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वराह जयंती 2018- सोया हुआ भाग्य जगाने के लिए जपे वराह भगवान के इस मंत्र को

Published: Sep 06, 2018 03:50:00 pm

Submitted by:

Shyam

सोया हुआ भाग्य जगाने के लिए जपे वराह भगवान के इस मंत्र को

Varaha Jayanti

वराह जयंती 2018- सोया हुआ भाग्य जगाने के लिए जपे वराह भगवान के इस मंत्र को

अधर्मियों, पापियों से इस धरती और धर्म की रक्षा करने के लिए भगवान विष्णु समय समय पर किसी ना किसी रूप में अवतार लेते हैं, इसी क्रम में श्री नारायण ने वराह के रुप में अवतार लेकर इस धरा को हिरण्याक्ष जैसे महापापी से रक्षा की थी । कहा जाता की अगर कोई भीषण समस्या से परेशान है तो उन्हें भगवान श्री वराह स्वरूप की शरण में जाकर उनके मंत्रों का जप करना चाहिए, इससे सभी समस्याओं का अंत वराह भगवान कर देते हैं । अगर वराह जयंती के दिन जो भी भक्त भगवान वराह के नाम का भजन किर्तन व उपवास करने के साथ उनके इस दिव्य मंत्र का जप करता हैं तो जीवन सुखमय बन जाता हैं और सोया हुआ भाग्य जागृत हो जाता हैं । इस साल 2018 में वाराह जयंती 12 सितंबर के दिन मनाई जाएगी ।

 

वराह जयंती
पौराणिक कथा के अनुसार हिरण्याक्ष और हिरण्यकशिपु ने जब दिति के गर्भ से जुड़वां बच्चों रूप में जन्म लिया, इनके जन्म से पृथ्वी कांप उठी, आकाश में नक्षत्र एवं अन्य लोक डोलने लगे, समुद्र में भयंकर लहरें उठने लगीं ऐसा ज्ञात हुआ, मानो जैसे प्रलय ही आने वाला हो । ये दोनों दैत्य जन्म लेते ही बड़े हो गए, और इनका शरीर वज्र के समान कठोर और विशाल हो गया, दोनों बलवान होने के कारण संसार में अजेयता और अमरता प्राप्त करना चाहते थे । इसलिए हिरण्याक्ष और हिरण्यकशिपु दोनों ने ब्रह्माजी कठोर तप से प्रसन्न किया और दोनों भाइयों ने यह वरदान मांगा कि कोई भी युद्ध में हमें पराजित न कर सके और न कोई मार सके । ब्रह्माजी से वरदान पाकर हिरण्याक्ष तीनों लोकों में अपने को सर्वश्रेष्ठ सिद्ध करने के लिए अनेक अत्याचार करने लगा । राक्षस हिरण्याक्ष ने धरती को जब समुद्र के तल में कहीं छुपा दिया था तो तब भगवान श्री विष्ण ने वराह रूप धारण कर इस दानव के बंधन से मुक्त कराकर समुद्र तल से बहार निकाल लिया था, और हिरण्याक्ष का वध भी कर दिया था । तभी से वराह जयंती मनाई जाती हैं ।

 

व्रत पूजा विधान

जो भगवत् भक्त वराह जयंती का व्रत रखते हैं उन्हें जयंती तिथि को संकल्प करके एक कलश में भगवान वराह की प्रतिमा स्थापित कर विधि विधान सहित षोडषोपचार से भगवान वराह की पूजा करनी चाहिए । पूरे दिन व्रत रखकर रात्रि में जगारण करके भगवान विष्णु के अवतारों की कथा का श्रवण करना चाहिए ।

 

इस वराह मंत्र का करें जप

ॐ वराहाय नमः
ॐ सूकराय नमः
ॐ धृतसूकररूपकेशवाय नमः

 

इनमें से किसी भी एक मंत्र का जप करने से सभी समस्याओं का समाधान हो जाता हैं ।

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