ग्रहण का सूतक नौ घंटे पूर्व सुबह 8.19 बजे से शुरू होगा। यह खग्रास चंद्रग्रहण संपूर्ण भारत में दिखाई देगा। पूर्वी भारत, बंगाल, नागालैंड, मिजोरम, सिक्कम व असम के पूर्वी क्षेत्र में ग्रहण प्रारंभ होने के पहले ही चंद्रोदय हो जाएगा। इसलिए इन प्रदेशों में खग्रास रूप में चंद्रग्रहण पूरा दिखाई देगा।
176 वर्ष बाद पुष्य नक्षत्र और कालसर्प योग में होगा चन्द्र ग्रहण
कुछ ज्योतिषियों के अनुसार 31 जनवरी को होने वाला चन्द्र ग्रहण 176 वर्ष बाद पुष्य नक्षत्र में आएगा। परन्तु यह ग्रहण कालसर्प योग के साथ होगा जिस कारण इस बार का चन्द्रग्रहण और भी अधिक अशुभ हो गया है। साथ ही इस दिन संत रविदास जयंती एवं राजराजेश्वरी ललिता देवी जयंती भी है।
कुछ ज्योतिषियों के अनुसार 31 जनवरी को होने वाला चन्द्र ग्रहण 176 वर्ष बाद पुष्य नक्षत्र में आएगा। परन्तु यह ग्रहण कालसर्प योग के साथ होगा जिस कारण इस बार का चन्द्रग्रहण और भी अधिक अशुभ हो गया है। साथ ही इस दिन संत रविदास जयंती एवं राजराजेश्वरी ललिता देवी जयंती भी है।
शास्त्रों की मान्यता से गहते ग्रहण में भोजन निषेध माना गया है। चंद्रमा के दूषित होने से इस काल में बालक, रोगी, वृद्धजनों को छोड़कर अन्य सभी का भोजन करना निषेध है। ग्रहण काल में धर्म-कर्म की विशेष महिमा मानी गई है। अतः सभी मंदिरों के कपाट बंद रहेंगे और ग्रहण हटने के बाद रात 9 बजे मंदिरों में पूजा-पाठ और आरती होगी। ग्रहण काल में किए गए दान, पुण्य, जप आदि का सौ गुणा फल मिलता है।
ज्योतिषियों के अनुसार यह ग्रहण पुष्य व अश्लेषा नक्षत्र में होने के कारण सभी राशियों पर अलग-अलग प्रभाव डालेगा। जानिए किस राशि के लिए ग्रहण का कैसा असर रहेगा। राशियों पर ये पड़ेगा प्रभाव
1. मेष – व्यर्थ चिंता व व्यथा
2. वृष – श्री वृद्धि
3. मिथुन – क्षति
4. कर्क – षड़यंत्र
5. सिंह – हानि
6. कन्या – धनलाभ
7. तुला – सुख, सौभाग्य की प्राप्ति
8. वृश्चिक – अपमानित होना
9. धनु – मृत्यु तुल्य कष्ट
10. मकर – स्त्री पीड़ा
11. कुंभ – सौभाग्य मिलेगा
12. मीन – चिंता बनी रहेगी।
1. मेष – व्यर्थ चिंता व व्यथा
2. वृष – श्री वृद्धि
3. मिथुन – क्षति
4. कर्क – षड़यंत्र
5. सिंह – हानि
6. कन्या – धनलाभ
7. तुला – सुख, सौभाग्य की प्राप्ति
8. वृश्चिक – अपमानित होना
9. धनु – मृत्यु तुल्य कष्ट
10. मकर – स्त्री पीड़ा
11. कुंभ – सौभाग्य मिलेगा
12. मीन – चिंता बनी रहेगी।