bhagwat geeta : गीता के ये नौ सूत्र बदल देंगे जीवन, कभी नहीं मिलेगी असफलता
स्त्री ने पिंजड़े में एक कौआ बन्द कर रखा था। जो महात्मा आता उसी से पूछती महात्माजी यह कबूतर ही है न? उत्तर में कई महात्मा हंस पड़ते, कई उसे मूर्ख बताते, कई झिड़कते कि यह तो कौआ है। इस पर वह स्त्री नाराज होती और अपनी बात पर अड़ जाती, नहीं महाराज यह तो कबूतर है। उसके इस दुराग्रह को सुन कर आने वाले महात्मा क्रुद्ध होकर उसकी मूर्खता को निन्दा करते हुए चले जाते।
Shani dev : शनि देव के सामने खड़े होकर पढ़ लें ये शनि स्तुति, जो चाहोगे वही मिलेगा
एक दिन एक महात्मा ऐसे आये जो कौए को कबूतर कहने पर नाराज नहीं हुये वरन् शान्तिपूर्वक बड़े स्नेह के साथ समझाने लगे देखो बेटी कौए में यह लक्षण और कबूतर में यह लक्षण होते हैं, अब तुम स्वयं ही विचार लो कि यह कौन है? यदि समझ में न आवे तो मैं तुम्हें कौए और कबूतर का अन्तर उन पक्षियों के झुण्ड में ले जाकर या अन्य बुद्धिमान मनुष्यों की साक्षी से समझाने का प्रयत्न करूंगा स्त्री न मानी तो भी उनने क्रोध न किया अपनी बातें बड़े सौम्य भाव से करते रहे। अपने पति से स्त्री ने कहा- यही महात्मा ज्ञानी है। इन्हें ही गुरू बना लो। ज्ञानी की पहचान यही है कि उन्हें क्रोध नहीं आता।
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