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आपके लिए जानना जरूरी है सुंदरकांड से जुड़ी ये पांच बातें

Published: Dec 19, 2015 06:08:00 pm

Submitted by:

Prashant Mishra

पंड़ितों का मानना है की सुन्दरकांड के पाठ से हनुमान व राम भगवान दोनों ही प्रशन्न होते है।

लखनऊ. सुन्दरकांड के पाठ से मन को शांति मिलती ही है। साथ में धार्मिक लाभ भी होता है। बड़े बुजुर्गों का कहना है कि उन्हें कम से कम हफ्ते में एक बार श्रद्धा के साथ सुन्दरकांड का पाठ करना चाहिए और भगवान हनुमान का ध्यान करना चाहिए। सुन्दरकांड रामायण के सात कांड़ों में से प्रमुख कांड है। इसमें रामभक्त हनुमान की खूबियों का बखान किया गया है। पंड़ितों का मानना है कि सुन्दरकांड के पाठ से हनुमान और राम भगवान दोनों ही प्रसन्न होते हैं।

सुन्दरकांड से जुड़ी रोचक बातें:

क्यों रखा गया सुंदरकांड नाम
रावण ने सीता का अपहरण करके उन्हें अशोक वाटिका में रखा था। यह वाटिका सुंदर नाम के पर्वत पर बसी हुई थी। जब हनुमान जी जब सीता मां से मिलने अशोक वाटिका जाते हैं। इसी के बाद से सुन्दरकांड की शुरूआत होती है। इस कारण इस कांड़ का नाम सुन्दर कांड रखा गया। लंका त्रिकुटाचल पर्वत पर बसी हुई थी।

त्रिकुटाचल पर्वत यानि यहां 3 पर्वत। पहला सुबैल पर्वत, यहां के मैदान में राम-रावण युद्ध हुआ था। दूसरा नील पर्वत, जहां राक्षसों के महल बसे हुए थे। तीसरे पर्वत का नाम था, सुंदर पर्वत। जहां अशोक वाटिका बनी थी। इसी वाटिका में हनुमानजी और सीताजी की भेंट हुईं थी।


शुभ अवसरों पर ही होता है सुंदरकांड का पाठ
शुभ अवसरों पर गोस्वामी तुलसीदासजी द्वारा रचित श्रीरामचरितमानस के सुंदरकांड का पाठ किया जाता हैं। ये काफी पुराने समय से प्रचलन में है। यदि आप पर कोई शुभ कार्य करने जा रहें हैं तो सुन्दरकांड का पाठ करने से कार्य में सफलता मिलती है। हनुमान जी को संकट हरता के रूप में जाना जाता है। इससे किसी शुभ कार्य को करने से पहले सुन्दरकांड के पाठ से कार्य में आने वाले संकट खत्म हो जाते है। और कार्य में सफलता मिलती है।  विशेषरूप से किया जाता है सुंदरकांड
हनुमान जी ने इस कांड़ में अपनी सूझबूझ और शक्ति से सीता माता की रक्षा की थी और राम जी का संदेश को सीता माता तक पहुंचाया था। इसके चलते ये कांड हनुमान जी के लिए भी काफी खास है। विशेष परिस्थितियों में सुन्दरकांड के पाठ से व्यक्ति को लाभ होता है।
सुंदरकांड से मिलता हैं मनोवैज्ञानिक लाभ

मनोवैज्ञानिक नजरिये से देखें तो भी इस कांड की अपनी खासियतें हैं। रामायण ने सभी कांडों में भगवान श्रीराम का गुणगान किया गया है। सुन्दरकांड ही एक मात्र ऐसा कांड है, जिसमें हनुमान जी का विजय गान किया गया है, जो त्याग और सेवाभाव की सीख देता है। इससे व्यक्ति के अन्दर आत्मविश्वास और त्याग की भावना उत्पन्न होती है। सुन्दरकांड से लोगों में इच्छाशक्ति भी उत्पन्न होती है।
सुंदरकांड से मिलता है धार्मिक लाभ

सुन्दरकांड के अपने धार्मिक लाभ भी हैं। ऐसा माना जाता है कि हनुमान जी जल्द प्रसन्न हो जाते हैं। धार्मिक ग्रंथों में हनुमान को प्रसन्न करने के तमाम तरीके बताए हैं। इसमें से एक प्रमुख सुन्दरकांड का पाठ भी है, जिसको पढ़ने से हनुमान जी प्रसन्न होते हैं। सुन्दरकांड के पाठ से हनुमान जी के साथ-साथ श्रीराम जी भी खुश होते हैं क्योंकि सुन्दरकांड रामायण का भी एक अभिन्न अंग है। इससे इस पाठ से हनुमान जी व राम जी दोनों की कृपा प्राप्त होती है।

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