हिन्दू धर्म शास्त्रों के अनुसार चार माह विश्राम करने के बाद कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि (देव+उठनी) ग्यारस को देवी, देवता सहित स्वंय भगवान नारायण भी जागेंगे । देव उठनी एकादशी के बाद ही सारे शुभ मुहुर्त खुल जायेंगे, और शादी, विवाह, मुंडन समेत अन्य सभी शुभ कार्य शुरू हो जायेंगे । देव उठनी एकादशी पर शालिग्राम से तुलसी विवाह भी किया जाता है । इन नियमों का पालन करते हुए ग्यारस का उपवास करने से मन चाहे फल की प्राप्ति भी होती हैं ।
ऐसे करे एकादशी का पूजन
सबसे पहले देव उठनी ग्यारस के दिन इस मंत्र का उच्चारण करते हुए देवताओं के जागरण का भाव करें-
मंत्र
उत्तिष्ठ गोविन्द त्यज निद्रां जगत्पतये ।
त्वयि सुप्ते जगन्नाथ जगत् सुप्तं भवेदिदम् ॥
उत्थिते चेष्टते सर्वमुत्तिष्ठोत्तिष्ठ माधव ।
गतामेघा वियच्चैव निर्मलं निर्मलादिशः ॥
शारदानि च पुष्पाणि गृहाणमम केशव ।
ऐसा जरूर करें
– सुबह उठ कर गंगाजल मिले जल से स्नान करें ।
– स्नान करने के बाद ही पूजा स्थल को साफ करें ।
– चौक बनाकर विष्णु भगवान की प्रतिमा स्थापित करें ।
– धूप और दीप अर्पित करें ।
– हाथ में जल अक्षत लेकर उपवास करने का संकल्प लें ।
– दिन में जब धूप आए तो भगवान विष्णु के चरण ढंक दें ।
– रात में, सुभाषित स्त्रोत का पाठ, एकादशी व्रत कथा या सत्यनारायण कथा अवश्य करें ।
इस विधान से पूजा करें
– भगवान के मन्दिर और सिंहासन को पुष्प और वंदनबार आदि से सजाएं ।
– आंगन में देवोत्थान का चित्र बनाएं और फिर फल, पकवान, सिंघाड़े, गन्ने आदि चढ़ाकर डलिया से ढक दें और घी का दीपक जलाएं ।
– विष्णु पूजा में पंचदेव पूजा विधान अथवा रामार्चनचन्द्रिका आदि के अनुसार श्रद्धापूर्वक पूजन कर धूप-दीप जलाकर आरती करें ।