500रुपए निकालने नि:शक्त पत्नी को ठेले से लेकर बैंक पहुंचा वृद्ध
धारPublished: Apr 09, 2020 11:24:44 pm
पत्नी चल नहीं सकती, संतान है नहीं, जूते चप्पल सिलने की दुकान भी है बंद
कड़ी धूप 70 वर्षीय वृद्ध 65 वर्षीय अपनी निशक्त पत्नी को ठेला गाड़ी पर बैठाकर खुद धकाता हुआ लगभग आधा किलोमीटर दूर बैंक पहुंचा
मांडू. किसी ने सच ही कहा कतार लंबी थी, सुबह से शाम हो गई, यह दो वक्त की रोटी आज फिर हमारा ख्वाब हो गई।
जहां एक ओर पूरा देश पूरी ताकत से कोरोना पूरी ताकत के साथ लड़ता दिखाई दे रहा है। वहीं लॉक डाउन के दौरान दर्द भरी तस्वीरें भी देखने को मिल रही है। उसी का एक उदाहरण पर्यटन नगरी मांडू में गुरुवार को देखने को मिला। जब कड़ी धूप 70 वर्षीय वृद्ध 65 वर्षीय अपनी निशक्त पत्नी को ठेला गाड़ी पर बैठाकर खुद धकाता हुआ लगभग आधा किलोमीटर दूर बैंक पहुंचा। जिसने भी यह दृश्य देखा उसने इस वृद्ध के संघर्ष को सलाम किया।
दरअसल मांडू के वार्ड 2 में निवासरत पीरिया पिता घीसाजी पत्नी अहिल्याबाई के साथ रहते हैं। पिछले एक साल पहले पत्नी का पैर टूट गया था, जिससे वह चलने फिरने में सक्षम नहीं है। दोनों की कोई संतान भी नहीं है। जीवन में संघर्ष तो था ही और तब अचानक कोरोना के कहर और लॉकडाउन की स्थिति ने बड़ा संकट पैदा कर दिया। मांडू के जामा मस्जिद चौक में चप्पल -जूते सिलकर अपने लिए दो जून की रोटी का इंतजाम करने वाले इस वृद्ध और उसके परिवार का हाल लॉकडाउन के बाद पूरी तरह दयनीय हो गया है। पैसों की तंगी और लॉकडाउन खुलने की अनिश्चितता के माहौल के बीच आगे क्या होगा यह सोचकर भी परिवार घबरा रहा है। प्रधानमंत्री द्वारा महिलाओं के खाते में जो धनराशि दी गई है। उसे आहरित करने के लिए ही पीरिया अपनी निशक्त पत्नी को लेकर ठेला गाड़ी में बैठा कर स्थानीय बैंक ले गए थे। छोटी सी राशि के लिए बड़ी जद्दोजहद करना पड़ू। इधर पीरिया का कहना है कि पत्नी का पैर टूटने के बाद गरीबी में आटा गीला हो गया। उपचार में पैसा लगा वह भी कर्ज लेकर करवाया। इलाज के लिए सरकार की तरफ से मदद नहीं मिली। वृद्धा अवस्था मिलने वाली 600 रुपए की पेंशन से घर चलता है। बाप-दादा की थोड़ी जमीन है। उपचार के लिए रुपयों की आवश्यकता पड़ी जमीन भी पाती पर देना पड़ी। इधर प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत कुटीर भी स्वीकृत हुआ पर पहली किस्त मिलने के बाद काम भी चालू हुआ, उसके बाद पैसा आना बंद हो गए। घर के लिए फिर कर्ज कर जैसे-तैसे मकान का काम चलाया पर वह भी अधूरा ही खड़ा है। अगली किस्त भी नहीं मिल रही है और बाजार का पैसा भी अब माथे पर है।