पंडित सुनील शर्मा के अनुसार गरुड़ पुराण में सनातन धर्म की मान्यताओं के अनुसार व्यक्ति को मृत्यु के बाद स्वर्ग की प्राप्ति होगी या फिर नरक की, यह जीवित अवस्था में उसके द्वारा किए गए कर्मों से तय होता है, इस बारे में विस्तार से बताया गया है।
गरुड़ पक्षी को भगवान विष्णु का वाहन माना जाता है और श्रीहरि ने स्वयं जीवन, मृत्यु, स्वर्ग, नरक और पुनर्जन्म के बारे में बताया। इसमें यह भी बताया गया है कि नरक कितने प्रकार के हैं और किन कर्मों से व्यक्ति को कौन सा नरक मिलता है…
MUST READ : अब इन राशिवालों की अप्रैल के बाद से चमकने वाली है किस्मत नरक के प्रकार…
गरुड़ पुराण में कुल 84 लाख नरक बताए गए हैं और उनमें से 21 नरक को घोर नरक की संज्ञा दी गई है। इनमें तामिस्त्र, लोहशंकु, महारौरव, शाल्मली, रौरव, कुड्मल, कालसूत्र, पूतिमृत्तिक, संघात, लोहितोद, सविष, संप्रतापन, महानिरय, काकोल, संजीवन, महापथ, अवीचि, अंधतामिस्त्र, कुंभीपाक, संप्रतापन और तपन 21 घोर नरक हैं।
गरुड़ पुराण में कुल 84 लाख नरक बताए गए हैं और उनमें से 21 नरक को घोर नरक की संज्ञा दी गई है। इनमें तामिस्त्र, लोहशंकु, महारौरव, शाल्मली, रौरव, कुड्मल, कालसूत्र, पूतिमृत्तिक, संघात, लोहितोद, सविष, संप्रतापन, महानिरय, काकोल, संजीवन, महापथ, अवीचि, अंधतामिस्त्र, कुंभीपाक, संप्रतापन और तपन 21 घोर नरक हैं।
ये नरक अनेकों प्रकार की यातनाओं से भरे हुए हैं और इनमें एक नहीं बल्कि कई यमदूत हैं। जो नरक भोगने वालों को यातनाएं देने के लिए होते हैं। गरुड़ पुराण के अनुसार नरक में पापी पुरुषों को आपस में लड़ते हुए देखकर यमदूत उन्हें घोर नरक वाले स्थान में गिराते हैं।
: ईश्वर को भूलने वाला
ऐसा व्यक्ति जो ईश्वर को भूलकर केवल अपने कुटुंबीजनों के भरण-पोषण में लगा रहता है। साधु संतों के लिए दान नहीं करता, ऐसा व्यक्ति नरक में जाकर जीव भोग भोगता है और दुखी होता है।
ऐसा व्यक्ति जो ईश्वर को भूलकर केवल अपने कुटुंबीजनों के भरण-पोषण में लगा रहता है। साधु संतों के लिए दान नहीं करता, ऐसा व्यक्ति नरक में जाकर जीव भोग भोगता है और दुखी होता है।
MUST READ : आज आपने सपने में क्या देखा, ऐसे समझिए ये खास इशारा : अधर्म के काम करने वाला
ऐसा मनुष्य जो अधर्म के काम करके अपने और अपने परिवार के लिए धन संचय करता है। ऐसे व्यक्ति का धन उसके जीवनकाल में ही लुट जाता है और मरने के बाद वह सब नरकों को भोगकर अंत में अंधतामिस्त्र नरक में जा गिरता है।
ऐसा मनुष्य जो अधर्म के काम करके अपने और अपने परिवार के लिए धन संचय करता है। ऐसे व्यक्ति का धन उसके जीवनकाल में ही लुट जाता है और मरने के बाद वह सब नरकों को भोगकर अंत में अंधतामिस्त्र नरक में जा गिरता है।
: ऐसे लोग भी भोगते हैं नरक
गरुड़ पुराण के मुताबिक जो स्त्री और पुरुष अनैतिक रूप से काम-वासना में लिप्त रहते हैं। पुण्य तिथियों में, व्रत में, श्राद्ध के दिनों में संबंध बनाते हैं वह पाप के भागी होकर तामिस्त्र, अंधतामिस्त्र और रौरव नामक नरकों को भोगते हैं।
गरुड़ पुराण के मुताबिक जो स्त्री और पुरुष अनैतिक रूप से काम-वासना में लिप्त रहते हैं। पुण्य तिथियों में, व्रत में, श्राद्ध के दिनों में संबंध बनाते हैं वह पाप के भागी होकर तामिस्त्र, अंधतामिस्त्र और रौरव नामक नरकों को भोगते हैं।
: दान न करके केवल स्वयं का पेट भरने वाला
ऐसा व्यक्ति जो ईश्वर के निमित्त दान न करके केवल स्वयं का या फिर अपने कुटुंबीजनों का ही पेट भरता है, ऐसा व्यक्ति नरक का भागीदार बनता है। ऐसे व्यक्ति को कुड्मल, कालसूत्र, पूतिमृत्तिक जैसे नरक भोगने पड़ सकते हैं।
ऐसा व्यक्ति जो ईश्वर के निमित्त दान न करके केवल स्वयं का या फिर अपने कुटुंबीजनों का ही पेट भरता है, ऐसा व्यक्ति नरक का भागीदार बनता है। ऐसे व्यक्ति को कुड्मल, कालसूत्र, पूतिमृत्तिक जैसे नरक भोगने पड़ सकते हैं।
MUST READ : कोरोना की कुंडली- देखिये कब है इसका मृत्यु योग गीता में भगवान श्रीकृष्ण ने कहा है जो मुझे ध्यान किए बिना और भूखे की सहायता किए बिना स्वयं भोग करते हैं, वह चोर हैं। यह दंड के अधिकारी है।
: धन का उधार ना चुकाने वाला
जो दूसरों से धन उधार लेकर यह सोचता है कि वापस नहीं करेंगे तो क्या होगा। ऐसे लोगों का हिसाब भगवान के यहां होता है। मृत्यु के बाद जब ऊपर दोनों पक्ष मिलते हैं तो जिसका धन लेकर मरे हैं, वह अपना धन मांगता है।
जो दूसरों से धन उधार लेकर यह सोचता है कि वापस नहीं करेंगे तो क्या होगा। ऐसे लोगों का हिसाब भगवान के यहां होता है। मृत्यु के बाद जब ऊपर दोनों पक्ष मिलते हैं तो जिसका धन लेकर मरे हैं, वह अपना धन मांगता है।
दोनों के बीच विवाद को जानकर यमदूत कर्ज लेने वाले का मांस काटकर उसे दे देते हैं जिसका धन लेकर मरे थे। इस समय वह व्यक्ति कष्ट से छटपटाता है। ऐसे व्यक्ति रौरव नरक में जाते हैं।
: दूसरों से बैर भाव रखकर अपना पेट भरने वाला
ऐसा व्यक्ति जो गलत रास्ते पर चलकर दूसरों से बैर भाव रखकर अपना और अपने परिवार का पेट भरता है। ऐसा मृत्यु के बाद अकेला ही एकाकी नरक में जाता है। उसके साथ और कोई नहीं जाता।
ऐसा व्यक्ति जो गलत रास्ते पर चलकर दूसरों से बैर भाव रखकर अपना और अपने परिवार का पेट भरता है। ऐसा मृत्यु के बाद अकेला ही एकाकी नरक में जाता है। उसके साथ और कोई नहीं जाता।