scriptयहां मकानों में भी है सोशल डिस्टेंस | There is also a social distance in houses | Patrika News

यहां मकानों में भी है सोशल डिस्टेंस

locationधारPublished: Apr 22, 2021 12:24:36 am

Submitted by:

shyam awasthi

ग्राम पंचायत कुसमला के अंतर्गत आने वाले 12 गांव में एक भी संक्रमित नहीं

यहां मकानों में भी है सोशल डिस्टेंस

मेहमान आने पर घर के बाहर खुले में खाट दूर लगाते है साथ मास्क का भी रखते है विशेष ध्यान।

धामनोद. महामारी से बचने के लिए सोशल डिस्टेंस जरूरी है, लेकिन धामनोद के आसपास कई ऐसे गांव हैं, जिनके मकानों में भी सोशल डिस्टेंस बनी हुई है। साथ ही इन गांवों में रहने वाले बीमारी को लेकर काफी जागरूक है। सावधानी बरतने पर इन गांवों में आज तक एक भी संक्रमित नहीं मिला है। ये लोग प्रकृति के साथ आज भी आनंद में जीवन बिता रहे है।
धामनोद से 10 किलोमीटर दूर कुसुमला पंचायत के अंतर्गत 12 गांव आज भी करोना से दूर हैं। ना तो यहां कोई संक्रमित है न ही कोई बीमार। गांव में आज भी लोग खुश हैं। खेती-बाड़ी कर अपना गुजर-बसर कर रहे हैं लेकिन कहीं से कहीं तक संक्रमण नहीं है। खुली हवा के नीचे 4000 से भी अधिक आबादी वाले यह 12 मोहल्ले और रहने वाले यहां के लोगों ने अब शहर से भी दूरी बना ली। कहते हैं शहर में जाते हैं तो भय रहता है। संक्रमण हमारे यहां नहीं है क्योंकि शहर से ज्यादा नियमों का पालन तो हम करते हैं। इसी बचाव के चलते हम सुरक्षित हैं।
मास्क नहीं तो महिलाओं ने गले के दुपट्टे मुंह पर डाल कर किया बचाव
पुरुष ही नहीं गांव की महिलाएं भी सक्रिय हैं। बीमारी गांव तक ना पहुंचे। इसलिए बचाव के लिए हर संभव प्रयत्न करते हैं गांव में मास्क नहीं है तो कपड़ों से ही मास्क बनाकर मुंह को ढंक कर रहते हैं। एक तरफ जहां शहरों में पुलिस डंडा चलाकर मास्क लगाने की हिदायत देती है। गांव में सब विपरीत है। गांव के लोग नियमों का पालन भी करते हैं दूर-दूर बैठते हैं जिससे अब वह संक्रमण से कोसों दूर है।
सबसे प्रमुख कारण मकानों की दूरी
12 गांव के हनुमानपुरा के मांगीलाल बुंदेला ,संतोष बुंदेला ने बताया कि गांव में संक्रमण इसलिए भी नहीं फैल रहा कि प्रमुख कारण यह है कि गांव में जो मकान बने हैं वह सब दूर-दूर है । एक भी मकान आपस में चिपका हुआ नहीं है । हर मकान से की दूरी करीब सौ से डेढ़ सौ फीट है । सब लोग अपने अपने घरों में अपनी खेती बाड़ी का कार्य करते हैं इसलिए भी सुरक्षित है जिससे सोशल डिस्टेंसिंग का पालन स्वत: ही हो जाता है।
गांव में बच्चे पेड़ों पर खेलते हैं गाय को करते हैं दुलार
कुसुमला पंचायत अंतर्गत हनुमानपुरा के गांव में बच्चे भी खुश हैं । वह घर से तो निकलते हैं कोई पेड़ पर खेलता हुआ दिखाई देता है तो कोई अपने घर में गाय को दुलार करता हुआ । यह सब बिना किसी खौफ के हो रहा। उन्होंने बताया कि रूखी सूखी रोटी खा लेंगे लेकिन अभी जो हालात है ऐसे हालातों में शहर की तरफ जाना बिल्कुल ठीक नहीं है। गांव के प्रबुद्ध लोग अन्य लोगों को भी हिदायत देते हैं कि शहर में बिल्कुल ना जाए इसीलिए पूरा गांव सुरक्षित है जबकि शहर में लोग आज भी मनमानी कर रहे जिसका खामियाजा करोना संक्रमण की चेन के बढ़ते रूप में देखा जा रहा है।
शिक्षा में भी आगे है बेटियां
रा स्ते में प्रीति राधेश्याम बुंदेला से मुलाकात हुई । जिसके हाथ में पुस्तक और बेग था। मीडिया कर्मियों ने पूछा कि कहां से आ रही हो तो कहने लगी स्कूल पेपर लेने के लिए गई थी। वहां से पेपर लाकर घर ही हल करूंगी । जब गांव में शिक्षा संबंधित बात पर से बालिका पूछा गया तो कहा कि हमारी शिक्षा में अभी तक कोई कमी नहीं आई। हमारे तो गांव में ही हाई स्कूल है । 12 गांव के बच्चे यही पढ़ते हैं हम घर से ही पढ़ाई करते हैं । वायरस हम तक नहीं पहुंचे इसके लिए हम सुरक्षा का पूरा ध्यान रखते हैं।
अब शहर में जाते नहीं
प हले दवाई के लिए धामनोद जाते थे लेकिन जब से बीमारी ने रौद्र रूप धारण किया है । अब 15 दिन से अधिक समय हो गया गांव के लोग शहर में नहीं जाते खेती-बाड़ी के लिए यदि खाद की आवश्यकता होती है तो गोबर का खाद देकर फसलों को बड़ा कर रहे हैं। गांव में पशुओं का गोबर हर घर से अपने एक तय स्थान पर एकत्रित किया जाता है । अब यही गोबर खाद के रूप में काम आ रहा है जो फसलों के लिए वरदान साबित हो रहा है।

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो