scriptआदिवासी लोकसंस्कृति  पर्व भगोरिया का आगाज आज से | Tribal public culture festival | Patrika News

आदिवासी लोकसंस्कृति  पर्व भगोरिया का आगाज आज से

locationधारPublished: Mar 14, 2019 12:27:49 am

Submitted by:

amit mandloi

– क्षेत्र में होगा आनंद उल्लास का संचार

mela

file chitra

प्रदीप अगाल
बाग/कुक्षी. जिले के सबसे बड़े आदिवासी लोकपर्व भगोरिया का गुरुवार से आगाज होगा और मांदल की मीठी थाप सुबह से लेकर देर रात तक हर किसी को थिरकने पर मजबूर कर देगी। पूरे जिले के 13 ही ब्लॉकों में 45 से अधिक भगोरिया हाट की धूम 20 मार्च तक रहेगी। प्रतिदिन पूरे सप्ताह अलग-अलग गांवों में भगोरिया हाट भराएंगे । इसके साथ ही भरपूर आनंद उल्लास का वातावरण भी दिखाई देगा। इन सबके बीच पुलिस प्रशासन को भी चौकन्ना रहना होगा। भगोरिया में जेबकतरों के अलावा राहगीरों से लूटपाट के साथ आपसी द्वेषता के मामले भी सामने आते रहे है, जिससे कानून व्यवस्था पर अंगुलियां भी उठती रही है। ऐसे में पुलिस के लिए 15 दिन भगोरिये से होली तक सतर्क रहना जरूरी है।
इंदौर संभाग में सबसे अधिक भगोरिया हाट धार जिले में आयोजित होते हैं। जिले के तिरला के समीपस्थ ग्राम सुल्तानपुर में महाशिवरात्रि के दिन ढोल-मांदल की थाप तो अमावस्या पर बडक़ेश्वर महादेव मेले में आदिवासी समाज के लोग गैर निकाल कर भगोरिया पर्व का आगाज करते है। इसके बाद जिले में विभिन्न स्थानों पर भगोरिया पर्व का दौर शुरू होता है। प्रमुख भगोरियों में डही, बाग, कुक्षी, गंधवानी, अमझेरा, टांडा, कालीबावड़ी, उमरबन, लोंगसरी प्रमुख है।
पलायन कर चुके आदिवासी घर लौटेंगे
होली दहन के पूर्व से शुरु होने वाला भगोरिया पर्व सात दिन तक चलता है। आदिवासी लोक संस्कृति से लबरेज भगोरिया हाट में शामिल होकर हरेक आदिवासी समाजजन अपनी संस्कृति के रंग में रंगने के लिए लालायित रहता है। इसे देखते हुए काम की तलाश में अन्यत्र गए मजदूर वर्ग भी अपने घरों को लौटना शुरू कर देते है। भगोरिया हाट बाजार में आदिवासी अपने पूरे परिवार के साथ फलिये और गांव वाले एक साथ शामिल होकर उन्माद, उल्लास, आनंद में नजर आते हैं। ढोल-मांदल की थाप पर लोक गीतों के स्वर गूंजते हैं तो ताड़ी की तरंग और मांदल की थाप पर मस्ती में डूबे युवा कदमों की थिरकने से पूरे वातावरण को उल्लास से सरोबार कर देती है।
हावी हो गई है आधुनिकता
सज-धजकर. आकर्षक वेशभूषा में युवक-युवतियां भगोरिया हाटों में शामिल होकर भरपूर आनंद उल्लास का संचार करेंगे। यूं तो लोक संस्कृति पर आधुनिकता निरंतर हावी होती जा रही है। पहनावे में बदलाव के बावजूद साफे और एक कलर की साडिय़ों में महिलाएं भगोरिये में लोकपर्व की आदिवासी संस्कृति को जीवित रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।
जिले में प्रमुख भगोरिया हाट

14 मार्च – डही, रिंगनोद, दत्तीगांव, गुजरी, बाकानेर, सिंघाना, सुन्दरेल, ढोलिया
15 मार्च – धामनोद, मनावर, पडिय़ाल, धरमराय जौलाना, गिरवांनिया, निंबोल।

16 मार्च – कवड़ा व बाबली (डही), खलघाट, उमरबन, मांडव।
17 मार्च- गंधवानी, टांडा, राजगढ़, बड़वान्या (डही)।
18 मार्च- बाग, निसरपुर, डेहरी, फिफेडा (डही), धानी, गुमानपुरा।

19 मार्च कुक्षी, कारजवानी(डही), धरमपुरी, तिरला, लोंगसरी, नालछा।
20 मार्च – अराड़ा(डही), सुसारी,सरदारपुर, सलकनपुर, कालीबावड़ी।

6 स्थानों पर गलचूल मेला भी भरता है
भगोरिया हाट के पश्चात होली पर्व पर जिले के केशवी, भोपावर, टिमायची, दसई, सगवाल व लेडग़ांव में गलचूल का मेला लगता है। यहां मन्नतधारी गल पर चढ़ते हैं और दहकते अंगारों पर चलते हैं और अपनी मान मन्नत पूरी करते है।
नेता भी शामिल होंगे मांदल बजाएंगे और नाचेंगे भी
भगोरिया हाट में नेता भी लाव लश्कर के साथ शामिल होते है और ढोल-मांदल वालों को प्रोत्साहन स्वरूप राशि भेंट कर उनका उत्साह बढ़ाते है। जिले के दोनों मंत्रियों उमंग सिंघार और हनी बघेल के अलावा विधायक प्रताप ग्रेवाल, पाचीलाल मेड़ा, डॉ. हीरा अलावा तो भाजपा की रंजना बघेल, कालूसिंह ठाकुर, वेलसिंह भूरिया, मुकामसिंह किराड़े, संजय बघेल, वीरेंद्र बघेल, जयदीप पटेल सहित जनपद अध्यक्ष और जिला पंचायत सदस्य भी बढ़चढक़र भगोरियों में शामिल होते है।
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो