ऐसे में इस फरवरी 2022 यानि हिंदू कैलेंडर के फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि इस बार 28 फरवरी को पड़ रही है, जिस दिन प्रदोष व्रत रखा जाएगा। यह तिथि सोमवार को पड़ने के कारण यह व्रत सोम प्रदोष व्रत के नाम से जाना जाएगा।
ज्योतिष के जानकार पंडित एसके उपाध्याय के अनुसार हिंदू कैलेंडर के अंतिम माह फाल्गुन का यह पहला सोम प्रदोष व्रत होगा। जिसके चलते इस दिन संहार के देवता भगवान शिव यानि महादेव का पूर्ण विश्वास के साथ विधि-विधान से पूजन और व्रत किया जाएगा। मान्यता के अनुसार शिवजी का पूजन इस दिन करने से सभी प्रकार की मनोकामना पूरी होती है।
पंडित उपाध्याय के अनुसार भगवान भोलेनाथ के अभिषेक रुद्राभिषेक और श्रृंगार का इस दिन विशेष महत्व माना गया है। मान्यता है कि मनोवांछित फल की प्राप्ति के लिए इस दिन भगवान शिव की सच्चे मन से पूजा की जानी चाहिए। वहीं ये व्रत शादी-विवाह में आ रहीं अड़चनों को भी दूर करने के साथ ही निसंतान दंपत्ति को संतान की प्राप्ति भी करता है।
कहा जाता है कि इस दिन संतान प्राप्ति के लिए पंचगव्य से और लक्ष्मी प्राप्ति व कॅरियर में सफलता प्राप्ति के लिए भगवान शिव का दूध से अभिषेक करने के अलावा उन्हें फूलों की माला अर्पित करनी चाहिए। माना जाता है कि इस तरह से की जाने वाली पूजा भगवान शंकर को अत्यंत प्रसन्न करती है, जिससे वे आपकी सभी मनोकामनाएं पूरी कर देते हैं।
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प्रदोष व्रत शुभ मुहूर्तः 28 फरवरी 2022
हिंदू पंचांग के मुताबिक सोमवार 28 फरवरी 2022 को प्रदोष पूजा का मुहूर्त शाम 06 बजकर 20 मिनट से से रात 08 बजकर 49 मिनट तक रहेगा। वहीं इस दिन सर्वार्थ सिद्धि योग सुबह 07 बजकर 02 मिनट से शुरू होगा, जो अगले दिन मंगलवार, 1 मार्च की सुबह 5 बजकर 19 मिनट तक रहेगा।
प्रदोष व्रत की पूजा के तहत इस दिन शिव मंदिर में या घर में ही बेलपत्र,धूप, दीप, अक्षत, गंगाजल आदि से भगवान शिव का पूजन करना चाहिए। पूजा के दौरान ‘नम: शिवाय ओम नमः’ शिवाय मंत्र का जाप करते रहना चाहिए।
प्रदोष बेला में पुन: भगवान शिव का पंचामृत से अभिषेक करने के पश्चात शिवलिंग पर बेल पत्र, धतूरा, कनेर, फूल, धूप, दीप, फल, पान, सुपारी आदि अर्पित करनी चाहिए। इसके बाद शुद्ध घी का दीपक जलाने के पश्चात शिव चालीसा का पाठ करना चाहिए। पूजा के समापन पर भगावार शंकर की आरती अवश्य करनी चाहिए।
प्रदोष व्रत पर न करें ये कार्य:
प्रदोष व्रत रखने वाले भक्तों को शिव पूजा में कभी भी तुलसी के पत्ते, केतकी के फूल, सिंदूर, हल्दी अर्पित नही करना चाहिए। इसके साथ ही शिव जी का अभिषेक भी शंख से नही करना चाहिए। प्रदोष व्रत रखने वाले व्रती को इस दिन अन्न, नमक, लाल मिर्च का सेवन नहीं करना चाहिए। इसके अलावा इस दिन पूजा के समय (यानि प्रदोष बेला) का विशेष ध्यान अवश्य रखना चाहिए।