आमतौर पर दीपक जलाने के लिए दो तरह की बाती बनाई जाती हैं। एक लंबी तरह की और दूसरी गोल। अगर आप सोचते हैं कि आप गोल बाती से ही काम चला लें, तो आपको बता दें कि आप गलत सोचते हैं। क्योंकि शास्त्रों में दोनों ही बातियों का अलग-अलग महत्व बताया गया है। लेकिन ज्यादातर लोग इस बात को नहीं जानते। क्या आप जानते हैं, यदि नहीं तो जरूर पढ़ लें ये लेख…
यहां जलाते हैं लंबी बाती का दीपक
शास्त्रों के मुताबिक यदि आप केवल लंबी बाती का दीपक जलाते हैं, तो इस बात का ध्यान रखें कि इस तरह की बाती केवल मां लक्ष्मी, दुर्गा जी, सरस्वती समेत अन्य देवी के पूजन में जलाई जाती है। वहीं कुल देवता के पूजन में, आंवले के पेड़ के नीचे ही लंबी बाती का दीपक जलाया जाना चाहिए। माना जाता है कि मां लक्ष्मी के सामने लंबी बाती का दीपक लगाने से घर-परिवार में धन की वृद्धि होती है। वहीं कुल देवता के सामने लंबी बाती का दीपक जलाने से कुल की वृद्धि होती है। यही नहीं लंबी बाती का दिया जलाने से सुख-समृद्धि, धन-संपदा, ऐश्वर्य आदि भी समय-समय पर बढ़ता रहता है।
यहां भी जलाया जाता है लंबी बाती का दीपक
अमावस्या या अन्य किसी दिन पितरों के लिए दीपक जला रहे हैं, तो भी आपको ध्यान रखना चाहिए कि यह दीपक लंबी बाती वाला ही होना चाहिए। गोल बाती का इस्तेमाल करने से पितर कभी भी खुश नहीं होते और घर में गरीबी आती है। परिवार के सदस्यों पर भी इसका बुरा असर पड़ता है उनकी तरक्की रुक जाती है। वहीं ऐसा करने से हर सदस्य को किसी न किसी तरह की बीमारियों से परेशानी का सामना करना पड़ सकता है। इसीलिए ध्यान रखें और पितरों के लिए हमेशा लंबी बाती का दीपक ही जलाना चाहिए।
यहां जलाना चाहिए गोल बाती का दीपक
गोल बाती को फूल बाती भी कहा जाता है। शास्त्रों के मुताबिक, गोल बाती का दीपक ब्रह्मा जी, इंद्रदेव, शिव जी, विष्णु जी सहित अन्य देवी-देवताओं के सामने जलाना शुभ माना जाता है। तुलसी के पौधे के सामने भी गोल बाती वाला दीपक ही जलाना चाहिए। गोल बाती जलाने से घर में स्थिरता आती हैं। इस बात का ध्यान रखने से मां लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं और घर में हमेशा रहती हैं। इसके अलावा पीपल या फिर वट वृक्ष की पूजा में भी गोल बाती का दीपक ही जलाना चाहिए। इस दौरान भूलकर भी लंबी बाती का दीपक न जलाएं।