scriptपहली डिलेवरी और ऑपरेशन की कहा तो बिदक गए परिजन | When told about the first delivery and operation, the family went away | Patrika News

पहली डिलेवरी और ऑपरेशन की कहा तो बिदक गए परिजन

locationधारPublished: Aug 08, 2019 11:27:50 am

Submitted by:

atul porwal

जिला अस्पताल में भर्ती के बाद पर्ची पर लिख दिया कि घर जा रहे, निजी अस्पतालों में घुमर वापस अस्पताल लौटे परिजन, ऑपरेशन से हुई डिलेवरी

Dhar

Dhar

धार.
महज 20 साल की उम्र और पहली डिलेवरी में डॉक्टर ने जांच के बाद कहा कि ऑपरेशन करना पड़ेगा। सुनकर घर वाले बिदक गए और पर्ची पर यह लिखकर निजी अस्पतालों के चक्कर काटने निकल गए कि हम अपनी मर्जी से गर्भवती को घर ले जाना चाहते हैं। इसके बाद सभी अस्पतालों से ऑपरेशन डिलेवरी का जवाब मिला तो वापस जिला अस्पताल लौट आए। आखिर बधवार सुबह जिला अस्पताल में ऑपरेशन से डिलेवरी हुई और अब जच्चा, बच्चा स्वस्थ हैं।
यह वाकया मोयाखेड़ा की निवासी अनिता पति जानू के साथ हुआ, जिसके पेट में दर्द होने पर घर वाले मंगलवार देर रात जिला अस्पताल पहुंचे। अनिता की जांच कर ड्यूटी डॉ. सुधीर मोदी ने ऑपरेशन की कहा तो अनिता का पति जानू तैयार नहीं हुआ। इधर अनिता की मां पुन्नी बाई भी कहने लगी कि बेटी की पहली डिलेवरी में ही ऑपरेशन हो जाएगा तो उसका भविष्य बिगड़ जाएगा। काफी देर स्टाफ नर्स और परिजन के बीच माथा पच्ची चलती रही और रात 3.20 बजे पुन्नी बाई ने गर्भवती बेटी को घर ले जाने की बात कही। इस पर स्टाफ नर्स ने उनसे पर्ची पर दस्तखत करवाकर जाने दिया। बता रहे हैं कि इनके साथ आई आशा कार्यकर्ता ने तीन निजी अस्पताल घुमाए, लेकिन सभी जगह ऑपरेशन की बात हुई तो बुधवार सुबह करीब 6.30 बजे वापस जिला अस्पताल लौट आए।
पेट में दर्द हुआ तो वार्ड में ले गई नर्स
कुछ देर परिसर के शेड में रहे तो गर्भवति को पेट में दर्द और बढ़ गया और हल्ला हुआ कि शेड में ही डिलेवरी हो गई। खबर सुनते ही मेटरनिटी वार्ड से दो स्टाफ नर्स और आयाबाई आई और गर्भवती को वार्ड में ले गए। हालांकि तब तक अनिता गर्भ से ही थी, लेकिन उसके पेट का दर्द बढ़ गया था। आरएमओ डॉ. संजय जोशी ने डॉ. नंदिता निगम को फोन कर जिला अस्पताल भेजा तो उन्होंने डॉ. गिरीराज भूर्रा की मदद से ऑपरेशन कर डिलेवरी करवाई। अब अनिता व उससे जना बच्चा स्वस्थ हैं। हालांकि जन्मे बच्चे को अभी एसएनसीयू में रखा है, जिसकी कुछ जांचें की जा रही है।
पहले चिल्लाया अब कुछ बोलेन को तैयार नहीं पति
जब डॉक्टर ने गर्भवती की जांच के बाद ऑपरेशन का कहा तो पति चिल् लाचोट करने लगा। उसका कहना था कि आप लोग गरीबों के साथ ऐसा ही करते हो। हमें नहीं करवाना ऑपरेशन। और रात 3.20 बजे जिला अस्पताल से चले गए। लेकिन बुधवार सुबह करीब 8 बजे जब अनिता का ऑपरेशन कर डिलेवरी करवाई और मरीज अनिता व उससे जन्मे बच्चे की ठीक होने की बात सुनी तो वह कुछ बोलने को तैयार नहीं था। उसका कहना था कि रात में जो भी हुआ उसके बारे में कुछ नहीं कहना।
आशा का खेल भी चर्चा में
इधर अस्पताल सूत्र बता रहे हैं कि जिला अस्पताल आने वाली गर्भवती महिलाओं के साथ हर रोज 5-6 आशा कार्यकर्ताएं जिला अस्पताल के मेटरनिटी वार्ड में रहती है। जांच पड़ताल के बाद परिजन को बहला फुसलाकर उन्हें निजी अस्पताल ले जाती है, जहां पहले से उनका कमिशन बंधा रहता है। इस मामले में भी यही बात सामने आ रही है। हालांकि इस मामले में कोइ्र बोलने को तैयार नहीं है, लेकिन अनिता की जांच के बाद जब ऑपरेशन की बात हुई तो आशा कार्यकर्ता ने ही परिजन से कहा कि पहली डिलेवरी में ऑपरेशन की जरूरत नहीं। मेरे साथ चलो किसी निजी अस्पताल में दिखाएंगे।
कोई कुछ भी कहे हमें फर्क नहीं पड़ता
परिजन की मर्जी के बगैर जबरन ऑपरेशन नहीं कर सकते। जांच के बाद जब गर्भवती की स्थिति ठीक नजर नहीं आई तो ऑपरेश के लिए कहा था। उन्होंने मना कर घर जाने की बात कही तो जाने दिया। फिर लौटकर आए तो हमने अपना फर्ज निभाया। इसके बारे में कोई कुछ भी कहे हमें फर्क नहीं पड़ता। हम अपना काम ईमानदारी से कर रहे हैं।
-डॉ. एमके बौरासी, सिविल सर्जन
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो