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हमें हमेशा प्रशंसा का भाव मन में रखना चाहिए: आचार्यश्री महाराज

locationधारPublished: May 25, 2022 05:52:18 pm

Submitted by:

harinath dwivedi

आचार्य श्री विश्व रत्नसागर सुरीश्वर महाराज ने पोषध शाला में हुई धर्मसभा में प्रवचन दिए

हमें हमेशा प्रशंसा का भाव मन में रखना चाहिए: आचार्यश्री महाराज

हमें हमेशा प्रशंसा का भाव मन में रखना चाहिए: आचार्यश्री महाराज

बदनावर. पुण्य बढ़ाने का सबसे अच्छा साधन प्राणी मात्र से मैत्री भाव रखना है। हर जीव में तीर्थंकर बनने की योग्यता है, कब बन जाए यह हम कह नहीं सकते। इसलिए हर प्राणी को तीर्थंकर की आत्मा समझना चाहिए। साथ ही कभी किसी की ङ्क्षनदा भी नहीं करना चाहिए ङ्क्षनदा करने से ज्यादा ङ्क्षनदा सुनने या उसकी अनुमोदना करने में ज्यादा दोष है। हमें हमेशा प्रशंसा का भाव मन में रखना चाहिए।
कोई अगर छोटा सा भी तप कर रहा है तो उसकी अनुमोदना कर प्रशंसा करनी चाहिए। यह बात आचार्य श्री विश्व रत्नासागर सुरीश्वर महाराज ने पोषध शाला में हुई धर्मसभा में कही। उन्होंने कहा कि वह भोयरावाला भगवान की महिमा बहुत ही निराली है उनके दर्शन की भावना होती है और अचानक हमारा यहां आने का योग बन जाता है। उनके प्रति भक्ति ही मुझे यहां बार-बार बुलाती रहती है । 25 मई से नगर में होने वाले महिला धार्मिक शिक्षण शिविर का पांच दिवसीय आयोजन हो रहा है । उसमें आप सभी उत्साह पूर्वक भाग लीजिए। पूज्य साध्वी श्री मधु प्रिया महाराज साहब एवं पूज्य साध्वी श्री हर्ष प्रिया की निश्रा में होने वाले पांच दिवसीय शिविर का समय प्रात: 9 बजे से रहेगा। इसमें अब तक 80 से ज्यादा महिलाओं का पंजीयन हो चुका है । शिविर का विषय होगा जैन विश्व दर्शन एवं शिविर के दूसरे भाग का विषय होगा। पाप अपने खोल दो।कल मनाई जाएगी आचार्य श्री ऋषभ चंद्र सुरिश्वर जी महाराज साहब की प्रथम पुण्यतिथि श्री शंखेश्वर पुरम तीर्थ पर आचार्य श्री की प्रथम पुण्यतिथि श्रद्धा भक्ति से मनाई जाएगी। प्रात: स्नात्र पूजन एवं अष्ट प्रकारी पूजा का आयोजन होगा। लाभार्थी धवल कुमार सतीश कुमार ङ्क्षसगावत परिवार रहेंगे।
‘कर्म अच्छे करने पर इंसान को सद्गति प्रदान होती है’
नागदा. इंसान जन्म से नहीं कर्म से महान बनता है, कर्म अच्छे करने पर इंसान को सद्गति प्रदान होती है। हमारे पुराने पुण्योदय से हमें भारत क्षेत्र, मानव जीवन एवं उच्च कुल प्राप्त हुआ। उच्च कुल प्राप्त होना हमारा पुराना पुण्योदय है। ङ्क्षकतु इस जन्म में रहकर किए गए सद्कार्य हमें अगले भव को तारेंगे। यह बात प्रवचन शांतिनाथ देरासर पर आयोजित धर्मसभा में पपू नित्यानंद सुरीश्वरजी के सुशिष्य पपू प्रसन्नचन्द्र सुरीजी मसा ने दिए। इसके पूर्व शांतिनाथ अतिथि भवन से नवकारसी के बाद बैंड-बाजों के साथ पूज्य गच्छाधिपति श्री नित्यसेन सुरीश्वरजी म.सा. एवं मुनि मंडल का मंगल प्रवेश जुलूस जैन सकल श्रीसंघ के श्रावक-श्राविकाओं की उपस्थिति में नगर में निकाला गया। जगह-जगह जैन समाजजनों द्वारा प.पू. गच्छाधिपति म.सा. की गहुली कर आशीर्वाद लिया। पूज्य गुरूदेव बडनग़र में दीक्षा महोत्सव संपन्न कराकर नागदा श्रीसंघ की विनती पर नागदा आए थे। इस अवसर पर संघ पूजा का लाभ संघवी संतोष कुमार शैतानमल मेहता परिवार द्वारा लिया गया। धर्मसभा में संघ अध्यक्ष संतोष मोदी, शैतानमल कांकरिया, कालुमल नाहर, सुरेश मूथा, अभय मेहता, दिलीप नाहर, विजय मेहता, संजय जैन, संजय बरडिय़ा, नरेन्द्र पगारिया, नितेष सुराना, पवन मेहता, प्रदीप जैन, पुखराज कटारिया, पारस मोदी सहित अनेक श्रावक-श्राविकाएं उपस्थित थे। संचालन राजेन्द्र बोकडिय़ा ने किया।
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