धारPublished: Mar 31, 2020 11:12:39 pm
shyam awasthi
बिक्री के अभाव में फसले खेतों में सडऩे लगी है
किसान फेंक रहे है या फिर पशुओं को खिला रहे है
पांच बीघा में लगा गोभी, पालक, बैंगन एवं मूली तोड़ ही नहीं पा रहे।
बदनावर.कोरोना वायरस के प्रकोप के कारण सब्जी उत्पादक किसानों की फजीहत हो गई है। बिक्री के अभाव में फसले खेतों में सडऩे लगी है। उपज की बिक्री सब्जी मंडियों में ही होती है, लेकिन बंद होने से किसान उन्हें फेंक रहे है या फिर पशुओं को खिला रहे है। खेड़ा के गोया क्षेत्र में गोपाल माली ने 5 बीघा में पालक, बेंगन एवं मूली लगा रखी है। फसल खेतों में तैयार है, लेकिन बिक्री नहीं होने से तोड़ ही नहीं पा रहे। प्रतिदिन ढाई से तीन हजार रुपए की आमद समाप्त हो गई है। माली बताते है कि बुआई से लगाकर उत्पादन आने तक 45 हजार रुपए प्रति बीघा का खर्च कर चुके है, लेकिन बिक्री नहीं होने से व्यवस्था चरमरा गई है। इसी तरह मंडी रोड स्थित सुरेश राठौड़ ने अपनी ढाई बीघा जमीन में फूलगोभी लगाए है। 10 जनवरी को बोवनी की थी, मार्च में उपज बाजार में बिकना थी, लेकिन मंडि़य़ां बंद होने एवं बिक्री के अभाव में गोभी लाल पड़ गए है, जो बिक्री योग्य ही नहीं बचे। राठौड ने बताया कि हर साल प्रति बीघा 45 हजार रुपए की आमद हो जाती है, लेकिन इस बार तो तुड़ाई ही नहीं कर पाए है जबकि फसल का लागत मूल्य 20 हजार रुपए प्रति बीघा आया है, वह भी जब घर के ही लोग काम में लगे रहते हैं।
खेतों में काम के साथ सुरक्षा और सतर्कता
रिंगनोद. लॉक डाउन अभियान में प्रशासन द्वारा ग्रामीण क्षेत्रों में प्रचार प्रसार के कारण किसान और ग्रामीण जागरूक हो गए हैं। इसी कारण किसान अपने खेतों में गेहूं, लहसुन, प्याज की फसलों को लाने निकालने में भी सुरक्षा और सतर्कता बरत रहे हैं। किसानों द्वारा मजदूरों को मास्क या रूमाल बांधने के साथ ही प्याज-लहसुन आदि निकालते समय एक मीटर से दूर-दूर बैठकर काम करने की समझाइश भी दी जा रही है। लॉक डाउन के चलते किसानों को मजबूरी में खेतों में काम करना पड़ रहा है क्योंकि उन्हें अपनी पककर तैयार गेहूं, लहसुन, प्याज आदि की फसलें खराब होने का उन्हें भय भी है। इसलिए वे जल्द से जल्द उपज निकालकर स्टोर करने में लगे हैं।