scriptरेल से उतरते समय… पैर फिसला और छूट गया जिंदगी का साथ | When descending from the rail ... feet slipped and got off with life | Patrika News

रेल से उतरते समय… पैर फिसला और छूट गया जिंदगी का साथ

locationधारPublished: Jul 10, 2018 10:56:50 am

जिला अस्पताल के लेखापाल पद से निलंबित स्वास्थ्य कर्मी चौहान की रेल दुर्घटना में मौत

Death of a health worker suspended from the post of accountant of the district hospital in Chauhan Railway Accident

Death of a health worker suspended from the post of accountant of the district hospital in Chauhan Railway Accident

धार.
जिला अस्पताल में लेखापाल पद से हाल ही में निलंबित हुए देवी सिंह चौहान की सोमवार को रेल दुर्घटना में मौत हो गई। बता रहे हैं कि पारिवारिक जमीन बटवारे को लेकर वे रविवार को रेल मार्ग द्वारा झांसी के पास अपने गांव टोंकी(यूपी) जाने के लिए निकले थे। सोमवार सुबह ऐटा स्टेशन पर चलती रेल से उतरते समय उनका पैर फिसला और मौके पर ही उनकी मौत हो गई। बता दें कि चौहान 2019 में सेवा निवृत्त होने वाले थे, वहीं कुछ समय पूर्व उनका कैंसर का ऑपरेशन हुआ था।
सोमवार सुबह यूपी के एटा स्टेशन पर हुए इस हादसे की खबर जीआरपी चौकी से जिला अस्पताल के चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी दीपक कराले को फोन पर मिली। बता रहे हैं कि औंधे मुंह गिरे चौहान के दोनों पैर ट्रेन से कट गए, वहीं गिरने के कारण सिर की चोट से उनकी मौत हुई। कैंसर से जूझते रहे चौहान पर दूसरी गाज कुछ दिन पहले तब गिरी जब कलेक्टर ने उन्हें निलंबित कर दिया। चौहान जिला अस्पताल में लेखापाल के पद पर थे, जिन्हें करोड़ों की खरीदी घोटाले में निलंबित किया गया था। चौहान पर पहली गाज कुछ समय पूर्व गिरी थी, जब जिला अस्पताल के ड्रेसर लखन पाल सिंह की पेंशन प्रकरण में जांच बैठाई गई थी। हालांकि इस मामले में में जांच के बाद चौहान को क्लीन चिट देते हुए स्वास्थ्य कर्मी श्रीकृष्ण मुकाति को निलंबित किया गया था।
क्यों हुआ था निलंबन
कैंसर ऑपरेशन के बाद ठीक हुए चौहान को हाल ही में निलंबित किया गया था। बता दें कि करोड़ों की खरीदी घोटाले में प्रदेश के 38 जिले संदेह के घेरे में आए, जिनमें से 4 जिलों के सिविल सर्जन पर गाज गिरी। धार में भी पहले सिविल सर्जन डॉ. एसके खरे को भोपाल से निलंबित किया गया, जिसके कुछ दिन बाद ही कलेक्टर दीपक सिंह ने जांच के बाद जिला अस्पताल के लेखापाल चौहान सहित तीन कर्मचारियों को निलंबित किया था।
दिमागी बीमारी से घिरी है पत्नी
मृतक चौहान की पत्नी आशा सिंह लंबे समय से दिमागी बीमारी से ग्रसित है। बता रहे हैं कि वे बार-बार डिप्रेशन में चली जाती है, जिनका इंदौर में उपचार जारी है। इस बीच सोमवार को चौहान के साथ हुए रेल हादसे की खबर नहीं देते हुए उन्हें चौहान द्वारा बुलाए जाने की खबर देकर घर के लिए रवाना किया गया।
घर में खेल रहे पौते-पौती
मृतक चौहान का भरा पूरा परिवार है। पत्नी के अलावा चौहान का एक बेटा व एक बेटी है, जिनकी शादी हो चुकी है। पारिवारिक पृष्ठभूमि में चौहान के घर एक पौत्र और एक पौत्री भी है। बेटा जितेंद्र सिंह बबीना कैंट और एटा के बीच गांव टोंकी में खेती करता है।
परिजन ने किया आत्महत्या को खारिज
चौहान के बेटे जितेंद्र ने फोन पर पत्रिका को बताया कि उनके पिता इतने कमजोर नहीं थे कि वे आत्महत्या कर लें। हालांकि जितेंद्र ने पिता को तनाव में बताया, लेकिन कैंसर जैसी बीमारी को हराने का हवाला देकर उसने उनकी जिंदादिली की मिसाल दी।
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