कब और कौन करे श्राद्ध
हर व्यक्ति को श्राद्ध करना चाहिए। जिस स्त्री को संतान और पति न हो वह अपने पति तथा बच्चों का श्राद्ध कर सकती है। गुरू, संन्यासियों का भी श्राद्ध शिष्यों को करना चाहिए।
दुर्लभ योग
ज्योतिष में पितरों तथा नैनिहाल पक्ष का कारक सूर्य माना जाता है। सूर्य और राहू जब एकसाथ कुंडली में चतुर्थ तथा दशम भाव में बैठते हैं तो एक महत्वपूर्ण दोष उत्पन्न होता है। इसे पितृ दोष कहते हैं। ज्योतिष इतिहास में पहली बार ऎसा अवसर आया है, श्राद्ध पक्ष में सूर्य, बुध, राहू, कन्या राशि में विशेष योग बना रहा है।
गज छाया योग
19 साल बाद श्राद्ध पक्ष में सूर्य व राहू की युति से गज छाया योग बन रहा है। इसके पहले 1996 में यह योग बना था। इसमें पितृकर्म (श्राद्ध-तर्पण-पिंडदान) करने से अनंत गुना फल मिलता है। पितृ तृप्त होकर धन-धान्य, पुत्र-पौत्र, सुख-संपत्ति के सुख का अशीर्वाद देंगे। इसमें तर्पण श्राद्ध करना उत्तम फलदायक रहेगा।
– सुधीर पंडित