हनुमान जी ने इस कांड़ में अपनी सूझबूझ और शक्ति से सीता माता की रक्षा की थी और राम जी का संदेश को सीता माता तक पहुंचाया था। इसके चलते ये कांड हनुमान जी के लिए भी काफी खास है। विशेष परिस्थितियों में सुन्दरकांड के पाठ से व्यक्ति को लाभ होता है।
सुंदरकांड से मिलता हैं मनोवैज्ञानिक लाभ
मनोवैज्ञानिक नजरिये से देखें तो भी इस कांड की अपनी खासियतें हैं। रामायण ने सभी कांडों में भगवान श्रीराम का गुणगान किया गया है। सुन्दरकांड ही एक मात्र ऐसा कांड है, जिसमें हनुमान जी का विजय गान किया गया है, जो त्याग और सेवाभाव की सीख देता है। इससे व्यक्ति के अन्दर आत्मविश्वास और त्याग की भावना उत्पन्न होती है। सुन्दरकांड से लोगों में इच्छाशक्ति भी उत्पन्न होती है।
मनोवैज्ञानिक नजरिये से देखें तो भी इस कांड की अपनी खासियतें हैं। रामायण ने सभी कांडों में भगवान श्रीराम का गुणगान किया गया है। सुन्दरकांड ही एक मात्र ऐसा कांड है, जिसमें हनुमान जी का विजय गान किया गया है, जो त्याग और सेवाभाव की सीख देता है। इससे व्यक्ति के अन्दर आत्मविश्वास और त्याग की भावना उत्पन्न होती है। सुन्दरकांड से लोगों में इच्छाशक्ति भी उत्पन्न होती है।
सुंदरकांड से मिलता है धार्मिक लाभ
सुन्दरकांड के अपने धार्मिक लाभ भी हैं। ऐसा माना जाता है कि हनुमान जी जल्द प्रसन्न हो जाते हैं। धार्मिक ग्रंथों में हनुमान को प्रसन्न करने के तमाम तरीके बताए हैं। इसमें से एक प्रमुख सुन्दरकांड का पाठ भी है, जिसको पढ़ने से हनुमान जी प्रसन्न होते हैं। सुन्दरकांड के पाठ से हनुमान जी के साथ-साथ श्रीराम जी भी खुश होते हैं क्योंकि सुन्दरकांड रामायण का भी एक अभिन्न अंग है। इससे इस पाठ से हनुमान जी व राम जी दोनों की कृपा प्राप्त होती है।
सुन्दरकांड के अपने धार्मिक लाभ भी हैं। ऐसा माना जाता है कि हनुमान जी जल्द प्रसन्न हो जाते हैं। धार्मिक ग्रंथों में हनुमान को प्रसन्न करने के तमाम तरीके बताए हैं। इसमें से एक प्रमुख सुन्दरकांड का पाठ भी है, जिसको पढ़ने से हनुमान जी प्रसन्न होते हैं। सुन्दरकांड के पाठ से हनुमान जी के साथ-साथ श्रीराम जी भी खुश होते हैं क्योंकि सुन्दरकांड रामायण का भी एक अभिन्न अंग है। इससे इस पाठ से हनुमान जी व राम जी दोनों की कृपा प्राप्त होती है।