सूखे से किए दो दो हाथ, फिर दिया बलराम ने सहारा
धारPublished: Mar 14, 2018 03:36:48 pm
लगातर सूखे की मार के बाद आर्थिक तंगी से परेशान किसान ने बलराम तालाब का सहारा लिया।
सूखे से किए दो दो हाथ, फिर दिया बलराम ने सहारा
लगातर सूखे की मार के बाद आर्थिक तंगी से परेशान किसान ने बलराम तालाब का सहारा लिया। आज हालात यह है कि सूखे ट्यूबवेल के बाद तालाब में पर्याप्त पानी मिलने से खेत हरे भरे नजर आ रहे है। धार में सूखे के कारण फसले खराब हो रही थी। ऐसे में ग्राम गवला के किसान लियाकत पटेल ने ३०० बाय १६० एवं ३० फीट गहरा तालाब बनवा लिया। धार में मार्च के पहले ही ट्यूबवेल सुख जाते है जिससे किसानों की हालत खराब हो जाती है, लेकिन पटेल के नवाचार से आज वे खुशहाली की और कदम बड़ा रहे है। साथ की अन्य किसानों के लिए भी प्रेरणा बन रहे है।
ग्राम गवाला में लियाकत पटेल ने शासन की किसान हितैषी योजना बलराम तालाब को धरातल पर लगाकर एक मिसाल पेश कि है। उन्होंने डग-डग पानी, पग-पग नीर की कहावत को चरितार्थ किया है। वे बताते है कि पिछले साल गेहूं और चने की फसल में पर्याप्त पानी नहीं मिल सका था और ट्यूबवेल से कभी पानी आता था तो कभी नहीं आता था। इसके बाद उन्होंने बलराम तालाब को बनाने का निर्णय लिया। पटेल ने शासन से योजना के तहत ८० हजार रुपए और स्वयं की ओर २ लाख रुपए इस तालाब का निर्माण किया। इस साल उन्होंने अपने खेत में २० बीघा में प्याज लगाए है। जिसे पांच पानी इसी तालाब से फेर चुके है। शेष पांच पानी भी इसी तालाब से प्याज खेते के उपयोग में लेगे।
ट्यूबवेल के पाईप भी तालाब में डाले
लियाकत पटेल ने अपने खेते में दो बोरिंग करवाए थे। वह बोरिंग में कभी पानी आता था तो कभी पानी नहीं आता था। उन्होंने इन दोनों बोरिंग के पाईप को बलराम तालाब में डाल दिए और इनका पानी भी तालाब में एकत्रित हो गया है जिससे फसल में पानी देते है। वे बताते है कि जलस्तर कम होने के चलते बलराम तालाब इस बार पानी की किसी भी प्रकार की समस्या नहीं आई है। मेरा कहना है कि किसानों को भी अपने खेतों में बलराम तालाब बनवाना चाहिए ताकि जलस्तर कम या बारिश नहीं होने से इसका फायदा फसलों में सिंचाई के माध्यम से दे सकें। उन्होंने बताया कि जहां पर गहरी काली मिट्टी हो वहां पर बलराम तालाब योजना सफल है।