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इस उपाय को करने के बाद कोई भी नहीं रोक सकता आपकों धनपति बनने से

Published: Sep 08, 2018 02:30:44 pm

Submitted by:

Shyam Shyam Kishor

मात्र इस उपाय से बन जायेंगे आप धनपित

tone totke

इस उपाय को करने के बाद कोई भी नहीं रोक सकता आपकों धनपति बनने से

धनपित बनने का हर किसी का सपना होता हैं लेकिन कुछ ही लोगों का यह सपना पूरा हो पाता हैं । कुछ तो पूर्वजों की कमाई छोड़ी हुई संपत्ति के कारण जन्मजात धनपति होते है तो कुछ खुब पसीना बहाकर धनपति बनते तो कुछ ईश्वर की कृपा से । लेकिन कुछ ऐसे भी लोग होते है जो कड़ी महेनत के बाद भी जितना चाहते है उतना धन नहीं कमा पाते । जिनके पास वर्तमान में कुछ भी नहीं फिर भी क्या वे धनपति बन सकते है तो इसका हां भी हो सकता हैं । यदि कोई व्यक्ति धनवान बनने का सपना देख रहे हैं, तो वे अपनी जन्म कुण्डली में इन ग्रह योगों को देखकर उसी अनुसार कुछ उपाय करते है तो उन्हें भी धनवान बनने से कोई भी नहीं रोक सकता ।


1- कुंडली में यदि लग्र का स्वामी दसवें भाव में आ जाता है तब जातक अपने माता-पिता से भी अधिक धनी होता है ।

2- मेष या कर्क राशि में स्थित बुध व्यक्ति को धनपति बना देता है ।

3- जब गुरु नवे और ग्यारहवें और सूर्य पांचवे भाव में बैठा हो तब व्यक्ति धनवान होता है ।

 

4- शनि ग्रह को छोड़कर जब दूसरे और नवे भाव के स्वामी एक दूसरे के घर में बैठे होते हैं तब व्यक्ति को धनवान बना देते हैं ।

5- जब चंद्रमा और गुरु या चंद्रमा और शुक्र पांचवे भाव में बैठ जाए तो व्यक्ति को अमीर बना देते हैं ।

6- दूसरे भाव का स्वामी यदि 8 वें भाव में चला जाए तो व्यक्ति को स्वयं के परिश्रम और प्रयासों से धन पाता है ।

 

7- यदि दसवें भाव का स्वामी लग्र में आ जाए तो जातक धनवान होता है ।

8- सूर्य का छठे और ग्यारहवें भाव में होने पर व्यक्ति अपार धन पाता है। विशेषकर जब सूर्य और राहू के ग्रहयोग बने ।

9- छठे, आठवे और बारहवें भाव के स्वामी यदि छठे, आठवे, बारहवें या ग्यारहवे भाव में चले जाए तो व्यक्ति को अचानक धनपति बन जाता है ।

 

10- यदि सातवें भाव में मंगल या शनि बैठे हों और ग्यारहवें भाव में शनि या मंगल या राहू बैठा हो तो व्यक्ति खेल, जुंए, दलाली या वकालात आदि के द्वारा धन पाता है ।

11- मंगल चौथे भाव, सूर्य पांचवे भाव में और गुरु ग्यारहवे या पांचवे भाव में होने पर व्यक्ति को पैतृक संपत्ति से, खेती से या भवन से आय प्राप्त होती है, जो निरंतर बढ़ती है ।

12- गुरु जब कर्क, धनु या मीन राशि का और पांचवे भाव का स्वामी दसवें भाव में हो तो व्यक्ति पुत्र और पुत्रियों के द्वारा धन लाभ पाता है ।

 

13- राहू, शनि या मंगल और सूर्य ग्यारहवें भाव में हों तब व्यक्ति धीरे-धीरे धनपति हो जाता है ।

14- बुध, शुक और शनि जिस भाव में एक साथ हो वह व्यक्ति को व्यापार में बहुत ऊंचाई देकर धनकुबेर बनाता है ।

15- दसवें भाव का स्वामी वृषभ राशि या तुला राशि में और शुक्र या सातवें भाव का स्वामी दसवें भाव में हो तो व्यक्ति को विवाह के द्वारा और पत्नी की कमाई से बहुत धन लाभ होता है ।

 

16- शनि जब तुला, मकर या कुंभ राशि में होता है, तब आंकिक योग्यता जैसे अकाउण्टेट, गणितज्ञ आदि बनकर धन अर्जित करता है ।

17- बुध, शुक्र और गुरु किसी भी ग्रह में एक साथ हो तब व्यक्ति धार्मिक कार्यों द्वारा धनवान होता है । जिनमें पुरोहित, पंडित, ज्योतिष, प्रवचनकार और धर्म संस्था का प्रमुख बनकर धनवान हो जाता है ।

18- कुण्डली के त्रिकोण घरों या चतुष्कोण घरों में यदि गुरु, शुक्र, चंद्र और बुध बैठे हो या फिर 3, 6 और ग्यारहवें भाव में सूर्य, राहू, शनि, मंगल आदि ग्रह बैठे हो तब व्यक्ति राहू या शनि या शुक या बुध की दशा में अपार धन प्राप्त करता है ।

 

19- गुरु जब दसर्वे या ग्यारहवें भाव में और सूर्य और मंगल चौथे और पांचवे भाव में हो या ग्रह इसकी विपरीत स्थिति में हो व्यक्ति को प्रशासनिक क्षमताओं के द्वारा धन अर्जित करता है ।

20- यदि सातवें भाव में मंगल या शनि बैठे हों और ग्यारहवें भाव में केतु को छोड़कर अन्य कोई ग्रह बैठा हो, तब व्यक्ति व्यापार-व्यवसार द्वारा अपार धन प्राप्त करता है । यदि केतु ग्यारहवें भाव में बैठा हो तब व्यक्ति विदेशी व्यापार से धन प्राप्त करता है ।

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