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बारिश से कई गांव बने टापू, जरूरी सामान लाने नदी पार कर रहे हैं लोग

locationधारPublished: Aug 24, 2020 11:45:43 am

Submitted by:

Hitendra Sharma

दो दिनों की बारिश के बाद आवागमन ठप, आवश्यक सेवाओं के लिए नदी में तैर कर जाते हैं लोग

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धार. दो दिन से मध्य प्रदेश में हो रही बारिश ने प्रदेश के कई गांव को टापू में तब्दील कर दिया है। अगर बात धार की करें तो जिला मुख्यालय से केवल 25 किमी दूर गांव बोरी पंचायत का बडकला गांव का संपर्क बारिश के दिनों में टूट जाता है। अगर गांव में अगर दवा की जरूरत पड़ती है तो गांव के कुछ युवा नदी में तैरकर दूसरे छोर आते है। फिर ये तिरला या धार से दवाई लेते है। दवाई को प्लास्टिक की थैली में अच्छे से पैक करके फिर ये नदी में गोता मारकर गांव पहुंचते है।
तिरला से बोरी के पंचायत के बडकला गांव जाने के लिए बीच में मान नदी पड़ती है। गर्मी के दिनों में ये सूख जाती है, जिससे लोगों को आवागमन में दिक्कत नहीं आती है। गांव के लोग नदी के बहाव की ओर तैरते है, इनकी मदद के लिए दोनों छोरों पर गांव के कुछ लोग खड़े भी रहते है। बारिश इन लोगों के लिए सिरदर्द बन जाती है।
बताया जाताहै कि ये नदी आठ महीने बहती है, तेज बारिश के बाद इसमें बहाव बढ़ जाता है। जिससे लोग बडकला नहीं पहुंच पाते है। बडकला ही नहीं नदी के पार और भी कई गांव हैं जिनमें मियापुरा , बंदाव , टवली, भुवालिया और नालछा के गांव के लोग मुख्यालय से कट जाते हैं। इन गांवों की आबादी लगभग 10 हजार है। ये लोग वर्षों से जान पर खेल कर नदी पार कर रहे है।
युवाओं को आवश्यक चीजों का जिम्मा
गांव में दवाईयों या अन्य आवश्यक चीजों की आपूर्ति का जिम्मा युवाओं ने उठाया है। ये युवा गांव से तिरला आने के लिए नदी में छलांग लगाते है। दोनों छोरों पर इनकी मदद के लिए दस-दस लोग खड़े रहते है। ये जब नदी में छलांग लगाते है तो 500 मीटर दूर निकलते है।नदी का बहाव अधिक होने से लोग मदद के लिए रस्सी, लकड़ी लेकर खड़े रहते है। ये लोग नदी पार करके तिरला या धार आते है।दवाईयां या अन्य सामान लेकर ये फिरनदी में छलांग लगाकर तैरते हुए अपने गांव पहुंच जाते है।
गांव में डिलवरी
सरपंच वंतु पति दरियाव सिंह मेडा ने बताया कि बारिश के बाद नदी में बाढ़ आने पर मरीजों को नहीं ले जा सकते है। दो से तीन साल पहले बारिश के दिनों में एक बालक को सांप ने काट लिया था। नदी में पुर आने के कारण उसे धार या तिरला नहीं ले जा पाए तो उसकी मौत हो गई। दो.तीन दिन से बारिश हो रही थी तो हम नदी पार नहीं कर सकते थे । इस कारण से हमारे गांव में अभी दो महिलाओं की डिलीवरी हुई है जो कि घर पर जोखिम उठाकर करना पडी।
पुलिया मंजुर पर बजट नहीं
ग्राम पंचायत की मांग पर यहां पिछले वर्ष लोक यांत्रिकी विभाग से पुलिया स्वीकृत हुई थी। जिसके निर्माण के लिए यहां पर गिट्टी और रेती भी डाल दी गई थी किंतु उसका बजट 25 लाख ही था। इसलिये ठेकेदार ने पुलिया के निर्माण से मना कर टेंडर भी कैंसल कर दिया।
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