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हरतालीका तीज- पूजा विधि एवं शुभ मुहूर्त- 12 सितंबर 2018

हरतालीका तीज- पूजा विधि एवं शुभ मुहूर्त- 12 सितंबर 2018

Sep 07, 2018 / 02:19 pm

Shyam

हरतालीका तीज- पूजा विधि एवं शुभ मुहूर्त- 12 सितंबर 2018

हिंदू धर्म में मनाये जाने वाला एक प्रमुख व्रत है हरतालिका तीज व्रत । भादोंमास के शुक्लपक्ष की तृतीया तिथि को हरतालिका तीज का पर्व मनया जाता है, यह त्यौहार गणेश चतुर्थी के एक दिन पहले हरतालिका तीज महिलाओॆ का खास पर्व होता है, कजरी तीज और करवा चौथ की तरह ही हरतालिका तीज भी सुहागिनों का व्रत होता है, इस दिन महिलाएं अपने पति की लंबी आयु के लिए व्रत रखती हैं और भगवान शिव और पार्वती से सदा सुहागन का आर्शीवाद मांगती हैं, और महिलाएं इस व्रत को निराहार और निर्जला रखती है । इस बार साल 2018 में हरतालिका तीज 12 सितंबर को मनाई जाएगी ।

 

शास्त्रों में वर्णित कथा के अनुसार हरतारिलका व्रत को सबसे पहले आद्यशक्ति माता पार्वती ने देवाधिदेवमहादेव भोले बाबा को प्राप्त करने के लिए किया था । तब से कुंवारी कन्याएं भी योग्य वर प्राप्ति की कामना से इस व्रत को रख सकती हैं, एवं विवाहित माता बहने अपने सुहामग की लंबी आयु के लिए रखती हैं ।

 

पूजा का शुभ मुहूर्त एवं विधि

1- हरतालिका तीज की पूजा के लिए 12 सितंबर को प्रात: काल पूजन के लिए सिर्फ 2 घंटे 29 मिनट का समय मिलेगा । प्रात:काल का शुभ मुहूर्त सुबह 6 बजकर 4 मिनट से लेकर सुबह 8 बजकर 33 तक ही है ।


2- हरतालिका तीज प्रदोषकाल में किया जाता है । सूर्यास्त के बाद के तीन मुहूर्त को प्रदोषकाल कहा जाता है । यह दिन और रात के मिलन का समय होता है ।


3- हरतालिका पूजन के लिए भगवान शिव, माता पार्वती और भगवान गणेश की बालू रेत व काली मिट्टी की प्रतिमा हाथों से बनाकर पूजा की जाती ।


4- पूजा स्थल को फूलों से सजाकर एक चौकी पर केले के पत्ते के आसन पर भगवान शंकर, माता पार्वती और भगवान गणेश की प्रतिमा स्थापित कर पूजन किया जाता हैं ।


5- भगवान शिव, माता पार्वती और भगवान गणेश का षोडशोपचार पूजन किया जाता है ।
5- सुहाग, श्रंगार का सामान रखकर माता पार्वती को चढ़ाने की इस व्रत में मुख्य परंपरा होती है ।


6- इस प्रकार पूजन के बाद कथा सुनें और रात्रि जागरण करने के बाद सुबह माता पार्वती को सिंदूर चढ़ाएं व ककड़ी-हलवे का भोग लगाने व आरती करने के बाद व्रत को खोलना चाहिए ।

 

व्रत का महत्व

इस व्रत को पहली बार मां पार्वती ने भगवान शंकर को वर के रूप में प्राप्त करने के लिए, अन्न और जल का पूर्ण त्याग कर किया था । मां पार्वती एकांत स्थान पर रेत से शिवलिंग का निर्माण किया और कठोर तपस्या की । शिव पूजा के समय मां पार्वती ने ना तो कोई अन्न ग्रहण किया और ना ही जल । इसलिए यह माना जाता है कि इस व्रत में अन्न जल का पूर्ण त्याग करही इसे करने से मनवाछिंत फल मिलता हैं । माता पार्वती की कठोर तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शंकर ने उन्हें पत्नी के रूप में स्वीकार किया ।

 

व्रत के नियम
1- हरतालिका तीज व्रत में जल ग्रहण नहीं किया जाता है । व्रत के बाद अगले दिन जल ग्रहण करने का विधान है ।
2- हरतालिका तीज व्रत को एक बार करने पर फिर इसे छोड़ा नहीं जाता है । प्रत्येक वर्ष इस व्रत को विधि-विधान से करना चाहिए ।
3- हरतालिका तीज व्रत के दिन रात्रि जागरण करते हुए भजन-कीर्तन करना चाहिए ।
4- हर तालिका तीज व्रत कुंवारी कन्याएं, सौभाग्यवती स्त्रियां करती हैं ।

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