धर्म-कर्म

Chaitra Navratri: 50 मिनट का सबसे अच्छा चैत्र नवरात्रि कलश स्थापना मुहूर्त, जानें मां दुर्गा को निमंत्रण देने का शुभ समय

Chaitra Navratri: मां दुर्गा की पूजा का उत्सव नवरात्रि 9 अप्रैल 2024 को मंगलवार से शुरू हो रहा है। इसके लिए पहले दिन शुभ समय में कलश स्थापना का नियम है। इस अनुष्ठान से माता को निमंत्रण दिया जाता है। इसलिए इसका समय शुभ होना जरूरी होता है वर्ना आशीर्वाद की जगह माता का प्रकोप झेलना पड़ता है तो आइये जानते हैं चैत्र नवरात्रि कलश स्थापना मुहूर्त क्या है (kalash sthapana muhurt niyam)।

Mar 28, 2024 / 05:49 am

Pravin Pandey

चैत्र नवरात्रि कलश स्थापना शुभ मुहूर्त और कलश स्थापना विधि यहां जानिए


चैत्र नवरात्रि की शुरुआत चैत्र शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से होती है। साल 2024 में यह तिथि मंगलवार 9 अप्रैल 2024 को पड़ रही है। इसी दिन घट स्थापना होगी और मां दुर्गा की 9 दिवसीय पूजा शुरू होगी। इस साल घटस्थापना मुहूर्त की अवधि 4 घंटे 11 मिनट की है और सुबह 6.05 बजे से 10.16 बजे के बीच कलश स्थापना की जा सकेगी।

वैसे मां दुर्गा पूजा की कलश स्थापना का सबसे शुभ मुहूर्त अभिजित मुहूर्त माना जाता है और चैत्र शुक्ल प्रतिपदा के दिन मंगलवार को अभिजित मुहूर्त सुबह 11.57 बजे से दोपहर 12.47 बजे तक यानी 50 मिनट है। बता दें कि इस साल कलश स्थापना निषिद्ध वैधृति योग में होगी।

चैत्र शुक्ल प्रतिपदा तिथि प्रारंभः 08 अप्रैल 2024 को रात 11:50 बजे
प्रतिपदा तिथि समाप्तः 09 अप्रैल 2024 को रात 08:30 बजे (उदयातिथि में प्रतिपदा इस समय होने से 9 अप्रैल से नवरात्रि)
वैधृति योग प्रारंभः 08 अप्रैल 2024 को शाम 06:14 बजे से
वैधृति योग समाप्तः 09 अप्रैल 2024 को दोपहर 02:18 बजे (वैधृति योग में कलश स्थापना अच्छा नहीं माना जाता है, लेकिन इसमें कलश स्थापना को निषिद्ध भी नहीं किया गया है।)
ये भी पढ़ेंः Chaitra Navratri 2024: इस बार के नवराते में घोड़ा है मां दुर्गा की सवारी, जानें क्या होता है महत्व और क्या है घट स्थापना मुहूर्त


वाराणसी के पुरोहित पं. शिवम तिवारी के अनुसार चैत्र नवरात्रि में कलश स्थापना के लिए जौ बोने के लिए मिट्टी का पात्र, साफ मिट्टी, मिट्टी का एक छोटा घड़ा, कलश को ढंकने के लिए मिट्टी का एक ढक्कन, गंगा जल, सुपारी, 1 या 2 रुपए का सिक्का, आम की पत्तियां, अक्षत / कच्चे चावल, मौली (कलावा /रक्षा सूत्र), जौ (जवारे), इत्र (वैकल्पिक), फूल और फूल माला, नारियल, लाल कपड़ा / लाल चुनरी, दूर्वा (घास) की जरूरत पड़ेगी।
ये भी पढ़ेंः चैत्र नवरात्रि में खरमास का बुरा साया, शुरु के 5 दिन न करें ये काम


नवरात्रि में सबसे पहले शुभ मुहूर्त में कलश स्थापना की जाती है। इसके बाद देवी-देवताओं के आवाहन किया जाता है। इसलिए पूजा पर बैठने से पहले कलश स्थापना के लिए कलश को तैयार कर लेना चाहिए। इसके बाद इस विधि से कलश स्थापना करनी चाहिए।

1. सबसे पहले मिट्टी के बड़े पात्र में थोड़ी सी मिट्टी डालें और उसमें जवारे के बीज डाल दें।
2. अब इस पात्र में दोबारा थोड़ी मिट्टी और डालें। इसके बाद बीज डालें। इसके बाद सारी मिट्टी पात्र में डाल दें और फिर बीज डालकर थोड़ा सा जल डालें।
(ध्यान रहे इन बीजों को पात्र में इस तरह से लगाएं कि उगने पर यह ऊपर की तरफ आगे बढ़ें यानी बीजों को खड़ी अवस्था में लगाएं और ऊपर वाली लेयर में बीज अवश्य डालें।)
3. अब कलश और उस पात्र की गर्दन पर मौली बांध दें। साथ ही तिलक भी लगाएं।
4. इसके बाद कलश में गंगाजल भर दें। इसी में सुपारी, इत्र, दूर्वा घास, अक्षत और सिक्का भी डाल दें।
5. अब इस कलश के किनारों पर 5 अशोक के पत्ते (आम के पत्ते भी रख सकते हैं) रखें और कलश को ढक्कन से ढंक दें।

6. अब एक नारियल लें और उसे लाल कपड़े या लाल चुनरी में लपेट लें। चुनरी के साथ इसमें कुछ पैसे भी रखें।
7. इसके बाद इस नारियल और चुनरी को रक्षा सूत्र से बांध दें।
8. इसके बाद सबसे पहले जमीन को अच्छे से साफ करके उसपर मिट्टी का जौ वाला पात्र रखें। उसके ऊपर मिट्टी का कलश रखें और फिर कलश के ढक्कन पर नारियल रख दें।
9. आपकी कलश स्थापना संपूर्ण हो चुकी है। इसके बाद सभी देवी देवताओं का आह्वान करके विधिवत नवरात्रि पूजन करें। इस कलश को आपको नौ दिनों तक मंदिर में ही रखना होगा। बस ध्यान रखें सुबह-शाम आवश्यकतानुसार पानी डालते रहें।

संबंधित विषय:

Home / Astrology and Spirituality / Dharma Karma / Chaitra Navratri: 50 मिनट का सबसे अच्छा चैत्र नवरात्रि कलश स्थापना मुहूर्त, जानें मां दुर्गा को निमंत्रण देने का शुभ समय

Copyright © 2024 Patrika Group. All Rights Reserved.