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देव उठनी ग्यारस का उपवास करने से हजार अश्वमेध यज्ञों का मिलता हैं फल- ये हैं उपवास की सही विधि

देव उठनी ग्यारस का उपवास करने से हजार अश्वमेध यज्ञों का मिलता हैं फल- ये हैं उपवास की सही विधि

Nov 17, 2018 / 02:12 pm

Shyam

देव उठनी ग्यारस का उपवास करने से हजार अश्वमेध यज्ञों का मिलता हैं फल- ये हैं उपवास की सही विधि

इस साल 2018 में देव उठनी ग्यारस 19 नवंबर को सोमवार के दिन है । ऐसी मान्यता हैं की कार्तीक मास की इस तिथि को देवता चार माह बाद विश्राम से जागते हैं, और अगर कोई श्रद्धालु इस देव उठना ग्यारस के के दिन कुछ नियमों का पालन करते हुए उपवास रखता हैं तो उसे एक हजार अश्वमेध यज्ञों को करने से जो पुण्यफल प्राप्त होता है वह केवल इस दिन उपवास को रखने से मिल जाता हैं ।



हिन्दू धर्म शास्त्रों के अनुसार चार माह विश्राम करने के बाद कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि (देव+उठनी) ग्यारस को देवी, देवता सहित स्वंय भगवान नारायण भी जागेंगे । देव उठनी एकादशी के बाद ही सारे शुभ मुहुर्त खुल जायेंगे, और शादी, विवाह, मुंडन समेत अन्य सभी शुभ कार्य शुरू हो जायेंगे । देव उठनी एकादशी पर शालिग्राम से तुलसी विवाह भी किया जाता है । इन नियमों का पालन करते हुए ग्यारस का उपवास करने से मन चाहे फल की प्राप्ति भी होती हैं ।

 

ऐसे करे एकादशी का पूजन

सबसे पहले देव उठनी ग्यारस के दिन इस मंत्र का उच्चारण करते हुए देवताओं के जागरण का भाव करें-
मंत्र
उत्तिष्ठ गोविन्द त्यज निद्रां जगत्पतये ।
त्वयि सुप्ते जगन्नाथ जगत्‌ सुप्तं भवेदिदम्‌ ॥
उत्थिते चेष्टते सर्वमुत्तिष्ठोत्तिष्ठ माधव ।
गतामेघा वियच्चैव निर्मलं निर्मलादिशः ॥
शारदानि च पुष्पाणि गृहाणमम केशव ।

 

ऐसा जरूर करें
– सुबह उठ कर गंगाजल मिले जल से स्नान करें ।
– स्नान करने के बाद ही पूजा स्थल को साफ करें ।
– चौक बनाकर विष्णु भगवान की प्रतिमा स्थापित करें ।
– धूप और दीप अर्पित करें ।
– हाथ में जल अक्षत लेकर उपवास करने का संकल्प लें ।
– दिन में जब धूप आए तो भगवान विष्णु के चरण ढंक दें ।
– रात में, सुभाषित स्त्रोत का पाठ, एकादशी व्रत कथा या सत्यनारायण कथा अवश्य करें ।

 

इस विधान से पूजा करें

– भगवान के मन्दिर और सिंहासन को पुष्प और वंदनबार आदि से सजाएं ।
– आंगन में देवोत्थान का चित्र बनाएं और फिर फल, पकवान, सिंघाड़े, गन्ने आदि चढ़ाकर डलिया से ढक दें और घी का दीपक जलाएं ।
– विष्णु पूजा में पंचदेव पूजा विधान अथवा रामार्चनचन्द्रिका आदि के अनुसार श्रद्धापूर्वक पूजन कर धूप-दीप जलाकर आरती करें ।

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