बेंगलूरु. मुनि सुधाकर एवं मुनि नरेश कुमार मैसूरु से विहार करते हुए नंजनगुड पहुंचे, जहां श्रद्धालुओं ने मुनिवृन्द का स्वागत किया। मुनि ने धर्मसभा को संबोधित करते हुए कहा अहिंसा सुखी और सफल जीवन का प्राणतत्व है। आध्यात्मिक विकास के लिए अहिंसा का महत्व सर्वविदित है। उसके बिना स्वस्थ समाज का निर्माण संभव नहीं है। विश्व के सभी विचारकों और महापुरुषों ने हिंसा की सार्वभोम उपयोगिता पर प्रकाश डाला है। व्यक्तिगत और सामाजिक जीवन में हिंसा की व्यापक प्रतिष्ठा होना आज के संदर्भ में अत्यंत आवश्यक है। मुनि ने कहा दोनों प्रकार की हिंसा के निवारण के लिए संयमप्रधान जीवन शैली का विकास आवश्यक है। हिंसा की व्याधि के प्रमुख जनक असंयम के कीटाणु हैं। संयम खलु जीवनम-संयम ही जीवन है। इस उद्घोष को आत्मसात करने से हिंसा के रोग से मुक्ति प्राप्त हो सकती है। अहिंसा बौद्धिक विकास का विषय नहीं है यह जीवन की साधना है। मुनि ने कहा प्रत्येक विकासशील व्यक्ति को अपने परिवार को अहिंसा की प्रयोगशाला बनाना चाहिए। सारा विश्व एक परिवार है सब का अस्तित्व परस्पर संबद्ध है। समाज में जाति आदि के आधार पर विषमता के जो भी रूप हंै वह सब कृत्रिम है, मानव निर्मित हैं। प्रत्येक व्यक्ति को इस सत्य का साक्षात्कार करना चाहिए। जब तक अपने परिवार में एकता और अहिंसा का प्रयोग सफल नहीं होता है। तब तक विश्व के परिवार समझने का विचार सपना बनकर रह जाता है। इस अवसर पर नंजनगुड तेरापंथ सभा, महिला मंडल, युवक परिषद, अणुव्रत समिति के विभिन्न पदाधिकारी उपस्थित थे।