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नौ दिनों की रथयात्रा में 7 दिन यहां रहते हैं भगवान जगन्नाथ

Published: Jul 07, 2018 11:49:06 am

Submitted by:

Shyam

7 दिन इस मंदिर में रहते हैं भगवान श्री जगन्नाथ

Jagannath Yatra

विश्व विख्यात उड़ीसा की पुरी के श्री जगन्नाथ यात्रा अषाड़ माह के द्वतीया तिथि को आरंभ होकर पूरे नौ दिनों तक चलने वाला रथयात्रा उत्सव में देश दुनिया से भाग लेकर अपने जीवन को धन्य बनाते हैं । कहा जाता हैं कि पहले दिन और दूसरे दिन की रथयात्रा पूरी होने पर दूसरे दिन शाम को भगवान जगन्नाथ पुरी नगर से गुजरते हुए इनका रथ गुंडीचा मंदिर पहुंचता हैं, और भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और देवी सुभद्रा सात दिनों के लिए यहीं पर विश्राम करते हैं ।


रथ यात्रा में सबसे आगे श्री बलराम जी का रथ होता है, जिसकी उंचाई 44 फुट उंची होती है, यह रथ नीले रंग से सजाया जाता है, इसके ठीक पीछे श्री सुभद्रा जी का रथ रहता हैं जो 43 फुट उंचा होता है, और इसे काले रंग से सजाया जाता है । रथयात्रा में श्री जगन्नाथ जी का पीले रंगों से सजाया हुआ 45 फुट ऊंचा रथ सबसे पीछे होता है । पुरी रथयात्रा की ये मूर्तियां भारत के अन्य देवी-देवताओं कि मूर्तियों की तरह नहीं होती है ।

 

इन सभी रथों को दो दिन तक सुबह से ही सारे नगर के मुख्य मार्गों पर घुमाया जाता हैं और दूसरे दिन की शाम को रथों को गुंडीचा मंदिर में ले जाया जाता हैं । रथ को मंदिर के बाहर ही छोड़कर भगवान की तीनों मूर्तियों को मंदिर के अंदर ले जाया जाता है । सात दिन श्री भगवान, बलराम जी और देवी सुभद्रा जी इसी गुंड़ीचा मंदिर में विश्राम करते हैं । इन सातों दिन इन मूर्तियों के दर्शन करने वाले श्रद्वालुओं का जमावडा इस मंदिर में लगा रहता है । यहां प्रतिदिन भगवान को भोग लगने के बाद प्रसाद के रुप में गोपाल भोग सभी भक्तों में बांट दिया जाता है ।

 

सात दिनों के बाद यात्रा की वापसी होती है, इस रथ यात्रा को बडी बडी रस्सियों से खींचते हुए ले जाया जाता है, यात्रा की वापसी भगवान जगन्नाथ की अपनी जन्म भूमि से वापसी कहलाती है, इसे बाहुडा कहा जाता है । इस रस्सी को खिंचने या हाथ लगाना अत्यंत शुभ और मोक्ष की प्राप्ति होना माना जाता है ।

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