स्कूली बच्चों ने रंगीन पोस्टरों से जाने ट्रैफिक के नियम
यूएन भारतीय सडक़ सुरक्षा स्कूली बच्चों की कार्यशाला
धार . बच्चों का जीवन सबसे आकर्षक और चंचल होता है। बच्चे वाहन नहीं चलाते हैं, लेकिन भारत में सडक़ दुर्घटनाओं में प्रतिदिन 56 बच्चों की मौत हो जाती है या वे अनजाने ही गंभीर रूप से घायल हो जाते हैं। स्कूली बसों के चालक और सहयोगी की लापहरवाही से ज्यादातर दुर्घटनाएं होती है। बच्चों को भी सडक़ नियम जानना और सुरक्षित यात्रा का अधिकार है। चाइल्ड लाइन का नंबर 1098 सबकों पता है। वैसे ही बच्चों को स्कूली बसों में चढऩे-उतरने, बस में सही ढंग से बैठने, सडक़ पार करने के नियम जानना जरूरी है। बच्चे बड़ों को हेलमेट पहनने व सडक़ नियम पालन करवाने में सहायक होते हैं। ये विचार जिला स्तर धार पर यूएन भारतीय सडक़ सुरक्षा स्कूली बच्चों की कार्यशाला में बाल अधिकार कार्यकर्ता व बाल कल्याण न्यायालय के सदस्य नवीन भंवर ने व्यक्त किए। इस कार्यशाला में भोज शोध संस्थान के निदेशक द्वारा 20 रंगीन पोस्टरों से बच्चों को झेब्रा क्रासिंग का उपयोग, ट्रेफिक सिग्नल के कलर व उनका परिचय, स्कूली बस में कैसे सफर करना, सडक़ पार करना आदि की जानकारी की गई।
क्विज में जीते इनाम
कार्यशाला में 13 प्रश्नों की लिखित क्विज के माध्यम से यातायात के नियमों की परीक्षा में बच्चों ने उत्साह पूर्वक भाग लिया और तत्काल इनाम जीते। संचालन पूर्व शिक्षक प्रभाकर खामकर ने किया। सहयोगी कृष्णा राठौर, पराग भौंसले और सुरेश मुवेल का योगदान रहा।
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