धार

ढोलक और पपिया बजा कर कदम-कदम पर दे रहे अमन-चैन का संदेश

लक्ष्मण नामदेव गणवीर के रूप में 35 वर्ष से देश में अमन चैन और शांति संदेश के साथ यात्रा कर रहे

धारOct 22, 2019 / 06:27 pm

shyam awasthi

लक्ष्मण गणवीर का सम्मान करते हुए युवावर्ग।

विकास पटेल/मुकेश सोडानी
धामनोद /गणेशघाट. नगर से गुजरते हुए एक 65 वर्षीय बुजुर्ग को हर कोई देख रहा था। बुजुर्ग के हाथ में ढोलक थी, मुंह में पपैया तथा देश भक्ति और देश के प्रतीक चिन्ह को लेकर जब वे आगे बढ़ रहे थे तो हर कोई यह जानना चाह रहा था यह आखिर यह कौन है। बाद में नगर के युवाओं ने उस 65 वर्षीय बुजुर्ग का स्वागत किया तो उसने अपना परिचय लक्ष्मण नामदेव गणवीर के रूप में बताया तथा बताया कि लगातार 35 वर्ष से वह इंदौर से शिर्डी देश में अमन चैन और शांति रहे इस संदेश के साथ यात्रा कर रहे हैं।
राष्ट्र प्रेम और देश के सैनिकों के लिए मन में सम्मान लेकर लक्ष्मण नामदेव गणवीर ने बताया कि प्रतिवर्ष करीब 800 किलोमीटर की यात्रा इंदौर से शुरू होती है, जिसमें ओंकारेश्वर, उज्जैन, महेश्वर, मंडलेश्वर और रास्ते में जहां पर भी शिवलिंग मिलते हैं वहां पर देश में अमन चैन शांति के लिए अभिषेक कर आगे बढ़ते हैं। प्रतिदिन 10 किलोमीटर की यात्रा तय करते हैं पूरी यात्रा तय करने में महीनों लग जाते हैं।
भरा पूरा परिवार
लक्ष्मण के दो बेटे तथा दो बेटियां हैं। बेटियां की तो शादी हो चुकी है। बेटे एलआईसी एजेंट तथा छोटा बेटा व्यवसाई है। कई बार बच्चों ने इस तरह से बाहर आने के लिए इस उम्र में मना भी किया, लेकिन गणवीर का देश के प्रति प्रेम कम नहीं हुआ। वह लगातार हर वर्ष 6 महीने राष्ट्रीय प्रेम का संदेश देते हुए आगे बढ़ते हैं। लक्ष्मण का गणवेश भी अनोखा है। एक साथ तीन तरह की मृदु करतल बजाते हुए वह आगे बढ़ते हैं। उनके हाथों में घुंगरू और ढोलक तथा मुंह में पपैया बजती है जो राष्ट्रीय धुन से ओतप्रोत होती है।
लक्ष्मण गणवीर वैसे तो घर से संपन्न है, लेकिन जब उनसे पूछा कि भोजन कहां करते हो तो उन्होंने बताया कि भोजन कि मुझे कोई कमी नहीं, जहां भी रुक जाता हूं लोग मुझे आगे होकर भोजन खिलाते हैं। मेरी दिनचर्या प्रतिदिन कैसे गुजर जाती है, यह मुझे भी पता नहीं चलता। करीब 35 वर्षों से यह देश के प्रति प्रेम मेरे अंदर जागृत है जो आगे भी रहेगा। इस यात्रा का मुख्य उद्देश्य देश के सैनिकों के प्रति सम्मान है।

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