इनकी साधना बीमारी के नाश, दुष्ट आत्माओं व ग्रह, अकाल मृत्यु के भय से बचने के लिए, वाक सिद्धि, कवित्व की सिद्धी पाने के लिए किया जाता है। इनका मंत्र निम्न प्रकार है-
“ॐ क्रीं क्रीं क्रीं दक्षिणे कालिके क्रीं क्रीं क्रीं स्वाहाः”
तारा को तारिणी भी कहा गया है। ये अपने भक्त को एक माता की तरह पालन करती है। इनकी साधना से भोग तथा मोक्ष दोनों की प्राप्ति होती है। इनका मंत्र है-
“ॐ ह्रीं स्त्रीं हुं फट”
ये साक्षात परम परमेश्वरी है जो अपने साधक को हर कष्ट से बाहर निकालने में सक्षम हैं। इनकी आराधना निम्न मंत्र के द्वारा की जाती है-
“ॐ ऐं ह्रीं श्रीं त्रिपुर सुंदरीयै नमः “
यह देवी बहुत ही कम समय मे प्रसन्न हो जाती है तथा मनचाहा वरदान देती है। इन्हें प्रसन्न करने के लिए निम्न मंत्र का जाप करना चाहिए।
“ॐ ऐं ह्रीं श्रीं नमः” 5. छिन्नमस्ता
इनकी साधना अत्यन्त तीव्र मानी जाती है। यह देवी शत्रु का तुरंत नाश करने वाली, वाकसिद्धी देने वाली, रोजगार में सफलता, नौकरी में पदोन्नति के लिए, कोर्ट केस आदि में तुरंत राहत दिलाती है। इनकी साधना से किसी को भी अपने वश में किया जा सकता है। इनकी पूजा निम्न मंत्र से की जाती है-
“श्रीं ह्रीं क्लीं ऐं वज्र वैरोचनीयै हूं हूं फट स्वाहा:”
भूत-प्रेत आदि समस्याओं के निवारण के लिए मां त्रिपुर भैरवी की साधना की जाती है। ये भक्तों को समस्त तांत्रिक प्रयोगों से बचाए रखती हैं तथा उनकी हर अभिलाषा पूर्ण करती हैं। इनका मंत्र निम्न प्रकार है-
“ॐ ह्रीं भैरवी कलौं ह्रीं स्वाहा:”
इनकी साधना से समस्त प्रकार की दरिद्रता का नाश होता है और दूसरों के द्वारा किए गए तंत्र-मंत्र का असर समाप्त होता है। इनकी आराधना निम्न मंत्र से की जाती है-
“ॐ धूं धूं धूमावती देव्यै स्वाहा:”
शत्रुओं का नाश करने वाली मां बगलामुखी की आराधना तभी की जाती है जब अन्य कोई मार्ग न शेष रहा हो। यह संहारक शक्ति है जो प्रबल से प्रबल शत्रु का भी नाश कर देती है। इन्हीं पूजा में निम्न मंत्र का उपयोग किया जाता है-
“ॐ ह्लीं बगलामुखी देव्यै ह्लीं ॐ नम:”
यह भगवती का सौम्य स्वरूप है। जीवन में किसी भी वस्तु की प्राप्ति के लिए इनकी आराधना की जा सकती है। ये शीघ्र प्रसन्न होती है और मनवांछित वर देती हैं। इनका मंत्र निम्न प्रकार है-
“ॐ ह्रीं ऐं भगवती मतंगेश्वरी श्रीं स्वाहा:”
दीवाली पर इन्हीं को लक्ष्मी के रूप में पूजा जाता है। इनकी आराधना से संसार के समस्त भोग, ऐश्वर्य अथवा सुंदर वस्तुओं को प्राप्त किया जा सकता है। इनकी आराधना में निम्न मंत्र का उपयोग किया जाता है-
“ॐ हसौ: जगत प्रसुत्तयै स्वाहा:”