जैन धर्म में महावीर भगवान के 5 प्रमुख नाम माने गये हैं-
1- वीर, 2- अतिवीर, 3- सन्मति, 4- वर्धमान, 5- महावीर ।
भगवान महावीर के जन्मोत्सव यानी चैत्र मास की त्रयोदशी तिथि पर जैन धर्म के श्रद्धालु महावीर स्वामी की प्रतिमा का कुंए के ताजे शुद्धजल से अभिषेक कर विशेष पूजा पाठ के साथ श्री महावीर चालीसा का सामुहिक पाठ सबके कल्याणार्थ करते हुये महावीर जन्मोत्सव मनाया जाता हैं । भगवान को प्रभात फेरी रूप में नगर भ्रमण कराया जाता हैं ।
भगवान महावीर स्वामी के अथक प्रयासों से उनके जीवन काल में ही जैन धर्म, कौशल, विदेह, मगध, अंग, काशी, मिथला आदि राज्यों में लोकप्रिय हो गया था । मौर्यवंश व गुप्त वंश के शासनकाल के मध्य में जैन धर्म पूर्व में उड़िसा से लेकर पश्चिम में मथुरा तक फैला था । भगवान महावीर स्वामी के मोक्ष जाने के लगभग दो सौ साल बाद जैन धर्म मुख्यतः दो सम्प्रदाय में बंट गया-
1- दिगम्बर जैन- दिगम्बर जैन मुनियों के लिये नग्न रहना आवश्यक माना जाता हैं ।
2- श्वेताम्बर जैन- श्वेताम्बर जैन मुनि श्वेत वस्त्र धारण करते हैं ।
– श्वेताम्बर जैन मुनि सफेद वस्त्र धारण करते हैं जबकि दिगम्बर जैन मुनियों के लिये नग्न रहना आवश्यक है । अहिंसा का सिद्धान्त जैन धर्म की मुख्य देन है । महावीर स्वामी ने पशु-पक्षी तथा पेङ-पौधे तक की हत्या न करने का अनुरोध किया । अहिंसा की शिक्षा से ही समस्त देश में दया को ही धर्म प्रधान अंग माना जाता है । जैन धर्म में कुल 24 तीर्थकंरों का उल्लेख मिलता है जो इस प्रकार है- जैन धर्म के 24 तीर्थकंरों के नाम-
1- ऋषभदेव, 2- अजितनाथ, 3- सम्भवनाथ, 4- अभिनन्दन, 5- सुमतिनाथ, 6- पद्मप्रभु,
7- सुपार्श्वनाथ, 8- चन्द्रप्रभु, 9- पुष्पदंत 10- शीतलनाथ, 11- श्रेयांशनाथ, 12- वासुपुज्य,
13- विमलनाथ, 14- अनन्तनाथ, 15- धर्मनाथ, 16- शान्तिनाथ, 17- कुन्थनाथ, 18- अरहनाथ,
19- मल्लिनाथ, 20- मुनि सुब्रत, 21- नमिनाथ, 22- नेमिनाथ, 23- पार्श्वनाथ, 24- महावीर स्वामी ।
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