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गणेश चतुर्थी 2018- 13 से 23 तक घर-घर में विराजेंगे गौरी नंदन गणराज

गणेश चतुर्थी 2018- 13 से 23 तक घर-घर में विराजेंगे गौरी नंदन गणराज

Sep 06, 2018 / 12:17 pm

Shyam

गणेश चतुर्थी 2018- 13 से 23 तक घर-घर में विराजेंगे गौरी नंदन गणराज

भाद्रपद माह के शुक्लपक्ष की चतुर्थी तिथि यानी की गुरुवार 13 सितम्बर को इस बार 11 दिवसीय गणेश चतुर्थी महापर्व का शुभारंभ होगा । इस दिन चतुर्थी तिथि शाम 5 बजकर 40 तक रहेगी । उदयातिथि एवं भद्रा के कारण गोधूलि से यह त्यौहार रात्रि में 11.27 तक रहेगा । व्रत सूर्योदय से पूजा तक रहेगा । गणेश पुराण में वर्णित कथाओं के अनुसार इसी दिन समस्त विघ्न बाधाओं को दूर करने वाले, कृपा के सागर तथा भगवान शंकर और माता पार्वती के पुत्र श्री गणेश जी का जन्म हुआ था और देश दुनिया में यह गणेश महोत्सव का 230वां वर्ष सार्वजनिक स्थापना दिवस के रूप मनाया जाएगा । भोपाल मां चामुण्डा दरबार के पुजारी ज्योतिषाचार्य पं. रामजीवन दुबे के अनुसार जाने गणेश स्थापना एवं पूजा का पूर्ण विधि विधान ।


पं. रामजीवन दुबे ने पत्रिका डॉट कॉम को बताया कि- हिन्दू पंचांग के अनुसार प्रत्येक वर्ष भाद्रपद मास के शुक्लपक्ष की चतुर्थी तिथि को हिन्दुओं का प्रमुख त्यौहार गणेश चतुर्थी के रूप में मनाया जाता हैं । भगवान विनायक-रिद्धि सिद्धि के दाता का जन्मोत्सव उनकी मिट्टी की प्रतिमा की स्थापना 13 सितम्बर 2018 दिन गुरूवार को होगी, लेकिन 13 सितम्बर को प्रात: 6.00 से 5.34 शाम तक भद्रा रहेगी, इसलिए मूर्ति स्थापना व पूजा का शुभ समय गोधूली बेला में सायंकाल 5 बजकर 40 मिनट से रात 9 बजे तक शुभ अमृत, चर चौघडिय़ा, स्थिर लगन कुंभ रात्रि 9.30 से 11.27 स्थिर लगन वृषभ भी रहेगा ।

 

11 दिवसीय गणेश महोत्सव

13 सितम्बर- गणेश चतुर्थी व्रत
14 सितम्बर- ऋषि पंचमी
15 सितम्बर- मोरछठ-चम्पा सूर्य षष्ठी
16 सितम्बर- संतान सप्तमी
17 सितम्बर-राधाष्टमी
20 सितम्बर- पदमा डोल ग्यारस
22 सितम्बर-प्रदोष व्रत
23 सितम्बर- अनंत चतुथदर्शी


इस प्रकार अनंत चतुथदर्शी के साथ 11 दिवसीय गणेश महोत्सव का समापन होगा । उपरोक्त त्यौहार गणेश महोत्सव में मनाए जावेंगे ।

भारत की कुंडली में कालसर्प योग 7 सितम्बर से 21 सितम्बर तक रहेगा।

 

गणेश चतुर्थी पूजा विधि


इस महापर्व पर गणेश भक्त प्रात: काल उठकर सोने, चांदी, तांबे अथवा मिट्टी के गणेश जी की प्रतिमा स्थापित कर षोडशोपचार विधि से उनका पूजन करें । पूजन के पश्चात् नीची नजऱ यानी की धरती में देखते हुए चंद्रमा को अर्घ्य देकर वेद पाठी सद् ब्राह्मणों को सामर्थ्य अनुसार दान दक्षिणा देकर आशीर्वाद लें । इस पूजा में गणपति को 21 लड्डुओं का भोग लगाकर उसी भोग को प्रसाद रूप में सभी को बांटने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण कर देते हैं मंगलमूर्ति श्रीगणेश जी ।

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