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इस सूर्य स्तुति के पाठ से सूर्य की तरह चमकता है भाग्य

locationभोपालPublished: Apr 18, 2020 04:53:57 pm

Submitted by:

Shyam

सबके पालनहार है भगवान सूर्य देव

इस सूर्य स्तुति के पाठ से सूर्य की तरह चमकता है भाग्य

इस सूर्य स्तुति के पाठ से सूर्य की तरह चमकता है भाग्य

हिंदू धर्म शास्त्रों में सृष्टि के प्रत्यक्ष देवता भगवान सूर्यनारायण को बताया गया। कहा जाता है अगर सूर्य ही न हो तो धरती पर जीवन संभव ही नहीं। इसलिए धर्म ग्रथों में नियमित सूर्य पूजा उपासना की बात कही गई है, सूर्य उपासना से मनुष्य के सभी कार्य सिद्ध होने लगते हैं। प्रतिदिन उगते सूर्य को अर्घ्य देने सारे संकट दूर होकर व्यक्ति की भाग्य उदय होने लगता है। अगर आदि सूर्यदेव की कृपा पाना चाहते हैं तो नियमित इस सूर्य रक्षा स्त्रोत कवच का पाठ अर्थ सहित करें।

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।। अथ सूर्यकवचम ।।

1- श्रणुष्व मुनिशार्दूल सूर्यस्य कवचं शुभम्।

शरीरारोग्दं दिव्यं सव सौभाग्य दायकम्।।

अर्थात- यह सूर्य कवच शरीर को आरोग्य देने वाला है तथा संपूर्ण दिव्य सौभाग्य को देने वाला है।

2- देदीप्यमान मुकुटं स्फुरन्मकर कुण्डलम।

ध्यात्वा सहस्त्रं किरणं स्तोत्र मेततु दीरयेत्।।

अर्थात- चमकते हुए मुकुट वाले डोलते हुए मकराकृत कुंडल वाले हजार किरण (सूर्य) को ध्यान करके यह स्तोत्र प्रारंभ करें।

इस सूर्य स्तुति के पाठ से सूर्य की तरह चमकता है भाग्य

3- शिरों में भास्कर: पातु ललाट मेडमित दुति:।

नेत्रे दिनमणि: पातु श्रवणे वासरेश्वर:।।

अर्थात- मेरे सिर की रक्षा भास्कर करें, अपरिमित कांति वाले ललाट की रक्षा करें। नेत्र (आंखों) की रक्षा दिनमणि करें तथा कान की रक्षा दिन के ईश्वर करें।

4- ध्राणं धर्मं धृणि: पातु वदनं वेद वाहन:।

जिव्हां में मानद: पातु कण्ठं में सुर वन्दित:।।

अर्थात- मेरी नाक की रक्षा धर्मघृणि, मुख की रक्षा देववंदित, जिव्हा की रक्षा मानद् तथा कंठ की रक्षा देव वंदित करें।

इस सूर्य स्तुति के पाठ से सूर्य की तरह चमकता है भाग्य

5- सूर्य रक्षात्मकं स्तोत्रं लिखित्वा भूर्ज पत्रके।

दधाति य: करे तस्य वशगा: सर्व सिद्धय:।।

अर्थात- सूर्य रक्षात्मक इस स्तोत्र को भोजपत्र में लिखकर जो हाथ में धारण करता है तो संपूर्ण सिद्धियां उसके वश में होती है।

इस सूर्य स्तुति के पाठ से सूर्य की तरह चमकता है भाग्य

6- सुस्नातो यो जपेत् सम्यग्योधिते स्वस्थ: मानस:।

सरोग मुक्तो दीर्घायु सुखं पुष्टिं च विदंति।।

अर्थात- स्नान करके जो कोई स्वच्छ चित्त से कवच पाठ करता है वह रोग से मुक्त हो जाता है, दीर्घायु होता है, सुख तथा यश प्राप्त होता है।

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