scriptश्राद्ध पक्ष में पितृ ऐसे भोजन के अंश को प्रत्यक्ष ग्रहण करते है | pitru paksha bhojan vidhi | Patrika News

श्राद्ध पक्ष में पितृ ऐसे भोजन के अंश को प्रत्यक्ष ग्रहण करते है

locationभोपालPublished: Sep 24, 2018 05:23:09 pm

Submitted by:

Shyam

श्राद्ध पक्ष में पितृ ऐसे भोजन के अंश को प्रत्यक्ष ग्रहण करते है

pitru paksha bhojan

श्राद्ध पक्ष में पितृ ऐसे भोजन के अंश को प्रत्यक्ष ग्रहण करते है

अधिकतर लोग समझते हैं कि पितरों के नाम से ब्राह्मण-भोजन, या जरूरत मंद को भोजन कराने से पितृ तृप्त हो जाते है, इसलिए हमे भोजन करना चाहिए । लेकिन ऐसा न मानकर, ऐसा माने के कि जो भोजन हम अपने पितरों की याद में उनकी प्रसन्नता के लिए दूसरों को करा रहे है, तो उनके ग्रहण किए अन्न का अंश पुण्य फल के रूप में पितर की आत्माओं को अवश्य प्राप्त होता है, और पितर तृप्त होकर आशीर्वाद देते हैं । साथ ही ब्रह्मभोज से पितरों को शक्ति मिलती है ।


1- श्राद्ध का भोजन ऐसा हो
-जौ, मटर और सरसों का उपयोग श्रेष्ठ है ।
-ज़्य़ादा पकवान पितरों की पसंद के होने चाहिये ।
-गंगाजल, दूध, शहद, कुश और तिल सबसे ज्यादा ज़रूरी है ।
-तिल ज़्यादा होने से उसका फल अक्षय होता है ।
-तिल पिशाचों से श्राद्ध की रक्षा करते हैं ।

 

2- श्राद्ध के भोजन में ये अन्न नहीं पकायें
-चना, मसूर, उड़द, कुलथी, सत्तू, मूली, काला जीरा
-कचनार, खीरा, काला उड़द, काला नमक, लौकी
-बड़ी सरसों, काले सरसों की पत्ती और बासी
-खराब अन्न, फल और मेवे

 

3-सतपथ ब्राह्मनों को इन बर्तनों में ही भोजन कराया जा सकता है
-सोने, चांदी, कांसे और तांबे के बर्तन भोजन के लिये सर्वोत्तम हैं ।
-चांदी के बर्तन में तर्पण करने से राक्षसों का नाश होता है ।
-पितृ, चांदी के बर्तन से किये तर्पण से तृप्त होते हैं ।
-चांदी के बर्तन में भोजन कराने से पुण्य अक्षय होता है ।
-श्राद्ध और तर्पण में लोहे और स्टील के बर्तन का प्रयोग न करें ।
– केले के पत्ते पर श्राद्ध का भोजन नहीं कराना चाहिये ।

 

5- श्राद्ध का भोजन इस प्रकार करायें ।
-श्राद्ध तिथि पर भोजन के लिये, ब्राह्मणों या अन्य को पहले से आमंत्रित करें ।
-दक्षिण दिशा में बिठायें, क्योंकि दक्षिण में पितरों का वास होता है ।
-हाथ में जल, अक्षत, फूल और तिल लेकर संकल्प करायें ।
-कुत्ते,गाय,कौए,चींटी और देवता को भोजन कराने के बाद, अन्यों को भोजन करायें ।
-भोजन दोनों हाथों से परोसें, एक हाथ से परोसा भोजन, राक्षस छीन लेते हैं ।
-भोजन कराने के बाद कुछ दक्षिणा आदि देकर आशीर्वाद लें ।
– दूसरों को भोजन खिलाने के बाद , स्वयं और रिश्तेदारों को भोजन करायें ।
-श्राद्ध में कोई भिक्षा मांगे, तो आदर से उसे भोजन करायें ।
-बहन, दामाद, और भानजे को भोजन कराये बिना, पितर भोजन नहीं करते ।
-कुत्ते और कौए का भोजन, कुत्ते और कौए को ही खिलायें ।
-देवता और चींटी का भोजन गाय को खिला सकते हैं ।

ट्रेंडिंग वीडियो