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भौंगर्या नजदीक आते ही मजदूर लौट रहे अपने घर, मनरेगा में मजदूरी देना चुनौती

locationधारPublished: Mar 03, 2021 10:53:31 am

Submitted by:

vishal yadav

भौंगर्या के चलते प्रतिदिन हजारों की संख्या में मजदूर लौट रहे अपने घर, जिले में मनरेगा अंतर्गत चल रहे 14 हजार काम, मिल रहा 52 हजार से अधिक को रोजगार

 Workers are returning to their homes as soon as Bhongarya comes near

Workers are returning to their homes as soon as Bhongarya comes near

बड़वानी. आदिवासी बाहुल्य जिले में आगामी दिनों में भौंगर्या की धूम शुुरु हो जाएगी। इसके लिए जिले से बाहर राज्यों में पलायन कर चुके मजदूर प्रतिदिन हजारों की संख्या में अपने ग्रामों में लौटने लगे है। ऐसे में प्रशासन को इनको मजदूरी देना चुनौती साबित हो सकता है।
उल्लेखनीय है कि जिले से प्रति वर्ष हजारों की संख्या में मजदूर परिवार सहित महाराष्ट्र-गुजरात और राजस्थान तक पलायन करते है। यह लोग भवन निर्माण सहित खेती-किसानी और कल कारखानों में रोजगार पाते है। मप्र की तुलना में बाहर राज्यों में अधिक मजदूरी मिलने से इनका रुझान बाहर अधिक रहता है। वैसे गत वर्ष कोरोना के फैलने के बाद देश में लगे लॉक डाउन के बाद बड़ी संख्या में मजदूर जिले में लौट आए थे। तब से प्रशासन द्वारा जिलेभर में हजारों कामों के माध्यम से तरह-तरह के कामों के लिए हजारों मजदूरों को प्रतिदिन रोजगार दिया जा रहा है।
महाराष्ट्र से रवानगी अधिक
वहीं देश के विभिन्न राज्यों के साथ मुख्य रुप से महाराष्ट्र में कोरोना का असर फिर से तेजी से फैलने लगा है। वहां लॉक डाउन की आशंका और आगामी दिनों में भौंगर्या हाटों के मद्देनजर महाराष्ट्र की ओर से प्रतिदिन हजारों की संख्या में जिले में लौट रहे है।
अभी तो मनरेगा ही एकमात्र विकल्प
कृषि आधारित इस जिले में रोजगार के कोई साधन नहीं है। वहीं खेती-किसानी में कम मजदूरी मिलने के चलते मजदूरों का रुझान बाहर के राज्यों की ओर रहता है। वहीं लॉक डाउन से लौटे मजदूरों को काम के रुप में प्रशासन द्वारा मनरेगा में शामिल कर काम दिया जा रहा है। फिलहाल यही एक मात्र विकल्प हैं, जिससे जिले के 50 हजार से अधिक मजदूर लोग रोजगार की गारंटी पा रहे है।
बारिश पूर्व जाते हैं, भौंगर्या पर लौटते हैं
जिले के ग्रामीण मजदूर लोग एकसाथ सैकड़ों की संख्या में बारिश के पूर्व मुख्य रुप से महाराष्ट्र-गुजरात की ओर कूच करते है। वहां चार से छह माह सतत काम कर आमदनी प्राप्त कर फरवरी माह से भौंगर्या के पूर्व उनके लौटने का सिलसिला शुरु हो जाता है। वर्तमान में जिले में प्रतिदिन पांच से सात हजार मजदूर बाहर राज्यों से लौट रहे है।
लॉक डाउन के बाद इनसे मिल रहा रोजगार
जिले में लॉक डाउन के दौरान लौटे मजदूरों के लिए प्रशासन द्वारा मनरेगा के माध्यम से पीएम आवास, कपिल धाा कूप, बोल्डर चेकडेम, वर्मी कंपोस्ट, नोडेफा, निर्मल नीर, बकरी शेड, मुर्गी शेड, मेढ़ बंधान, तालाब निर्माण, कंटूर ट्रेंच जैसे कई काम वर्तमान में चलाए जा रहे है। प्राप्त जानकारी के अनुसार वर्तमान में जिले में कुल 14 हजार 789 काम चल रहे है। इसके माध्यम से 52 हजार से अधिक मजदूर प्रतिदिन रोजगार पा रहे है।
काम पूरा लेते हैं, समय पर पैसा नहीं देते
जिले के हजारों मजदूर बाहर राज्यों में पलायन करते है। प्रशासन यहां मनरेगा में काम देने की बात करता है। लोग समय पर काम भी करते हैं, लेकिन समय पर पैसा नहीं मिलता। साथ ही खातों में भुगतान होता है। ऐसे में बैंकों के चक्कर लगाने पड़ते है। कियोस्क वाले कम पैसा भी देते है। वहीं कई गरीब आधार-फिंगर के चक्कर में मजदूरी नहीं ले पाते। वहीं ग्राम सभा के अनुसार काम तय नहीं होने से अधिकांश लोग बाहर राज्यों में मजदूरी करना पसंद करते है। सरकार को चाहिए कि मनरेगा में ग्राम सभा के हिसाब से काम करवाए जाए। वहीं भुगतान की प्रक्रिया को सरल करना चाहिए। इस मामले को लेकर प्रशासन को अवगत कराएंगे।
-हरेसिंग जमरे (जागृत आदिवासी दलित संगठन कार्यकर्ता)
काम की लिमिट नहीं, सबको रोजगार देंगे
जिले में फिलहाल 52 हजार से अधिक लोगों को रोजगार दे रहे है। भौंगर्या के मद्देनजर अगर मजदूर लौट रहे हैं, तो उन्हें भी काम दिया जाएगा। शासन से मनरेगा के कामों की कोई लिमिट नहीं है। जितने मजदूर बाहर से लौटेंगे, सबको रोजगार उपलब्ध करवाएंगे।
-ऋतुराजसिंह, जिला पंचायत सीईओ
ब्लॉकवार मनरेगा कामों पर एक नजर
ब्लॉक- कार्य- संलग्र मजदूर
बड़वानी- 1023- 5555
निवाली- 1153- 5943
पानसेमल- 1909- 7356
पाटी- 1467- 9494
राजपुर- 2635- 6736
सेंधवा- 5393- 13660
ठीकरी- 1209- 3387
टोटल- 14789- 52131

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