देवभूमि पर स्थित सोने के पहाड़ वाली माता की अनोखी शक्तिपीठ
देवभूमि पर स्थित सोने के पहाड़ वाली माता की अनोखी शक्तिपीठ

देवभूमि कहे जाने वाले उत्तराखण्ड के टनकपुर में अन्नपूर्णा शिखर पर है स्थित हैं माता का पूर्णागिरि मंदिर । कहा जाता हैं कि यह माता महाकाली का यह स्थान 108 सिद्ध पीठों में से एक है, यहां पर भगवान श्री विष्णु के चक्र से कटकर माता सती की नाभि का भाग गिरा था । इस शक्तिपीठ की अपनी अलग ही अनोखी कहानी है, अनुभवी जानकार कहते हैं कि यहां होने वाले चमत्कार तो जैसे लोगों के जीवन का आम हिस्सा बन गए हैं ।
भैरवनाथ से लेनी पड़ती हैं प्रवेश की अनुमति
चारों दिशाओं में स्थित मल्लिका गिरि, कालिका गिरि, हमला गिरि व पूर्णागिरि में इस पावन स्थल पूर्णागिरि को सबसे ऊंचा स्थान प्राप्त है । पूर्णागिरि पर्वत पर विराजमान माता ने कई ऐसे चमत्कार भी किए जो मां पूर्णागिरि की दैवीय शक्ति का अहसास कराते हैं । माता के दर्शनों के लिए सबसे पहले माता के द्वारपाल के रूप में विराजमान भैरव मंदिर में बाबा भैरव नाथ की पूजा कर उनसे अनुमति लेने की परंपरा है । ऐसा माना जाता है कि बाबा भैरवनाथ ही देवी के दर्शन के लिए जाने की अनुमति देते हैं ।

महाकाली और झूठा मंदिर
देवी मां के दर्शन कर लौटते वक्त रास्ते में महाकाली और झूठा मंदिर स्थापित है जिनकी पूजा की जाती है । झूठा मंदिर की गाथा देवी के चमत्कार से जुड़ी हुई है, और यहां पर मांगी गई मन्नत पूरी होकर ही रहती हैं, ऐसी मान्यता है ।
माता की कृपा से सोने से सोने का पर्वत बन गया था
पुराणों की कथानुसार, महाभारत काल में प्राचीन ब्रह्माकुंड के पास पांडवों ने माता भगवती की कठोर पूजा-अर्चना की थी, तथा बह्मादेव मंडी में ब्रह्मा द्वारा आयोजित विशाल यज्ञ से एकत्रित अपार सोने से यहां सोने का पर्वत बन गया था । माता के इस मंदिर में दर्शनों के लिए भारत के अलावा पड़ोसी देश नेपाल से बड़ी संख्या में भक्त दर्शन करने आते हैं ।

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