दीपावली से दो दिन पहले धनतेरस के दिन आयुर्वेद के देवता धन्वन्तरि की पूजा के साथ ही धन के देवता कुबेर व देवी लक्ष्मी व यमराज की भी पूजा की जाती है। धनतेरस पर्व का संबंध विशेषत: भगवान धन्वन्तरि से है। दीपक रखने से पूर्व खील या चावल रखकर उसके ऊपर दीपक जलाएं। मान्यता है कि लक्ष्मीजी के आह्वान से पहले मृत्यु के देवता यमराज को प्रसन्न करने के लिए पूजा आवश्यक होती है।
धन के देवता कुबेर को आसुरी शक्तियों का हरण करने वाला देवता भी माना जाता है। धन्वन्तरि और माता लक्ष्मी, इन दोनों का अवतरण समुद्र मंथन के समय हुआ और ये दोनों ही हाथ में कलश लेकर अवतरित हुए थे। जहां द्वेव और क्रोध की भावना होती है वहां वास्तविक लक्ष्मी की प्राप्ति में बाधा उत्पन्न होती है।
धन्वन्तरि की पूजा…
धनतेरस के दिन भगवान धन्वन्तरि की मूर्ति या चित्र को पूर्व दिशा में स्थापित करके निम्न मंत्र के द्वारा उनका आह्वान करें। ‘सत्यं च येन निरतं रोगं विद्युतं, अन्वेषित च सविधिं अरोग्यमस्य।
गूढं निगूढं औषध्यरूपं, धनवन्तरिं च सततं प्रणमामि नित्यम्।।
धनतेरस के दिन भगवान धन्वन्तरि की मूर्ति या चित्र को पूर्व दिशा में स्थापित करके निम्न मंत्र के द्वारा उनका आह्वान करें। ‘सत्यं च येन निरतं रोगं विद्युतं, अन्वेषित च सविधिं अरोग्यमस्य।
गूढं निगूढं औषध्यरूपं, धनवन्तरिं च सततं प्रणमामि नित्यम्।।
इसके बाद पूजा स्थल पर जल छोड़ें, भगवान धन्वन्तरि की मूर्ति पर रोली, चावल, गुलाब के पुष्पादि चढ़ाएं। चांदी के पात्र में खीर का भोग लगाने के बाद पुन: जल छोड़ें। धन्वन्तरि को पान, लांैग, सुपारी, मौली, श्रीफल व दक्षिणा चढ़ाकर प्रणाम करें और अपने रोगों के नाश की कामना करें। पूजा के बाद लक्ष्मी-गणेश जी की पूजा करनी चाहिए।
कुबेर की कृपा
धनतेरस वाले दिन सायं काल को कुबेर यंत्र स्थापित करके भगवान कुबेर की पूजा के लिए उन पर गंगाजल को छिडक़कर तिलक करें, पुष्प चढ़ाएं, दीपक जलाएं, भोग लगाएं व निम्न मंत्र का जाप करें।
धनतेरस वाले दिन सायं काल को कुबेर यंत्र स्थापित करके भगवान कुबेर की पूजा के लिए उन पर गंगाजल को छिडक़कर तिलक करें, पुष्प चढ़ाएं, दीपक जलाएं, भोग लगाएं व निम्न मंत्र का जाप करें।
‘यक्षाय कुबेराय वैश्र्वणाय धन-धान्य अधिपत्ये, धनधान्यसमृद्धि मे देहि देहि दापय दापय स्वाहा।।’ इसके पश्चात् भगवान कुबेर की आरती व प्रणाम करके अपनी समृद्धि की कामना करें। इस दिन दीपक जलाकर अपनी तिजोरी की भी पूजा करें।
यम पूजा
धनतेरस की शाम को प्रदोषकाल में घर के मुख्य दरवाजे पर अन्न की ढेरी बनाकर दोनों तरफ तेल का दीपक जलाएं तथा यमराज की गंध, अक्षत, पुष्प से पूजन कर दक्षिण दिशा की ओर मुख करके यम देवता से निम्न प्रार्थना करें-
‘मृत्युना दण्डपाशाभ्याम् कालेन श्यामया सह। त्रयोदश्यां दीपदानात् सूर्यज: प्रीयतां मम।।’
ऐसा करने से यमराज के कोप से सुरक्षा मिलती है व परिवार स्वस्थ रहता है।
धनतेरस की शाम को प्रदोषकाल में घर के मुख्य दरवाजे पर अन्न की ढेरी बनाकर दोनों तरफ तेल का दीपक जलाएं तथा यमराज की गंध, अक्षत, पुष्प से पूजन कर दक्षिण दिशा की ओर मुख करके यम देवता से निम्न प्रार्थना करें-
‘मृत्युना दण्डपाशाभ्याम् कालेन श्यामया सह। त्रयोदश्यां दीपदानात् सूर्यज: प्रीयतां मम।।’
ऐसा करने से यमराज के कोप से सुरक्षा मिलती है व परिवार स्वस्थ रहता है।
लक्ष्मी पूजन
लक्ष्मीजी की मूर्ति या चित्र के समक्ष लाल वस्त्र बिछाकर उसपर दक्षिणवर्ती शंख रखें। शंख पर केसर से स्वास्तिक बनाकर कुमकुम से तिलक करें। लक्ष्मीजी पर गंगाजल छिडक़कर तिलक करें व चावल, गुलाब, धूप-दीप से पूजा करें। इनको चांदी के पात्र से भोग लगाएं व निम्न मंत्र की एक या सात माला का जाप करें। इनको प्रणाम करघर में स्थिर होने की प्रार्थना करें।
लक्ष्मीजी की मूर्ति या चित्र के समक्ष लाल वस्त्र बिछाकर उसपर दक्षिणवर्ती शंख रखें। शंख पर केसर से स्वास्तिक बनाकर कुमकुम से तिलक करें। लक्ष्मीजी पर गंगाजल छिडक़कर तिलक करें व चावल, गुलाब, धूप-दीप से पूजा करें। इनको चांदी के पात्र से भोग लगाएं व निम्न मंत्र की एक या सात माला का जाप करें। इनको प्रणाम करघर में स्थिर होने की प्रार्थना करें।
‘ऊं हृीं हृीं हृीं महालक्ष्मी धनदा लक्ष्मी कुबेराय मम गृहे स्थिरो हृीं ऊं नम:।।’ इस मंत्र का स्फटिक की माला से जाप कर लेने के बाद शंख को लाल वस्त्र में लपेट कर रख दें। घर में इस शंख के द्वारा उन्नति होती है। आर्थिक उन्नति के लिए ‘ऊं श्री महालक्ष्म्यै नम:’ मंत्र की ११ माला का जाप करें।
धनतेरस पर इन कार्यों का विशेष ध्यान रखें