इसी दिन से चैत्र नवरात्रि का भी प्रारंभ होता है,इसके अलावा ये भी मान्यता है कि चैत्र शुक्ल प्रतिपदा तिथि पर भगवान राम ने वानरराज बाली का वध करके वहां की प्रजा को मुक्ति दिलाई। जिसकी खुशी में प्रजा ने घर-घर में उत्सव मनाकर ध्वज फहराए थे। इसके अलावा शास्त्रों के अनुसार सभी चारों युगों में सबसे पहले सतयुग का प्रारम्भ इसी तिथि यानी चैत्र प्रतिपदा से हुआ था। यह तिथि सृष्टि के कालचक्र प्रारंभ और पहला दिन भी माना जाता है।
ज्योतिष के जानकारों के अनुसार इस बार विक्रम संवत् 2079 में ग्रहों की दशा का दुर्लभ योग बन रहा है। जिसके चलते इस साल कई समय पर ये साल अत्यंत शुभ तो कुछ बार ये साल लोगों के लिए ये साल परेशानी भी उत्पन्न करेगा।
ज्योतिष के जानकार पंडित एके शुक्ला के अनुसार इस नए संवत्सर 2079 का नाम नल होगा। जबकि इस बार नववर्ष के राजा शनि तो मंत्री देवगुरु बृहस्पति होंगे। पंडित शुक्ला क अनुसार दरअसल सप्ताह के जिस भी दिन से नवसंवत्सर की शुरुआत होती है, वही ग्रह वर्ष का राजा कहलाता है, इसी कारण इस बार शनि ग्रह नवसंवत्सर का राजा है।
वहीं जहां इस नवसंवत्सर 2079 के मंत्री मण्डल पर नजर डालें तो इस बार न्याय के देवता शनिदेव राजा हैं तो वहीं देवगुरु बृहस्पति मंत्री है। इनके अलावा सूर्य सस्येश जबकि नवग्रहों के राजकुमार बुध दुर्गेश हैं। इनके अलावा इस साल के धनेश भी न्याय के देवता शनि, वहीं देवसेनापति मंगल रसेश, दैत्यगुरु शुक्र धान्येश,न्याय के देवता शनि नीरसेश के अलावा पुन: नवग्रहों के राजकुमार फलेश व मेघेश रहेंगे। इसके अलावा संवत्सर का समय का वाहन घोड़ा और निवास कुम्हार का घर होगा।
ज्योतिषीय गणना के अनुसार ये हिंदू साल शुभ फलदायक साबित होगा। इसका कारण यह है कि न्याय का देवता शनिदेव इस पूरे साल जातकों को न्याय दिलाने में सकारात्मक भूमिका निभाएंगे। वहीं साल के मंत्री देवगुरु बृहस्पति देव शुभता का संचार करेंगे।
नववर्ष 2079 से जुड़ी संभावनाएं
ज्योतिष के जानकारों के अनुसार शनि के प्रभाव से इस साल शासन की नीतियों और मनमानी लोगों को कष्ट दे सकती है। जबकि इस दौरान उपद्रव आदि से भी हानि की संभावना है। इस वर्ष आपसी टकरावके अलावा विपरीत परिस्थितियों से प्रजा के दुखी होने के अलावा रोग, कष्ट, अग्नि सहित प्राकृतिक आपदाएं परेशानियों में वृद्धि कर सकती हैं। इसके साथ ही लोगों की परेशानी राजनीतिज्ञों में आपसी मतभेद बढ़ने से बढ़ सकती है।
देवगुरु और नवसंवत्सर 2079
इस साल देवगुरु के दिन यानि बृहस्पतिवार / गुरुवार को मेष संक्रांति होने से इस संवत के मंत्री देवगुरु रहेंगे। ऐसे में देवगुरु के प्रभाव से अनाज आदि की पैदावार अच्छी रहने के अलावा,अच्छी वर्षा के साथ ही प्रगति के लिए अच्छा वातावरण बनने की संभावना है। देवगुरु के प्रभाव से शासन की नई योजनाओं से लोगों को प्रसन्नता रहने के साथ ही तेलों में वनस्पति घी, अलसी, हल्दी- मक्का केसर, रूई, कपास आदि फसलों की अच्छी पैदावार से लाभ की उम्मीद है।
ऐसे समझें ग्रहों की स्थिति:
इस दौरान गुरु शुक्र का 7 से 31 अगस्त तक और शुक्र का 11 नवम्बर से 5 दिसम्बर तक नवपंचक योग रहेगा। जबकि मंगल शनि का षडाष्टक योग 16 अक्बटूर से 13 नवंबर तक बन रहेगा। जिसके चलते इस दौरान सरकार और विरोधी पार्टियों में भारी वाद-विवाद के अलावा उथल-पुथल का माहौल बना रहेगा।
वहीं कहीं-कहीं अग्नि दुर्घटनाएं के अलावा प्राकृतिक आपदा के साथ ही शासन परिवर्तन, किसी विशिष्ट व्यक्ति की मृत्यु ,सीमावर्ती क्षेत्रों पर तनाव आदि रहने की संभावना है। लेकिन मंगल का प्रभाव के चलते भारतीय सीमा की सुरक्षा व्यवस्था मजबूत रहेगी, वहीं इस दौरान समुद्री तूफान से भी हानि की आशंका रहेगी। उत्तरी और पूर्वी क्षेत्रों में विशेषकर प्राकृतिक आपदा का असर देखने को मिल सकता है।
भाग्य में वृद्धि की युति
ज्ञात हो कि इस संवत्सर 2079 के प्रारंभ में मंगल और राहु-केतु अपनी उच्च राशियों में उपस्थित रहेंगे। वहीं, इस वर्ष के राजा शनि देव भी अपनी प्रिय राशि मकर में मौजूद रहने वाले हैं। ऐसे में ज्योतिष के जानकारों का मानना है कि इस हिंदू नववर्ष 2079 की कुंडली में शनि और मंगल की युति भाग्य में वृद्धि देगी, जिससे धन लाभ की संभावना है। जिसके फलस्वरूप मिथुन, कन्या, तुला और धनु राशियों को शुभ परिणाम मिल सकते हैं। वहीं, इस वर्ष रेवती नक्षत्र का विशेष संयोग व्यापार में मुनाफा करा सकता है।
ग्रहणों का प्रभाव
इस संवत्सर 2079 में दो सूर्यग्रहण और दो चंद्रग्रहण लगेंगे। जिनमें से केवल दो ग्रहण ही भारत में दिखेंगे, जिनमें से एक 25 अक्टूबर को खंडग्रास सूर्य ग्रहण और 8 नवंबर कर चंद्रग्रहण शामिल है। माना जा रहा है कि यह ग्रह स्थिति हर चीज के दाम में वृद्धि करेगी।