धर्म-कर्म

Vaishakh Amavasya 2024: वैशाख अमावस्या पर करें यह काम, पितर हो जाएंगे प्रसन्न, कालसर्प दोष से मिलेगी मुक्ति

Vaishakh Amavasya 2024 कल मंगलवार 7 मई 2024 को वैशाख अमावस्या है। इस दिन गंगा स्नान, पूजा पाठ का विशेष महत्व होता है। इसी दिन दक्षिण भारत में शनि जयंती मनाई जाएगी। लेकिन धार्मिक ग्रंथों में वैशाख अमावस्या पर कुछ ऐसे काम बताए गए हैं, जिसे करने से पितर प्रसन्न हो जाते हैं। इससे सुख शांति और धन प्राप्त होता है।

भोपालMay 06, 2024 / 03:49 pm

Pravin Pandey

वैशाख अमावस्या 2024 पर यह काम जरूर करना चाहिए।

त्रेता युग की हुई थी शुरुआत

पंचांग के अनुसार वैशाख अमावस्या तिथि की शुरुआत मंगलवार 7 मई 2024 को सुबह 11:43 से हो रही है और यह तिथि 8 मई 2024 को सुबह 8.53 बजे संपन्न हो रही है। इसलिए वैशाख अमावस्या 7 मई को मनाई जाएगी। पंचांग के अनुसार वैशाख का महीना हिंदू कैलेंडर का दूसरा महीना है।
मान्यता है कि इसी तिथि से त्रेता युग की शुरुआत हुई थी, इस कारण वैशाख अमावस्या का धार्मिक महत्व और भी बढ़ जाता है। वैसे दक्षिण भारत में वैशाख अमावस्या पर शनि जयंती मनाई जाती है। यह दिन धर्म-कर्म, स्नान-दान और पितरों के तर्पण के लिए बेहद शुभ मानी जाती है। इस दिन काल सर्प दोष से मुक्ति पाने के लिए खास ज्योतिषीय उपाय बेहद लाभदायक होते हैं।
ये भी पढ़ेंः वृषभ राशि में बनने वाला है मालव्य राजयोग, 3 राशियों की होगी मनोकामना पूरी, मिलेगी नौकरी, वेतनवृद्धि

वैशाख अमावस्या पर करें यह काम

धार्मिक ग्रंथों के अनुसार हर अमावस्या पर पितरों की मोक्ष प्राप्ति के लिए व्रत रखना चाहिए। साथ ही इस दिन ये कुछ खास उपाय करें तो पितर प्रसन्न होते हैं और कालसर्प दोष से मुक्ति मिलती है।
  1. वैशाख अमावस्या पर नदी, जलाशय या कुंड आदि में स्नान करें और सूर्य देव को अर्घ्य देकर बहते हुए जल में तिल प्रवाहित करें।
  2. पितरों की आत्मा की शांति के लिए इस दिन तर्पण अवस्य करना चाहिए साथ ही उपवास कर गरीब व्यक्ति को दान-दक्षिणा दें।
  3. वैशाख अमावस्या पर शनि जयंती भी मनाई जाती है, इसलिए शनि देव तिल, तेल और पुष्प आदि चढ़ाकर पूजन करनी चाहिए।
  4. अमावस्या के दिन पीपल के पेड़ पर सुबह जल चढ़ाएं और संध्या के समय दीपक जलाएं।
  5. निर्धन व्यक्ति या ब्राह्मण को भोजन और यथाशक्ति वस्त्र और अन्न का दान करना चाहिए।
  6. इस दिन चांदी के नाग नागिन के जोड़े को नदी में प्रवाहित करने से कालसर्प दोष से मुक्ति मिलती है।

वैशाख अमावस्या की कथा

प्राचीन कथा के अनुसार प्राचीन काल में धर्मवर्ण नाम का ब्राह्मण था। वे बहुत ही धार्मिक थे और ऋषि-मुनियों का आदर करते थे। एक बार उन्होंने किसी महात्मा से सुना कि कलियुग में भगवान विष्णु के नाम स्मरण से ज्यादा पुण्य किसी भी काम में नहीं है। धर्मवर्ण ने इस बात को गांठ बांध ली और सांसारिक जीवन छोड़कर संन्यास लेकर भ्रमण करने लगे। एक दिन घूमते हुए वह पितृलोक पहुंचे। वहां धर्मवर्ण के पितर बहुत कष्ट में थे। पितरों ने उसे बताया कि उनकी ऐसी हालत तुम्हारे संन्यास के कारण हुई है। क्योंकि अब उनके लिए पिंडदान करने वाला कोई शेष नहीं है।
यदि तुम वापस जाकर गृहस्थ जीवन की शुरुआत करो, संतान उत्पन्न करो तो हमें राहत मिल सकती है। साथ ही वैशाख अमावस्या के दिन विधि-विधान से पिंडदान करो। धर्मवर्ण ने उन्हें वचन दिया कि वह उनकी अपेक्षाओं को अवश्य पूर्ण करेगा। इसके बाद धर्मवर्ण ने संन्यासी जीवन छोड़कर पुनः सांसारिक जीवन को अपनाया और वैशाख अमावस्या पर विधि विधान से पिंडदान कर अपने पितरों को मुक्ति दिलाई।

संबंधित विषय:

Hindi News / Astrology and Spirituality / Dharma Karma / Vaishakh Amavasya 2024: वैशाख अमावस्या पर करें यह काम, पितर हो जाएंगे प्रसन्न, कालसर्प दोष से मिलेगी मुक्ति

Copyright © 2024 Patrika Group. All Rights Reserved.