कथाओं के अनुसार, शरद पूर्णिमा के दिन भगवान श्रीकृष्ण, धन की देवी मां लक्ष्मी और चंद्रमा की उपासना करने से अलग-अलग वरदान प्राप्त होता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, शरद पूर्णिमा के दिन मां लक्ष्मी का जन्म हुआ था। इसलिए धन प्राप्ति के लिए भी ये तिथि सबसे उत्तम मानी जाती है।
कहा जाता है कि इस दिन धन की देवी मां लक्ष्मी रात के समय अपने वाहन उल्लू पर सवार होकर धरती पर विचरण करती हैं। मान्यता है कि इस दिन जो रात में जगकर माता का जागरण करता है, उसे मां लक्ष्मी उपहार देती हैं और उनकी कृपा से उसे कभी भी धन-धान्य की कमी नहीं होती है।
शरद पूर्णिमा की रात को महालक्ष्मी को खीर अर्पित करने और चांद की रोशनीत में रखने का विशेष महत्व होता है। कहा जाता है कि इस दिन चंद्रमा सोलह कलाओं से परिपूर्ण होता है, जिसके चलते उसकी रोशनी से खीर अमृत बन जाता है। इसका सेवन करने से व्यक्ति को कई स्वास्थ लाभ होते हैं।
मान्यताओं के मुताबिक शरद पूर्णिमा की चांदनी रात में खीर की तासिर बढ़ जाती है। इस रात दूध और मेवो से बनी खीर का खास सेवन किया जाता है। शरद पूर्णिमा को बनी खीर को अमृत समान माना जाता है। यही कारण है कि इस दिन पकवान में खीर का सबसे अधिक महत्व है।
मान्यता है कि आज के दिन चंद्रमा के प्रकाश का आंखों में अनुभव करने से उम्र लंबी होती है और आंखों की रोशनी भी बढ़ती है। इसके अलावा, शरद पूर्णिमा की चांदनी रात में कुछ पल चांद को निहारने से मन को शीतलता मिलती है और शारीरिक बीमारियां दूर हो जाती हैं।
शरद पूर्णिमा का शुभ मुहूर्त चंद्रोदय का समय: 13 अक्टूबर 2019 की शाम 05.26 बजे पूर्णिमा तिथि प्रारंभ: 13 अक्टूबर 2019 की रात 12.36 बजे से पूर्णिमा तिथि समाप्त: 14 अक्टूबर की रात 02.38 बजे पर