता और लोहे के फर्नीचर में जंग लग जाता। अब पूरे फनर््ीचर को निकलवाकर सुधरने जेसा ठीक करवाएंगे और बाकि फर्नीचर को रोगी कल्याण समिति के निर्देशन में निर्णय अनुसार वेस्टेज में डाल देंगे।
सवाल-नवंबर में कायाकल्प का पहला सर्वेक्षण संभावित है और अब तक कुछ भी काम शुरू नहीं हो सका। क्या इस बार प्रतियोगिता से बाहर रहने का ईरादा है।
जवाब- मेने पहले भी कहा कि लंबे समय तक चली तेज बारिश के कारण अब तक काम शुरू नहीं हो सका था। एक-दो दिन में ही काम शुरू कर देंगे। प्रदेश में अपने अस्पताल को अच्छा स्थान दिलाने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ेंगे।

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