श्रद्धालुओं के आकर्षण का केंद्र
हिन्दुओं की प्राचीन और पवित्र 7 नगरियों में पुरी उड़ीसा राज्य के समुद्री तट पर स्थापित हैं । जगन्नाथ मंदिर विष्णु के 8वें अवतार श्रीकृष्ण के ही प्रति स्वरूप है । भारत के पूर्व में बंगाल की खाड़ी के पूर्वी छोर पर बसी पवित्र नगरी पुरी उड़ीसा की राजधानी भुवनेश्वर से थोड़ी दूरी पर है । यहां देश की समृद्ध बंदरगाहें थीं, जहां जावा, सुमात्रा, इंडोनेशिया, थाईलैंड और अन्य कई देशों का इन्हीं बंदरगाह के रास्ते व्यापार होता था ।
महाबली हनुमान जी करते हैं समुद्र से भगवान की रक्षा
कहा है कि भगवान श्री जगन्नाथ जी के मंदिर को समुद्र ने 3 बार तोड़ दिया था, श्री जगन्नाथ मंदिर के इतिहास में ऐसा उल्लेक मिलता हैं कि महाप्रभु जगन्नाथ जी ने समुद्र से मंदिर की रक्षा के लिए श्रीराम भक्त महाबली श्री हनुमानजी को नियुक्त किया था, तब से ही हनुमान जी पुरी नगर के द्वार पर रक्षा करने लगे, लेकिन हनुमान जी को जब भी भगवान जगन्नाथ जी, बलराम जी एवं देवी श्री सुभद्रा जी के दर्शनों की इच्छा होती थी तो वे प्रभु के दर्शनों के लिए पुरी नगर में प्रवेश कर जाते थे, ऐसे में समुद्र भी उनके पीछे पीछे नगर में प्रवेश कर जाता था, इससे श्री भगवान जी एवं नगर वासियों को परेशानी होने लगती थी ।
महाबली हनुमान जी की इस आदत से परेशान होकर महाप्रभु जगन्नाथ जी ने श्री हनुमान जी को समुद्र के तट पर सोने की जंजीर (बेड़ी) से बांध दिया था, जब से महाबली हनुमान जी को समुद्र तट पर भगवान द्वारा बांधा गया तब से समुद्र पुरी नगरी में कभी भी प्रवेश नहीं करता । आज भी जगन्नाथपुरी के समुद्र तट पर बेदी हनुमान का प्रसिद्ध प्राचीन मंदिर है, जो भक्त भगवान जगन्नाथ जी के दर्शन करने आते वे बेड़ी में जगड़े हनुमान जी के दर्शन करने जाते ही हैं ।