scriptकार्तिक स्नान से मिलता है सभी तीर्थस्थलों के दर्शन का फल | Kartik Snan Vidhi in Hindi | Patrika News

कार्तिक स्नान से मिलता है सभी तीर्थस्थलों के दर्शन का फल

Published: Oct 27, 2015 02:01:00 pm

वर्ष
2015 में 27 अक्टूबर से कार्तिक स्नान का आरंभ हो रहा है। इस पूरे माह स्नान, दान,
दीपदान, तुलसी विवाह, कार्तिक कथा का माहात्म्य आदि सुनते हैं

Kartik snan, kumbh mela sadhu

Kartik snan, kumbh mela sadhu

वर्ष 2015 में 27 अक्टूबर से कार्तिक स्नान का आरंभ हो रहा है। इस पूरे माह स्नान, दान, दीपदान, तुलसी विवाह, कार्तिक कथा का माहात्म्य आदि सुनते हैं। ऐसा करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है व पापों का शमन होता है। पुराणों के अनुसार जो व्यक्ति इस माह में स्नान , दान तथा व्रत करते हैं, उनके पापों का अन्त हो जाता है। कार्तिक माह बहुत ही पवित्र माना जाता है। भारत के सभी तीर्थों के समान पुण्य फलों की प्राप्ति इस माह में मिलती है। इस माह में की गई पूजा तथा व्रत से ही तीर्थयात्रा के बराबर शुभ फलों की प्राप्ति हो जाती है।

गायत्री मंत्र के जाप से बढ़ जाता है कार्तिक स्नान का महत्व

इस माह के महत्व के बारे में स्कन्द पुराण, नारद पुराण, पद्मपुराण आदि प्राचीन ग्रंथों में जानकारी मिलती है। कार्तिक माह में किए स्नान का फल, एक हजार बार किए गंगा स्नान के समान, सौ बार माघ स्नान के समान। वैशाख माह में नर्मदा नदी पर करोड़ बार स्नान के समान होता है। जो फल कुम्भ में प्रयाग में स्नान करने पर मिलता है, वही फल कार्तिक माह में किसी पवित्र नदी के तट पर स्नान करने से मिलता है। इस माह में गायत्री मंत्र का जाप करना चाहिए। भोजन दिन में एक समय ही करना चाहिए। जो व्यक्ति कार्तिक के पवित्र माह के नियमों का पालन करते हैं, वह वर्ष भर के सभी पापों से मुक्ति पाते हैं।

कार्तिक माह में स्नान व दान का महत्व

धार्मिक कार्यो के लिए यह माह सर्वश्रेष्ठ माना गया है। आश्विन शुक्ल पक्ष से कार्तिक शुक्ल पक्ष तक पवित्र नदियों में स्नान-ध्यान करना श्रेष्ठ माना गया है। श्रद्धालु गंगा तथा यमुना में सुबह-सवेरे स्नान करते हैं। जो लोग नदियों में स्नान नहीं कर पाते हैं, वह सुबह अपने घर में स्नान व पूजा पाठ करते हैं। कार्तिक माह में शिव, चण्डी, सूर्य तथा अन्य देवों के मंदिरों में दीप जलाने तथा प्रकाश करने का बहुत महत्व माना गया है। इस माह में भगवान विष्णु का पुष्पों से अभिनन्दन करना चाहिए। ऎसा करने से अश्वमेघ यज्ञ के समान पुण्य फल मिलता है।

कार्तिक पूर्णिमा पर करना चाहिए दान

कार्तिक माह की पूर्णिमा तिथि पर व्यक्ति को बिना स्नान किए नहीं रहना चाहिए। कार्तिक माह की षष्ठी को कार्तिकेय व्रत का अनुष्ठान किया जाता है। स्वामी कार्तिकेय इसके देवता हैं। इस दिन अपनी क्षमतानुसार दान भी करना चाहिए । यह दान किसी भी जरूरतमंद व्यक्ति को दिया जा सकता है। कार्तिक माह में पुष्कर, कुरूक्षेत्र तथा वाराणसी तीर्थ स्थान स्नान तथा दान के लिए अति महत्वपूर्ण माने गए हैं।



ऐसे करें कार्तिक स्नान व पूजा

सुबह स्नान करने के बाद राधा-कृष्ण का तुलसी, पीपल, आंवले आदि से पूजन करना चाहिए। सभी देवताओं की परिक्रमा करने का महत्व माना गया है। सायंकाल में भगवान विष्णु की पूजा तथा तुलसी की पूजा करें। संध्या समय में दीपदान भी करना चाहिए। ऎसा माना जाता है कि कार्तिक माह में सूर्य तथा चन्द्रमा की किरणों का प्रभाव मनुष्य पर अनुकूल पड़ता है। यह किरणें मनुष्य के मन तथा मस्तिष्क को सकारात्मक ऊर्जा प्रदान करती हैं।

तुलसी, पीपल तथा विष्णु भगवान की होती है पूजा

कार्तिक मास में राधा-कृष्ण, विष्णु भगवान तथा तुलसी पूजा का अत्यंत महत्व है। जो मनुष्य इस माह में इनकी पूजा करता है, उसे पुण्य फलों की प्राप्ति होती है। श्रद्धालु व्यक्ति कार्तिक माह में तारा भोजन करते हैं। पूरे दिन भर व्रती निराहार रहकर रात्रि में तारों को अर्ध्य देकर भोजन करते हैं। व्रत के अंतिम दिन उद्यापन किया जाता है। प्रतिवर्ष कार्तिक माह आरम्भ होते ही पवित्र स्नान का भी शुभारम्भ हो जाता है।


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