मांडू नालछा में सजती है मंडियां
मांडू का सीताफल जिसके मीठे स्वाद की है दुनिया दीवानी
आ गया मांडू के मेवे सीताफल का सीजन…..देश, विदेश में जाता है फल (देखे वीडियो)
कपिल पारीख मांडू. अपने विशिष्ट स्वाद और मिठास के कारण मांडू का सीताफल दुनिया भर में प्रसिद्ध है। देशभर में सीताफल के शौकीन मांडू में सीताफल का सीजन शुरू होते ही मीठे स्वाद को चखने के लिए मांडू से सीताफल बुलाते हैं। आम हो या खास हर कोई इसका शौकीन है! मांडू से सीताफल देश के कई बड़े शहरों के तक पहुंचता सीताफल। करोड़ों का कारोबार भी सीताफल के माध्यम से होता है। मांडू के गरीब आदिवासी वर्ग के लिए सीताफल का व्यवसाय उन्हें रोजगार में संजीवनी भी प्रदान करता है। अक्टूबर और नवंबर 2 माह में मांडू सीताफल की बहार आती है।
पहाड़ी क्षेत्र और शुष्क जलवायु होने के कारण मांडू के सीताफल का आकार और स्वाद सबसे अलग है। दुनिया में सीताफल की मांग कितनी है इसका इस बात से पता लगाया जा सकता है कि वर्ष पर यहां सीताफल के व्यापारी सक्रिय रहते हैं और स्थानीय लोगों के संपर्क में रहते हैं।
मांडू में है सीताफल के बगीचे हिमाचल में सेवफल के बगीचों के जैसे मांडू में भी सीताफल के कई बगीचे हैं जिनमें हजारों सीताफल के पेड़ हैं। प्रतिवर्ष इन बगीचे की बोलियां भी लगती है जिससे निजी संस्थाओं और शासन को हजारों रुपए की राशि मिलती है। मांडू से जोधपुर ,जयपुर ,अहमदाबाद ,इंदौर ,पुणे ,मुंबई ,हैदराबाद सीताफल भेजा जा रा है। विदेशों में भी मांडू का सीताफल एक्सपोर्ट किया जाता है।
मिठाई भी बन रही है समय के साथ.साथ सीताफल की मांग और उपयोग भी बढ़ रहा है । सीताफल का उपयोग मिठाई निर्माण में विशेष तौर पर किया जाने लगा है कई तरह की मिठाइयां सीताफल के माध्यम से बनकर बाजारों में आती है इसका शेक भी दुनियाभर में पसंद किया जाता है। सीताफल से जुड़े व्यवसायियों के अनुसार कुछ औषधियों में भी सीताफल और उसके बीजों का उपयोग होता है। सीताफल के पेड़ मांडू में प्राचीन काल से हैं जो यहां कहते हैं उसका भी एक सशक्त जीवंत उदाहरण है।